गुरुग्राम: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मंगलवार को अपने कार्यालय में तीन महत्वपूर्ण नियुक्तियों में वीरेंद्र सिंह बड़खालसा को विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी), प्रवीण अत्रेय को मीडिया सचिव और तरुण भंडारी को राजनीतिक सचिव का पद सौंपा.
इनमें से भंडारी की नियुक्ति इसलिए भी चर्चा में हैं क्योंकि वह कांग्रेस के पूर्व नेता हैं, जो 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए थे. उन्हें कांग्रेस के प्रमुख नेताओं को भाजपा में शामिल कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला माना जाता है.
ये तीनों अधिकारी पहले मनोहर लाल खट्टर के सीएमओ में तैनात थे, बड़खालसा और अत्रेय उसी पद पर थे और भंडारी प्रचार सलाहकार के पद पर थे.
पंचकूला के निवासी भंडारी पहले पंचकूला नगर परिषद के अध्यक्ष रह चुके हैं और अक्टूबर 2019 तक हरियाणा कांग्रेस के कोषाध्यक्ष थे, इस पद पर उन्हें अशोक तंवर ने नियुक्त किया था, जो 2014 से 2019 तक पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष थे.
जब 2019 के चुनावों से पहले कुमारी शैलजा द्वारा तंवर को हरियाणा कांग्रेस प्रमुख के रूप में बदल दिया गया, तो भंडारी उनकी कोर टीम में जगह नहीं बना पाए. तंवर ने बाद में टिकट वितरण के मुद्दे पर कांग्रेस को अलविदा कह दिया और भंडारी ने भी पार्टी छोड़ दी.
वे 2019 के हरियाणा चुनावों से पहले तत्कालीन सीएम खट्टर की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए.
मीडिया खबरों की मानें तो पिछले साल फरवरी में, जब हिमाचल प्रदेश के छह कांग्रेस विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को वोट दिया था तो भंडारी ही वे व्यक्ति थे जिन्होंने पंचकूला में उनके सुरक्षित ठहरने और विधानसभा में भाग लेने के लिए शिमला की यात्रा सुनिश्चित की थी.
दिप्रिंट से बात करते हुए भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “भंडारी ने लगभग 100 प्रमुख कांग्रेस नेताओं को भाजपा में शामिल होने में मदद की है.”
तंवर खुद पिछले साल जनवरी में भाजपा में शामिल हुए थे और भंडारी को भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, खट्टर और सैनी के साथ एक तस्वीर में उनका स्वागत करते हुए देखा गया था. हालांकि, तंवर पिछले साल के अंत में कांग्रेस में वापस आ गए.
जब पिछले साल हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की पूर्व विधायक किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी भाजपा में शामिल हुईं, तो भंडारी को फिर से इस कदम के पीछे माना गया.
भाजपा में शामिल होने के समय अपने भाषण में भंडारी एकमात्र राज्य स्तरीय भाजपा नेता थे, जिनका किरण चौधरी ने सीएम सैनी और राज्य भाजपा प्रमुख मोहन लाल बडौली के अलावा आभार जताया था.
दिप्रिंट ने कॉल और टेक्स्ट मैसेज के ज़रिए भंडारी से संपर्क किया था. उनकी ओर से कोई भी जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
भंडारी और हिमाचल के विधायक
राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के छह विधायकों ने पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी के बजाय भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में क्रॉस-वोटिंग की, जिसके बाद उन्हें तुरंत पंचकूला भेज दिया गया, जहां उन्हें पहले राज्य के विश्राम गृह में रखा गया और बाद में कहीं और भेज दिया गया.
मीडिया खबरों के मुताबिक, पंचकूला में रहने के दौरान भंडारी हिमाचल के विधायकों के लगातार संपर्क में थे.
पिछले साल जून में, हिमाचल प्रदेश पुलिस ने भंडारी को एक नोटिस दिया था जिसमें उन्हें राज्य सरकार को अस्थिर करने की साजिश के संबंध में दर्ज एक एफआईआर के सिलसिले में शिमला में उनके सामने पेश होने के लिए कहा गया था.
भंडारी ने अग्रिम ज़मानत के लिए आवेदन किया और हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने बाद में उन्हें अंतरिम ज़मानत दे दी और उन्हें शिमला पुलिस के साथ जांच में शामिल होने के लिए कहा.
भंडारी बाद में जांच में शामिल होने के लिए शिमला में पुलिस के सामने पेश हुए, जो अभी भी जारी है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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