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Thursday, 19 December, 2024
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किशोर कार्यकर्ता, ‘उग्र’ वक्ता, ‘धोखेबाज़’ — चैथरा कुंडापुरा को उनके गृहनगर में लगभग हर कोई जानता है

बीजेपी के टिकट का वादा करके बेंगलुरु के एक व्यवसायी से 5 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में जेल में बंद कुंडापुरा, उडुपी की रहने वाली है. उसने 2020 में ‘काले जादू’ को ‘लव जिहाद’ से जोड़ते हुए एक किताब लिखी थी.

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उडुपी: वर्तमान में स्वयंभू हिंदुत्व विचारक चैथरा कुंडापुरा जो कि इस समय जेल में हैं, उसके द्वारा लिखित ‘प्रेमा पाशा (कन्नड़ फॉर लव लूप या प्रेम जाल)’ नामक 2020 की किताब के अनुसार, ‘काला जादू’ हिंदू महिलाओं को परिवर्तित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तरीकों में से एक है.

वो किताब जो पूरी इस विषय को समर्पित है में लिखा है, “इस पर विश्वास करें या नहीं. ‘लव जिहाद’ के मामलों में काला जादू एक महिला का ब्रेनवॉश करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तरीकों में से एक है. आप इसे अंधविश्वास और बचकाना कह सकते हैं, लेकिन ये सच है.”

जब यह किताब छपी थी तब कुंडापुरा 25 साल के थे.

एक चैप्टर ‘लव जिहाद’, हिंदू महिलाओं को लुभाने के लिए मोबाइल, इंटरनेट और कॉलेज कैंपस का उपयोग कैसे किया जाता है, ‘लव जिहाद’ पर फिल्मों का प्रभाव और इस ‘साजिश’ के बारे में जागरूकता कैसे बढ़ाई जाए, सहित अन्य विषयों से संबंधित हैं.

10 मई के विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी के टिकट के वादे पर बेंगलुरु के एक व्यवसायी से 5 करोड़ रुपये की ठगी करने की आरोपी कुंडापुरा उग्र भाषणों में मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए जाने जाते हैं.

हालांकि, जैसा कि बाद में पता चला, वो एक मुस्लिम दोस्त थी — कांग्रेस नेता सुरैया अंजुम — जिससे कुंडापुरा ने कथित तौर पर शरण मांगी थी क्योंकि वो मामले में गिरफ्तारी से बचने की कोशिश कर रही थी (अंजुम ने उसे शरण देने से इनकार किया है).

कुंडापुरा को 12 सितंबर को बेंगलुरु से लगभग 400 किलोमीटर दूर उडुपी से गिरफ्तार किया गया था.

उस पर राज्य भर में कुल मिलाकर 11 मामले दर्ज हैं, जिनमें अभद्र भाषा से लेकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने तक के मामले शामिल हैं.

उडुपी के कुंडापुरा शहर की मूल निवासी चैथरा कुंडापुरा एक समय हिंदुत्व समर्थक कार्यक्रमों में सबसे प्रसिद्ध वक्ताओं में से एक थीं, लेकिन अब अल्पसंख्यकों के खिलाफ उसकी घृणित बयानबाजी के लिए उन्हीं हलकों में उपहास का पात्र बन गई हैं.

दिप्रिंट को उनके गृहनगर के दौरे पर जाने से पता चला कि इन आरोपों से कि उन्होंने अपनी कथित धोखाधड़ी की चाल में संघ के नाम का इस्तेमाल किया और उससे मामले में कोई मदद नहीं मिली.

हालांकि, उसकी मां कुंडापुरा के खिलाफ आरोपों पर विश्वास करने से इनकार करती है. वो कहती हैं कि उनकी बेटी ने “बलिदान” दिया है. उन्होंने आगे कहा, “ज्यादातर लोग उसकी वृद्धि से ईर्ष्या करते थे”.


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‘भुगतान वक्ता’

स्थानीय हिंदुत्व समूहों के सदस्यों के अनुसार, कुंडापुरा को जिले में दिए गए प्रत्येक भाषण के लिए लगभग पांच हज़ार रुपये का भुगतान किया गया था, जो कि ध्रुवीकृत तटीय कर्नाटक क्षेत्र का हिस्सा है और राज्य के अन्य क्षेत्रों में 25,000-30,000 रुपये तक का भुगतान किया गया था.

