भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने गृह जिले उज्जैन के बड़नगर कस्बे में पड़ने वाली मोलाना पंचायत का नाम बदलकर विक्रम नगर कर दिया क्योंकि उनका कहना है “नाम अटकता है”.
यादव बड़नगर में सीएम राइज़ स्कूल के उद्घाटन के लिए आए थे, जिसका नाम उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा था.
कार्यक्रम के दौरान यादव ने तीन पंचायतों के नाम बदलने की घोषणा की — गजनीखेड़ी का नाम बदलकर चामुंडा माता नगर, जहांगीरपुर का नाम बदलकर जगदीशपुर और मोलाना का नाम बदलकर विक्रम नगर कर दिया गया.
गजनीखेड़ी का नया नाम घोषित करने के बाद रविवार को सीएम ने कहा, “और गजनीखेड़ी के बाद, एक और नाम अटकता है…और वो है मोलाना”.
यादव ने आगे कहा, “मुझे समझ नहीं आता कि इस नाम के साथ गांव का क्या संबंध है.”
मोलाना पंचायत के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस गांव को उद्यमिता के लिए जाना जाता है, जहां के निवासियों ने अपनी योग्यता के आधार पर निजी क्षेत्र से निवेश के साथ औद्योगिक विकास किया है.
“पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में जो मशीनें नहीं मिलती हैं, वो मोलाना में मिल जाती हैं. यह देखकर दिल खुश हो जाता है, लेकिन जब आप नाम लिखने की कोशिश करते हैं, तो कलम अटक जाती है.”
उन्होंने आगे कहा कि “ये नाम पहले क्यों रखे गए, हमें नहीं पता”.
यादव ने बताया, “लेकिन इस भूमि के आस्थावानों की अपनी आस्था, स्वाभिमान और सनातन संस्कृति में आस्था है. इसलिए, समाज का सम्मान करने वाली सरकार के रूप में यह हमारी जिम्मेदारी है…अगर जाने-अनजाने में ये नाम रखे गए हैं…और ये नाम अटके हुए लगते हैं, तो यह हमारी सरकार है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इन्हें बदल रही है.”
हालांकि, भाजपा के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार के इस कदम पर विपक्षी कांग्रेस ने हमला किया, जिसने इसे “वोट बैंक की राजनीति के लिए हिंदुओं और मुसलमानों को विभाजित करने की चाल” बताया.
कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने दिप्रिंट से कहा, “2022 में जब मैं अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष था, तब मैंने कई गांवों के नाम बदलने के बारे में राज्य सरकार और चुनाव आयोग को लिखा था, जो एक समुदाय के लिए अपमानजनक हैं. चमरिया, चमरौहा और गड़रिया जैसे नाम वाले गांव हैं जो पूरे समुदाय को अपमानित करते हैं, लेकिन भाजपा इस सुझाव पर काम नहीं करेगी.”
यादव पर हमला करते हुए अहिरवार ने कहा, “मोहन यादव केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं, जिसके लिए दलित केवल वोट के लिए उपयोगी हैं. जब आपत्तिजनक नाम बदलकर उनकी गरिमा को बहाल करने की बात आती है, तो भाजपा सरकार चुपचाप बैठी रहती है. बहुत ही सुविधाजनक तरीके से, सीएम ने तीन पंचायतों के नाम बदलते समय एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ खड़ा करने वाली विभाजनकारी टिप्पणी की.”
यादव के कदम का बचाव करते हुए भाजपा के राज्य मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने दिप्रिंट से कहा, “मप्र सरकार का हर फैसला लोगों की इच्छाओं का प्रतिबिंब है. अगर लोग ऐसे नाम बदलना चाहते हैं जो नकारात्मक हैं या सकारात्मकता नहीं लाते हैं, तो सरकार निश्चित रूप से इसका पालन करेगी.”
खेल मंत्री विश्वास सारंग ने भी सीएम का बचाव करते हुए सोमवार को भोपाल में पत्रकारों से कहा, “हम विकास कर रहे हैं और अतीत के काले दाग भी हटा रहे हैं. मैं सीएम को बधाई देना चाहता हूं.”
सारंग ने नाम बदलने की आलोचना करने के लिए कांग्रेस पर भी हमला किया. उन्होंने कहा, “कांग्रेस को इस कदम का विरोध करना चाहिए, क्योंकि उनके दिमाग में गुलामी के विचार भरे हुए हैं. वह इस देश की संस्कृति से जुड़े किसी भी मुद्दे में हस्तक्षेप करने के आदी हैं. अगर गुलामी के कोई प्रतीक हैं, तो उन्हें बदलने की ज़रूरत है और ऐसा करने की आज बहुत मांग है.”
मध्य प्रदेश सरकार पहले भी जगहों का नाम बदल चुकी है.
2021 में भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन कर दिया गया. उसी साल, भोपाल की आखिरी बेगम, नवाब सुल्तान जहां बेगम द्वारा निर्मित हेरिटेज संरचना मिंटो हॉल का नाम बदलकर भाजपा के संस्थापक सदस्य कुशाभाऊ ठाकरे के नाम पर कुशाभाऊ ठाकरे हॉल कर दिया गया.
2022 में होशंगाबाद जिले का नाम बदलकर नर्मदापुरम कर दिया गया और 2023 में भोपाल से 17 किलोमीटर दूर स्थित इस्लाम नगर गांव का नाम बदलकर जगदीशपुर कर दिया गया.
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