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Wednesday, 5 March, 2025
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तमिलनाडु की पार्टियां डिलिमिटेशन के खिलाफ एकजुट, दक्षिणी राज्यों के साथ जॉइंट एक्शन कमिटी बनाने की पहल

तमिलनाडु के सीएम स्टालिन के नेतृत्व में हुई सर्वदलीय बैठक में 63 आमंत्रित पार्टियों में से 58 ने भाग लिया. भाजपा के सहयोगी दल पुथिया तमिलगम, तमिल मनीला कांग्रेस, पुथिया नीधि काची और एनटीके ने इसमें हिस्सा नहीं लिया.

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चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में राज्य के विभिन्न दलों ने संसद क्षेत्रों के प्रस्तावित परिसीमन को लेकर जॉइंट एक्शन कमिटी (जेएसी) गठित करने पर सहमति जताई. इस समिति में सभी दक्षिणी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होंगे.

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) प्रमुख स्टालिन अन्य दलों और दक्षिणी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से संपर्क कर जेएसी में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे.

इस बैठक से कुछ घंटे पहले, स्टालिन ने तमिलनाडु में हिंदी थोपे जाने के मुद्दे को भी उठाया. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से तमिल को हिंदी के साथ आधिकारिक भाषा बनाने और तमिल को संस्कृत जैसी “मृत भाषा” की तुलना में अधिक धन आवंटित करने की मांग की.

उन्होंने लिखा,”संसद में सेंगोल स्थापित करने के बजाय, तमिलनाडु में केंद्र सरकार के कार्यालयों से हिंदी को हटाएं. खोखली प्रशंसा करने की बजाय, तमिल को हिंदी के बराबर आधिकारिक भाषा बनाएं और तमिल के लिए संस्कृत जैसी मृत भाषा से अधिक धन आवंटित करें.”

तमिलनाडु में 2026 विधानसभा चुनावों की तैयारी के तहत मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य के सभी राजनीतिक दलों (बीजेपी और उसके सहयोगियों को छोड़कर) को परिसीमन के मुद्दे पर पहले ही एकजुट कर लिया है. अब संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) के प्रस्ताव के जरिए उन्होंने दक्षिणी राज्यों में भी समर्थन जुटाने की कोशिशें तेज कर दी हैं.

बैठक में स्टालिन ने कहा कि परिसीमन केवल संख्या का मुद्दा नहीं, बल्कि तमिलनाडु के अधिकारों से जुड़ा मामला है. उन्होंने मांग की कि संसद में सांसदों की संख्या में कोई भी बदलाव 1971 की जनगणना के अनुपात के आधार पर हो, ताकि जनसंख्या नियंत्रण के कारण तमिलनाडु को नुकसान न उठाना पड़े.

उन्होंने कहा, “मैं सभी राजनीतिक दलों और नेताओं से अनुरोध करता हूं कि इस अहम मुद्दे पर एकजुट हों. यह तमिलनाडु सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है. मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस पर आवाज उठाएं. अगर परिसीमन मौजूदा जनसंख्या के आधार पर होता है, तो तमिल जनता का प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा.”

चेन्नई के राज्य सचिवालय के नमक्कल कविग्नर हॉल में आयोजित इस बैठक में सभी राजनीतिक दलों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि 1971 की जनसंख्या के आधार पर परिसीमन पर लगी रोक को 2026 के बाद भी जारी रखा जाए.

तमिलनाडु सरकार ने राज्य के सभी 63 राजनीतिक दलों को बैठक के लिए आमंत्रित किया था, जिसमें से 58 दलों ने भाग लिया। बीजेपी और उसके सहयोगी—के. कृष्णास्वामी की पुथिया तमिलगम, जीके वासन की तमिल मानिला कांग्रेस, एसी शन्मुगम की पुथिया नीधि कच्ची और नाम तमिलर कच्ची (एनटीके) ने इस सर्वदलीय बैठक में भाग नहीं लिया.

इस बीच, स्टालिन के संस्कृत पर दिए बयान पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष नारायणन तिरुपथी ने सवाल उठाया कि जब डीएमके केंद्र में यूपीए सरकार का हिस्सा थी, तब संस्कृत को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया था, लेकिन अब वह इसे “मृत भाषा” क्यों बता रही है?

“अगर डीएमके केंद्र की सत्ता में होती है, तो संस्कृत जीवित रहती है, लेकिन जब वह विपक्ष में होती है, तो संस्कृत मृत भाषा हो जाती है?” उन्होंने दिप्रिंट से बातचीत में कहा.