ऐसे आयोजनों के पोस्टर कुंडापुरा को दिखाने के लिए डिज़ाइन किए गए थे — जिन्हें अक्सर — शेरों और बाघों के बगल में भगवा पगड़ी (टोपी) पहने देखा जाता है. कुंडापुरा को मंच तक ले जाने के लिए भगवाधारी युवकों ने मानव श्रृंखला बनाई और कार्यक्रमों की क्लिप संगीत के साथ संपादित की गईं और सोशल मीडिया पर साझा की गईं.

सत्यजीत सुरथकल जिन्होंने संघ परिवार में कई साल बिताए और अब सामाजिक कार्यों से जुड़े संगठन नारायण गुरु विचार वेदिके के प्रदेश अध्यक्ष हैं ने दिप्रिंट से कहा, “पिछले 10 साल में जब हिंदुत्व के मु्द्दों में उछाल आया, तो भाषणों के लिए पैसे देने की यह प्रथा शुरू हुई.”

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के स्थानीय नेता सुरेश के ने कहा कि चैथरा कुंडापुरा ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाकर और हिंदुत्व की बहस को जीवित रखकर अपना नाम बनाया.

उन्होंने कहा, “वो सभी पैसे लेकर बोलने वाले वक्ता हैं. उन्होंने सभी हिंदुत्व समर्थक कार्यक्रमों में बात की, लेकिन उनमें से कोई भी हाल के चुनावों में भाजपा के लिए स्टार प्रचारक नहीं था. यह किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसका पार्टी से कोई आधिकारिक संबंध नहीं है, ऐसी बातें कहने के लिए प्रेरित करना है जो वे (भाजपा) वास्तव में कहना चाहते हैं.”

जिले के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता अमृत शेनॉय ने कहा, “ऐसे लोगों के लिए उनके खिलाफ मामला दर्ज करना सम्मान के तमगे की तरह था, जिससे इन हलकों में उनका मूल्य बढ़ गया.”

अक्टूबर 2021 में कुंडापुरा ने अपना सबसे कुख्यात भाषण दिया, जिससे क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव फैल गया.

उन्होंने कहा, “केवल 23 प्रतिशत (जनसंख्या के) के साथ अगर आप (मुसलमान) इतने अहंकारी हैं, तो कल्पना करें कि हिंदुओं, जो 70 प्रतिशत हैं, को कितना अहंकार दिखाना चाहिए. यह अंतिम चेतावनी है.”

कुंडापुरा ने आगे कहा, “अगर आप लव जिहाद रोक देंगे तो आप जीवित रह सकते हैं.” अगर 70 प्रतिशत हिंदू 23 प्रतिशत मुसलमानों को बदलने का फैसला करते हैं, उनसे प्यार करने का फैसला करते हैं, तो केवल दो दिन ही काफी हैं और आप किसी मुस्लिम घर में एक भी बुर्का नहीं देखेंगे. हम सभी मुस्लिम लड़कियों के माथे पर कुमकुम (सिंदूर) लगाएंगे.”

2022 की शुरुआत में भगवा पहने स्कूल के स्टूडेंट्स द्वारा इस पंक्ति का बार-बार उपयोग किया गया था जब तत्कालीन बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने सरकार द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था.

उडुपी निवासियों का कहना है कि कुंडापुरा व्यक्तिगत रूप से इनमें से किसी भी विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हुईं, लेकिन उन्होंने अपने कुछ विचार ऑनलाइन साझा किए थे.

घटनाक्रम से वाकिफ एक निवासी ने पहचान ज़ाहिर न करने की शर्त पर कहा, “हिजाब विरोध प्रदर्शन के दौरान, वो (कुंडापुरा) किसी भी विरोध प्रदर्शन में नहीं देखी गई, खासकर उडुपी शहर में, क्योंकि यशपाल सुवर्णा वहां इसका नेतृत्व कर रहे थे.”

तत्कालीन उडुपी विधायक रघुपति भट्ट के करीबी सहयोगी यशपाल सुवर्णा विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे और बाद में उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का टिकट मिला.

निवासी ने कहा, “वे कुंडापुरा सरकारी स्कूल भी नहीं गई, जो उसके घर से बमुश्किल कुछ सौ मीटर की दूरी पर है.”

अपनी ओर से भाजपा ने खुद को कुंडापुरा से दूर कर लिया है.

बोम्मई ने 14 सितंबर को मंगलुरु में संवाददाताओं से कहा, “इस मुद्दे (चैथरा कुंडापुरा) और हमारे बीच कोई संबंध नहीं है. हमारा स्पष्ट रुख यह है कि इसमें शामिल सभी लोगों के नाम सामने आने चाहिए, एक व्यापक जांच की जानी चाहिए और इसमें शामिल सभी लोगों को दंडित किया जाना चाहिए.”


