नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने गुरुवार को कहा कि वे अगले महीने अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल नहीं होंगे और ऐसे मामले पर सार्वजनिक रूप से फैसले की घोषणा करने वाले पार्टी के पहले नेता बन गए हैं, जिसने आलाकमान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
केरल में कांग्रेस मुख्यालय के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए तिरुवनंतपुरम के सांसद ने कहा कि वह आस्था के मामलों को व्यक्तिगत मानते हैं और मंदिरों को “राजनीतिक रंगमंच” के मंच के बजाय “परमात्मा से जुड़ने” का स्थान मानते हैं.
थरूर ने संवाददाताओं से कहा, “मैं एक दिन राम मंदिर ज़रूर जाऊंगा, लेकिन उद्घाटन जैसे भव्य राजनीतिक समारोह के दौरान नहीं और चुनाव से पहले नहीं, ताकि मेरे जाने पर कोई राजनीतिक बयान न दिया जाए.” उन्होंने अपना ये बयान सोशल मीडिया साइट एक्स पर भी पोस्ट किया है.
थरूर, जिन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ असफल रूप से चुनाव लड़ा था, ने कहा कि 22 जनवरी को अयोध्या में उद्घाटन को राजनीतिक रूप से नहीं देखा जाना चाहिए या इसका दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र, जो मंदिर के निर्माण और प्रबंधन के लिए केंद्र द्वारा स्थापित ट्रस्ट है, ने खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी के लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी को उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया है.
थरूर ने कहा कि आमंत्रित लोगों को “व्यक्तिगत विकल्प चुनने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए, न कि अगर वे नहीं जाते हैं तो उन्हें हिंदू विरोधी बताया जाना चाहिए या अगर वे जाते हैं तो वे भाजपा के हाथों में खेल रहे हैं”. उनकी टिप्पणी उस दुविधा को परिभाषित कर रही है जिसका सामना कांग्रेस नेतृत्व अब कर रहा है.
थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें उद्घाटन समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया है. उनकी टिप्पणी राम मंदिर पर कांग्रेस के विदेशी विंग के प्रमुख सैम पित्रोदा के विचारों की सत्तारूढ़ भाजपा और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की तीखी आलोचना के एक दिन बाद आई है.
2024 के चुनावों से पहले एक मुद्दे के रूप में राम मंदिर की प्रासंगिकता के बारे में बोलते हुए, पित्रोदा ने कहा था: “क्या राम मंदिर असली मुद्दा है? या बेरोज़गारी एक वास्तविक मुद्दा है? राम मंदिर असली मुद्दा है या महंगाई? क्या राम मंदिर असली मुद्दा है या दिल्ली में वायु प्रदूषण असली मुद्दा है?”
उन्होंने कहा कि जब एक देश राम मंदिर में शामिल होता है तो उन्हें परेशानी होती है. पित्रोदा ने कहा, “मेरे लिए धर्म एक व्यक्तिगत चीज़ है. इसे राष्ट्रीय एजेंडे के साथ भ्रमित न करें.”
भाजपा सांसद सुशील मोदी ने पलटवार करते हुए कहा, “सैम पित्रोदा जैसे लोगों को हमारी संस्कृति के बारे में कोई जानकारी नहीं है,” जबकि विहिप अध्यक्ष आलोक कुमार ने उनकी टिप्पणियों को इस बात की पुष्टि बताया कि “कांग्रेस भगवान राम से दूरी बनाए रखती है.”
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उद्घाटन में शामिल होंगी सोनिया गांधी?
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पिछले हफ्ते कहा था कि या तो सोनिया गांधी या उनकी ओर से एक प्रतिनिधिमंडल उद्घाटन में शामिल होगा. उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को लेकर “सकारात्मक” थीं.
हालांकि, कांग्रेस महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल ने यह स्पष्ट करने से इनकार कर दिया है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष इस कार्यक्रम में शामिल होंगे या नहीं. उन्होंने कहा, “आपको 22 तारीख को पता चल जाएगा. उन्होंने हमें आमंत्रित किया और आंमंत्रित करने के लिए हम उनके आभारी हैं.”
इस बीच, विपक्षी इंडिया गुट के कई सहयोगियों ने कहा है कि वे इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे.
सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि यह आयोजन “लोगों की धार्मिक आस्था का सीधा राजनीतिकरण है जो संविधान के अनुरूप नहीं है”. उन्होंने निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है.
1990 के दशक में मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालीं, लेकिन अब विपक्ष में रहने वाली शिवसेना ने भी इसे “भाजपा का कार्यक्रम” बताते हुए इस कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया है.
शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा, “यह सब राजनीति है…कौन भाजपा के कार्यक्रम में शामिल होना चाहता है? यह कोई राष्ट्रीय कार्यक्रम नहीं है. यह भाजपा का कार्यक्रम है.” उन्होंने कहा कि पार्टी नेता “निश्चित रूप से मंदिर जाएंगे, लेकिन उद्घाटन के बाद”.
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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