कोलकाता: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने शपथ ग्रहण को लेकर जारी संदेह को लेकर शुक्रवार को चार पन्नों के एक बयान में कहा कि पश्चिम बंगाल के दो नवनिर्वाचित तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने से पहले राजभवन में शपथ लेनी चाहिए.
इसके साथ ही बोस अपनी बात पर अड़े हुए हैं, क्योंकि हाल ही में उपचुनाव जीतने वाले टीएमसी विधायकों रयात हुसैन और सायंतिका बनर्जी ने उनके खिलाफ यौन दुराचार के आरोपों के चलते राजभवन में शपथ ग्रहण करने के उनके आमंत्रण को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, जिससे गतिरोध की स्थिति पैदा हो गई.
बोस के बयान में कहा गया है, “जनप्रतिनिधियों से अपेक्षा की जाती है कि वे संविधान का पालन करें और जनता के मन में राज्यपाल के प्रति परोक्ष रूप से प्रतिकूल गलत और बदनामी वाली धारणा न बनाएं. सार्वजनिक क्षेत्र में फैलाए जा रहे बहाने अस्वीकार्य हैं.”
दोनों विधायक पिछले पांच दिनों से विधानसभा के बाहर अंबेडकर प्रतिमा के सामने धरना दे रहे हैं और अपने हाथों में तख्तियां लिए हुए हैं, जिन पर लिखा है, “राज्यपाल का इंतजार कर रहे हैं.”
हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि विधायकों के पास संविधान के प्रावधानों के अनुसार शपथ लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. अनुच्छेद 188 और अनुच्छेद 193 राज्यपाल को इस तरह का अधिकार देते हैं. अनुच्छेद 188 में कहा गया है कि राज्य की विधानसभा या विधान परिषद का प्रत्येक सदस्य – सीट लेने से पहले – राज्यपाल या उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष संविधान की तीसरी अनुसूची में इस उद्देश्य के लिए निर्धारित प्रपत्र के अनुसार शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा.
यदि कोई विधायक अनुच्छेद 188 के तहत शपथ लेने से पहले विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होता है तो अनुच्छेद 193 के तहत उसके लिए दंड का प्रावधान किया गया है. इसमें कहा गया है, “यदि कोई व्यक्ति अनुच्छेद 188 की आवश्यकताओं का अनुपालन करने से पहले किसी राज्य की विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य के रूप में बैठता है या मतदान करता है, या जब वह जानता है कि वह योग्य नहीं है या वह सदस्यता के लिए अयोग्य है, या संसद या राज्य के विधानमंडल द्वारा बनाए गए किसी कानून के प्रावधानों द्वारा उसे ऐसा करने से प्रतिबंधित किया गया है, तो वह प्रत्येक दिन के लिए, जिस दिन वह बैठता है या मतदान करता है, पांच सौ रुपये के जुर्माने के लिए उत्तरदायी होगा, जिसे राज्य को देय ऋण के रूप में वसूला जाएगा.”
पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल, उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ को फोन करके गतिरोध को समाप्त करने के लिए हस्तक्षेप करने को कहा है.
बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस पहले से तय दौरे पर नई दिल्ली में हैं.
दिप्रिंट से बात करते हुए, बारानगर उपचुनाव में जीतने वाली टीएमसी विधायक सायंतिका बनर्जी ने कहा कि बोस के खिलाफ एक महिला कर्मचारी द्वारा कथित यौन दुराचार के आरोप लगाए जाने के बाद वह राजभवन जाने में सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं.
उन्होंने कहा, “उन्होंने हमें बुधवार को आमंत्रित किया था, लेकिन हमने उन्हें पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि वे हमें शपथ दिलाने के लिए स्पीकर को नियुक्त करें, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. लोगों द्वारा चुने जाने के बाद भी, हम अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने और लोगों की सेवा करने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि शपथ लंबित है.”
बनर्जी और भगवंतगोला सीट से जीतने वाले हुसैन ने स्पीकर के समक्ष शपथ लेने की मांग की है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को राज्य सचिवालय में मीडिया को संबोधित करते समय बोस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राज्यपाल शपथ की अनुमति नहीं दे रहे हैं और राजभवन में जिस तरह से चीजें हो रही हैं, महिलाएं वहां जाने में सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं.
दिप्रिंट से बात करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील बी. बसु मलिक ने कहा, “ऐसा कभी नहीं सुना गया कि शपथ ग्रहण का स्थान संवैधानिक प्रमुख और राजनीतिक दल के बीच गतिरोध का मुद्दा बना हो. विधायक शपथ लिए बिना विधानसभा सत्र में शामिल नहीं हो सकते, लेकिन यह स्थिति अभूतपूर्व है.”
उन्होंने कहा, “राज्यपाल एक संवैधानिक प्रमुख हैं और उन्हें मुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को शपथ दिलानी होती है, लेकिन वे विधायकों को शपथ दिलाने के लिए स्पीकर या डिप्टी स्पीकर को नियुक्त कर सकते हैं.”
राज्यपाल बोस ने शपथ ग्रहण की नई तारीख जारी नहीं की है, क्योंकि दोनों विधायक बुधवार को निर्धारित शपथ ग्रहण के समय नहीं पहुंचे. उन्होंने शुक्रवार को अपने बयान में कहा, “भगवान बंगाल के मेरे प्यारे लोगों की मदद करें और उन्हें इस बेतुकी हरकत को सहने की शक्ति दें. लोग प्रगति, विकास, जवाबदेही, पारदर्शिता और हिंसा-मुक्त और भ्रष्टाचार-मुक्त बंगाल चाहते हैं. उन्हें यह सुनिश्चित करना मुख्यमंत्री का कर्तव्य है. मैं अपने लोगों के साथ हूं और हमेशा उनके साथ रहूंगा, चाहे कुछ भी हो जाए.”
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