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‘शैतानी दिमाग’

कुंडापुरा के पिता एक होटल में काम करते हैं और उसकी दो बहनें हैं. उसकी बड़ी बहन एक टीचर है और शादीशुदा है, जबकि छोटी बहन पढ़ रही है. उसका जीजा एक सहकारी बैंक में मैनेजर है.

कुंडापुरा का घर ढूंढना मुश्किल है, भले ही इस अनोखे शहर में इसी नाम से अधिकांश लोग उसके बारे में जानते हों.

चिकन साल रोड पर एक दोपहिया वाहन मैकेनिक की दुकान के ठीक पीछे, एक संकरा रास्ता उसके घर की ओर जाता है. उसकी गिरफ्तारी के बाद से उसके माता-पिता शायद ही कभी घर पर रहे हों और उनके दरवाजे पर मीडिया कर्मियों की भीड़ उमड़ पड़ी हो.

कुंडापुरा की मां रोहिणी ने अपने घर के पास दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, “ज्यादातर लोग उसकी प्रगति से ईर्ष्या करते थे. हमें ऐसा लगता है कि उस पर कई बुरी नज़रें थीं और उसकी बलि दे दी गई है.”

रोहिणी ने कहा कि बेटी ने “हमें कभी कुछ नहीं बताया कि उसने क्या किया और न ही हमने पूछा”. उन्होंने कहा, “हम जो कुछ भी जानते हैं (गिरफ्तारी और मामले के बारे में) वो टीवी से है.”

उसका बचपन साधारण था और उन्होंने कुंडापुरा के सरकारी गर्ल्स स्कूल में पढ़ाई की. उनके बोलने के कौशल का पता उनके कॉलेज के दिनों में चला, जब उन्होंने कई कार्यक्रमों में भाग लिया.

यही वो समय था जब वह पहली बार सड़कों पर उतरी और तुरंत कुख्याति प्राप्त करने लगी.

2014 में वो उन लोगों में शामिल थीं, जिन्होंने एक युवा कॉलेज छात्रा रत्ना कोठारी की नृशंस हत्या का विरोध किया था, जो बिंदूर में मृत पाए जाने से पहले लापता हो गई थी.

कहा जाता है कि उस समय कुंडापुरा एक किशोरी थी और तटीय जिले में आगामी विरोध प्रदर्शनों में दूसरों से आगे निकल गई थी.

उन दिनों कुंडापुरा को जानने वाले लोगों ने कहा, आरएसएस की छात्र शाखा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में अपने समकालीनों के साथ “कड़वे संघर्ष में व्यस्त” कुंडापुरा को इन विरोध प्रदर्शनों में समूह से आगे बढ़ने का मौका मिला.

अगले साल वो सबसे मुखर प्रदर्शनकारियों में से एक थी जब एक अन्य किशोरी, अक्षता देवाडिगा, कोठारी के समान परिस्थितियों में मृत पाई गई थी.

कुंडापुरा उन लोगों में से थे जिन्होंने हत्या को ‘लव जिहाद’ के रूप में चित्रित किया, हालांकि, दो दिन बाद, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के. अन्नामलाई – जो अब तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष हैं – ने इस अपराध के लिए दो हिंदू लड़कों को गिरफ्तार किया.

उनके भाषणों ने उन्हें जीवन से भी बड़ा चरित्र बना दिया, जिसकी हिंदुत्व समर्थक नेटवर्क में कई युवाओं ने सराहना की. यह पत्रकारिता में उसके करियर के साथ आया, जिसमें उन्होंने समया टीवी और स्पंदना टीवी के लिए एंकर के रूप में काम किया.

यहीं पर उसकी मुलाकात धोखाधड़ी मामले में अपने एक कथित साथी श्रीकांत और अंजुम से हुई.

बजरंग दल के एक वरिष्ठ जिला-स्तरीय पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “उनके भाषणों ने इतनी लोकप्रियता हासिल की कि उन्होंने अपना खुद का संगठन भी शुरू कर दिया…मुझे लगता है कि इसे युवा शक्ति कहा जाता था, लेकिन यह चल नहीं सका.”

उन्होंने झंडे, झंडियां और केसरी शॉल बेचने का व्यवसाय भी शुरू किया, लेकिन ऐसा पता चला है कि उनके सार्वजनिक भाषण की मांग अधिक थी.

