मुंबई: कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अगले महीने जब महाराष्ट्र में प्रवेश करेगी तब या तो शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे या फिर उनके पुत्र आदित्य ठाकरे इसमें शामिल होंगे. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.
शिवसेना की तरफ से यात्रा में शामिल होने की पुष्टि कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल के ठाकरे से उनके मुंबई स्थित आवास मातोश्री में मुलाकात करने और उन्हें महाराष्ट्र में इसमें शामिल होने का न्यौता दिए जाने के एक दिन बाद की गई है. पिछले हफ्ते 1,000 किलोमीटर से अधिक का सफर पूरा कर चुकी भारत जोड़ो यात्रा का महाराष्ट्र चरण 6 नवंबर से शुरू होगा.
कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी एच.के. पाटिल की अगुआई वाले प्रतिनिधिमंडल—जिसमें बालासाहेब थोराट और अशोक चव्हाण जैसे वरिष्ठ पार्टी नेता शामिल थे—ने यशवंतराव चव्हाण सेंटर में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार से भी मुलाकात की और उन्हें 3,570 किलोमीटर की यात्रा में शामिल होने का न्यौता दिया.
कांग्रेस के एक सूत्र ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि ठाकरे ने पार्टी नेताओं से कहा कि अगर वह और उनके बेटे दोनों यात्रा में शामिल नहीं हो पाए तो उनमें से कोई एक तो अवश्य ही शिवसेना की उपस्थिति सुनिश्चित करेगा. सूत्र ने कहा कि इसी तरह, पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने भी यात्रा में शामिल होने का वादा किया है.
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने दिप्रिंट को बताया, ‘राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर हैं और हम अपने सहयोगियों और दोस्तों को इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं. रोजाना लाखों लोग राहुल गांधी के साथ जुड़ रहे हैं. हम नहीं चाहते कि कल कोई हमसे यह कहे कि वे इसमें शामिल होना चाहते हैं लेकिन हमने उन्हें आमंत्रित नहीं किया.’
भारत जोड़ो यात्रा फिलहाल आंध्र प्रदेश चरण में है और एक बार नांदेड़ में देगलुर—वरिष्ठ नेता अशोक चह्वाण के गृह क्षेत्र—के रास्ते महाराष्ट्र में प्रवेश करने के बाद अगले 16 दिनों में यहां 383 किलोमीटर की दूरी तय करेगी और फिर मध्य प्रदेश रवाना हो जाएगी.
उम्मीद है कि राहुल गांधी पूरे महाराष्ट्र में अपनी यात्रा के दौरान 10 जनसभाओं को संबोधित करेंगे.
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ठंडे रिश्तों से बढ़ती नजदीकियों तक
शिवसेना के साथ गठबंधन के खिलाफ होने से लेकर महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की सरकार बनाने और ठाकरे को अपनी यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित करने तक राहुल गांधी ने शिवसेना नेता के साथ रिश्तों का एक लंबा सफर तय किया है.
2019 में राहुल ने कथित तौर पर विचारधारा के आधार पर शिवसेना के साथ गठबंधन का विरोध किया था और दिवंगत अहमद पटेल जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से नाराज भी हो गए थे, जिन्होंने इसमें मध्यस्थता की थी.
हालांकि, जैसे-जैसे समय बीतता गया, राहुल गांधी अपना रुख नरम करते नजर आए—खासकर तब जब शिवसेना और उसके पुराने सहयोगी दल भाजपा के बीच कड़वाहट बढ़ती जा रही थी और यह भी कि शिवसेना की तरफ से उनकी प्रशंसा की गई.
दोनों पार्टियों के बीच बढ़ती नजदीकी तब और स्पष्ट दिखी जब गठबंधन के दो महीने बाद जनवरी 2020 में आदित्य ठाकरे ने दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की.
इस माह के शुरू में शिवसेना की दशहरा रैली के दौरान अपने भाषण में उद्धव ने कहा कि जब उनके अपने लोगों ने उन्हें ‘धोखा’ दिया, तो वह सोनिया गांधी और शरद पवार ही थे जो उनके साथ खड़े रहे.
उनका यह भाषण आंतरिक टकराव के करीब दो माह बाद आया था जिसकी वजह से ही शिवसेना दो फोड़ हो गई थी और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए की सरकार गिर गई और बगावत करने वाले शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने भाजपा के साथ नई सरकार बना ली.
इस बीच, अंधेरी ईस्ट उपचुनाव में कांग्रेस की तरफ से शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की उम्मीदवार रुतुजा लटके को अपना समर्थन दिए जाने की घोषणा के बाद उद्धव ने कथित तौर पर सोनिया को फोन करके आभार जताया.
उधर, राहुल गांधी ने अगस्त में गिरफ्तार शिवसेना सांसद संजय राउत के समर्थन में आवाज उठाई और सत्तारूढ़ भाजपा पर राजनीतिक बदले की कार्रवाई का आरोप लगाया.
मुंबई के पात्रा चॉल प्रोजेक्ट को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में राउत की गिरफ्तारी के तुरंत बाद 1 अगस्त को राहुल गांधी ने एक ट्वीट कर कहा, ‘राजा’ का संदेश स्पष्ट है—जो कोई भी मेरे खिलाफ बोलेगा, उसे खामियाजा भुगतना पड़ेगा. सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर विरोधियों का मनोबल तोड़ने और सच्चाई की आवाज को दबाने के प्रयास जारी हैं.’
हालांकि, बढ़ती नजदीकी के बावजूद राहुल गांधी कभी भी मुंबई में उद्धव ठाकरे से मिलने नहीं गए, यहां तक कि एमवीए गठबंधन के गठन के बाद भी नहीं.
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