पार्टियों ने अलग-अलग चिंताएं व्यक्त कीं

संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) और प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया के खिलाफ प्रस्ताव का पूरा समर्थन करते हुए एआईएडीएमके के पूर्व मंत्री डी. जयकुमार ने बैठक में भाग लिया और मांग की कि संसद में तमिलनाडु का मौजूदा 7.2 प्रतिशत प्रतिनिधित्व कम नहीं किया जाना चाहिए.

विदुथलाई चिरुथैगल कच्ची (वीसीके) के नेता थोल थिरुमावलवन ने परिसीमन प्रक्रिया में दलितों और अल्पसंख्यकों के वोटों के बिखरने की आशंका जताई. उन्होंने कहा, “यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि परिसीमन की आड़ में ऐसा कुछ भी न हो। सभी राज्यों को अमेरिका की तरह समान सांसदों का प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए.”

पट्टाली मक्कल कच्ची (पीएमके) के नेता अंबुमणि रामदास ने भी राज्य सरकार की पहल का समर्थन किया और स्टालिन से अपील की कि वह व्यक्तिगत रूप से दक्षिणी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिलकर इस मुद्दे पर एकजुटता बनाएं.

बीजेपी, उसके सहयोगियों और नाम तमिलर कच्ची (एनटीके) के बैठक में शामिल न होने पर द्रविड़ कड़गम के नेता के. वीरमणि ने कहा कि इन दलों को समझना चाहिए कि परिसीमन सिर्फ एक पार्टी का नहीं, बल्कि पूरे राज्य का मुद्दा है.

इस बीच, अभिनेता से नेता बने विजय की तमिझगा वेत्री कज्जगम पार्टी ने बैठक में अपने महासचिव एन. आनंद को भेजा. हालांकि, बैठक शुरू होने से कुछ मिनट पहले ही विजय ने परिसीमन के खिलाफ बयान जारी किया.

उन्होंने कहा, “अगर केंद्र सरकार लोकसभा सीटों की संख्या घटाती है, तो यह तमिलनाडु और दक्षिणी राज्यों के लिए सजा होगी. साथ ही, उत्तर प्रदेश और बिहार सहित उत्तरी राज्यों में सीटों की संख्या भी नहीं बढ़ाई जानी चाहिए.”

स्टालिन ने हिंदी पर निशाना साधा

बैठक से कुछ घंटे पहले स्टालिन ने मांग की कि केंद्र तमिलनाडु में “हिंदी पक्षवाड़ा” पर पैसा बर्बाद करना बंद करे.

उन्होंने एक्स पर कहा,“तमिलनाडु में ‘हिंदी पखवाड़ा’ की बकवास पर करदाताओं के पैसे बर्बाद करना बंद करें. तमिलनाडु की ट्रेनों पर अंत्योदय, तेजस और वंदे भारत जैसे संस्कृत नाम थोपने की बेतुकी हरकतों को खत्म करें. चेम्मोझी, मुथुनगर, वैगई, मलाईकोट्टई, थिरुक्कुरल एक्सप्रेस आदि जैसे तमिल नामों को तमिल में नाम देने की प्रथा को फिर से शुरू करें.”

उन्होंने “(तमिल कवि) तिरुवल्लुवर के भगवाकरण के प्रयासों” को लेकर केंद्र सरकार पर कटाक्ष भी किया.

“तिरुवल्लुवर के भगवाकरण के हताशाजनक प्रयासों को रोकें और उनके कालातीत क्लासिक, थिरुक्कुरल को भारत की राष्ट्रीय पुस्तक घोषित करें. केंद्रीय बजट के दौरान कुरल (तिरुवल्लुवर द्वारा तमिल शास्त्रीय ग्रंथ) का जिक्र करने से काम नहीं चलेगा.

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के लिए विशेष योजनाएं, त्वरित आपदा राहत कोष और नई रेलवे परियोजनाएं सुनिश्चित करके उनका सम्मान करें. मंगलवार को भी सीएम ने एक्स पर हमला करते हुए भाजपा से हिंदी थोपने को रोकने के लिए कहा.

उन्होंने सवाल किया, “दक्षिण भारतीयों को हिंदी सिखाने के लिए दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की स्थापना हुए एक सदी बीत चुकी है. इन सभी वर्षों में उत्तर भारत में कितनी उत्तर भारत तमिल प्रचार सभाएं स्थापित की गई हैं?” स्टालिन ने कहा कि तमिल लोगों ने कभी यह मांग नहीं की कि उत्तर भारतीय उन्हें “संरक्षित” करने के लिए तमिल या कोई अन्य दक्षिण भारतीय भाषा सीखें: “हम केवल इतना चाहते हैं कि हम पर #StopHindiImposition. अगर भाजपा शासित राज्य 3 या 30 भाषाएं सिखाना चाहते हैं, तो उन्हें करने दें! तमिलनाडु को अकेला छोड़ दें!”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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