बजरंग दल के सदस्य ने कहा, “विहिप (विश्व हिंदू परिषद), हिंदू जागरण वेदिके, बजरंग दल ने उन्हें हमारे कार्यक्रमों के लिए बुलाया. पहले, यह आसपास के इलाकों से था और फिर अन्य जिलों से भी निमंत्रण आने लगे.”

उन्होंने कहा, दो साल पहले, कुंडापुरा को विहिप की महिला शाखा, दुर्गा वाहिनी में एक संगठनात्मक पद के लिए विचार किया गया था, लेकिन उन्हें केवल प्रतिकूल समीक्षा मिली.


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‘जब संघ को पता चला’

गोविंद बाबू पुजारी बेंगलुरु के एक प्रसिद्ध व्यवसायी हैं और बिंदूर में एक धर्मार्थ ट्रस्ट चलाते हैं.

दिप्रिंट के साथ एक संक्षिप्त बातचीत में पुजारी ने विस्तार से बताया कि कैसे कुंडापुरा ने उन्हें 5 करोड़ रुपये का चूना लगाने के लिए “विश्वनाथ जी” और “नायक जी” नामक दो पात्रों को “गढ़ा”.

दिप्रिंट द्वारा एक्सेस की गई एफआईआर के अनुसार, विश्वनाथ का किरदार चिकमंगलूर के एक निवासी ने निभाया था, जबकि नायक का किरदार एक स्ट्रीट चिकन स्टॉल विक्रेता ने निभाया था.

कुंडापुरा की गिरफ्तारी के तुरंत बाद, कन्नड़ टीवी चैनलों ने उडुपी के हिरियादका में एक निर्माणाधीन घर दिखाया जो कथित तौर पर उसके द्वारा बनाया जा रहा था.

लेकिन श्रीकांत की मां का कहना है कि 0.2 एकड़ का प्लॉट और घर उनके बेटे का था और निर्माण लागत सिर्फ 18 लाख रुपये थी, न कि 80 लाख रुपये, जैसा कि मीडिया में दिखाया गया है.

उनकी मां ने बताया कि श्रीकांत कुंडापुरा के निजी सहायक थे.

हालांकि, कुंडापुरा की मां इतनी निश्चित नहीं हैं. उन्होंने कहा, “वो टीवी पर यही कह रहे हैं…हम नहीं जानते.”

क्षेत्र के हिंदुत्व समर्थक नेताओं के अनुसार, कुंडापुरा के “कारनामों” की खबर लगभग दो महीने पहले संघ परिवार में शीर्ष स्तर तक पहुंच गई थी, जब पुजारी ने इस मुद्दे के बारे में वरिष्ठ भाजपा और आरएसएस नेताओं से संपर्क किया था.

एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “जैसे ही पुजारी को पता चला, उन्होंने सभी नेताओं से संपर्क किया और उन्हें सूचित किया. आरएसएस नेताओं ने कहा कि यह मुद्दा सामने आना चाहिए क्योंकि संगठन और प्रचारकों के नाम का दुरुपयोग किया गया है.”

सुरथकल ने कहा कि यह “एक अत्यंत दुर्भाग्य है कि ऐसे लोगों को प्रतीक बना दिया जाता है”. उन्होंने कहा, “उन्हें लगता है कि मुस्लिमों, ईसाइयों…कांग्रेस के बारे में बुरा बोलकर…उन्हें लगता है कि यह हिंदुत्व है…और लोगों ने उन्हें बोलने के लिए पैसे दिए.”

पुलिस और स्थानीय नेताओं का कहना है कि चैथरा 8 सितंबर को आधिकारिक शिकायत किए जाने से कई दिन पहले से ही फरार थी. जैसे ही शिकंजा कस गया, 12 सितंबर की रात लगभग 9.30 बजे, कुंडापुरा ने उडुपी में कृष्ण मठ में भागने का बेताब प्रयास किया.

लेकिन आखिरकार उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

कुंडापुरा और उसके छह सहयोगी और एक संत फिलहाल 8 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में हैं. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक करीब 80 फीसदी रकम बरामद कर ली गई है.

कानून-प्रवर्तन अधिकारियों का कहना है कि अन्य थाने जहां कुंडापुरा मामलों का सामना कर रही है, उनसे यह सुनिश्चित करने के लिए हिरासत की मांग की जा सकती है कि वो जेल में ही रहें, भले ही वह इस मामले में ज़मानत हासिल करने में सफल हो जाएं.

कम से कम दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि जांच जारी है और यह देखना बाकी है कि पूछताछ के दौरान और नाम सामने आते हैं या नहीं.

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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