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Thursday, 21 November, 2024
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‘विश्वासघाती’ अन्नाद्रमुक को सबक सिखाया जाएगा, बुआ शशिकला मदद कर रही हैं : एएमएमके प्रमुख दिनाकरण

टी.टी.वी. दिनाकरण का कहना है कि उनकी पार्टी ही जयललिता की विरासत की असली हकदार है, और दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री की सहयोगी रहीं शशिकला राजनीतिक से ‘संन्यास’ लेने के बावजूद उनकी मदद कर रही हैं.

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कोयंबटूर: तमिलनाडु की दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की निकट सहयोगी रहीं वी.के. शशिकला, जो आय से अधिक संपत्ति मामले में अपनी सजा पूरी करके हाल ही में जेल से बाहर आई हैं, ने राज्य विधानसभा चुनाव के लिए जारी व्यापक चुनावी अभियान से खुद को दूर कर रखा है. लेकिन अम्मा मक्काल मुनेत्र कषगम (एएमएमके) के संस्थापक, अन्नाद्रमुक के पूर्व सांसद और शशिकला के भतीजे टी.टी.वी. दिनाकरण का कहना है कि वह अब भी चुनाव प्रचार पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं और उन्हें उम्मीदवारों पर ध्यान केंद्रित करने के संबंध में सलाह दे रही हैं.

दिनाकरण ने दिप्रिंट को दिए एक विस्तृत इंटरव्यू में कहा, ‘निश्चित तौर पर वह चुनावों पर नजर रखे हैं. वह मुझे जमीनी हकीकत और अपने सूत्रों के माध्यम से उपलब्ध सूचनाओं से अवगत करा रही हैं. जहां उन्हें लगता है कि उम्मीदवारों को ज्यादा ध्यान देना चाहिए, वह जानकारी भेजती हैं और मैं उसके अनुरूप कदम उठाता हूं.’

अन्नाद्रमुक से टूटे गुट को लेकर एएमएमके का गठन 2018 में हुआ था, दिनाकरण ने कहा कि अभिनेता विजयकांत की अगुवाई वाली डीएमडीके के साथ गठबंधन करके मैदान में उतरी उनकी पार्टी ही ‘अम्मा की सच्ची सरकार’ बनाएगी. राज्य की आम जनता और राजनीतिक दल जयललिता को इसी लोकप्रिय नाम से पुकारते थे.

उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री एडाप्पदी पलानीस्वामी (जिन्हें आम बोलचाल में ईपीएस कहा जाता है) और उनके डिप्टी ओ. पन्नीरसेल्वम (जिन्हें ओपीएस कहा जाता है) दोनों को सबक सिखाएंगे.

दिनाकरण ने यह दावा भी किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु के लोगों को नहीं समझते हैं और इसी वजह से यहां उनकी राजनीति काम नहीं करेगी.

उन्होंने कहा, ‘भाजपा भारत के बाकी हिस्सों में लोकप्रिय हो सकती है लेकिन तमिलनाडु के लोगों की नब्ज नहीं समझती है. आप तमिलनाडु में धर्म के साथ राजनीति नहीं कर सकते या उन पर कुछ थोप नहीं सकते. तमिलनाडु के लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे.’

…और नहीं हो पाया विलय

दिनाकरण की बुआ शशिकला को 2017 में अन्नाद्रमुक से निष्कासित कर दिया गया था. इस साल के शुरू में बेंगलुरु की जेल से रिहा होने पर शशिकला का चेन्नई में जोरदार स्वागत भी हुआ, लेकिन उन्होंने अचानक ही राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा करके तमाम लोगों को हतप्रभ कर दिया है.

कई लोगों ने शशिकला के राजनीति छोड़ने को भाजपा के दबाव का नतीजा बताया, लेकिन दिनाकरण ने इन अटकलों को बेबुनियाद करार देते हुए कहा कि यह फैसला उन्होंने खुद लिया है. उन्होंने कहा कि वह इसलिए पीछे हटीं ताकि अन्नाद्रमुक ‘बेवजह उनके बारे में बात न करे.’

फिर भी, शशिकला सुर्खियों में बनी हुई हैं, क्योंकि डिप्टी सीएम कह रहे हैं कि वह अन्नाद्रमुक की उनकी वापसी पर विचार करने को तैयार हैं.

एएमएमके के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि भाजपा ने तो अन्नाद्रमुक को विलय के लिए मनाने की कोशिश भी की, लेकिन उसने इसका कड़ा विरोध कर दिया. एक सूत्र ने तो यहां तक कहा कि दरअसल ‘ओपीएस तो इसके लिए तैयार थे लेकिन वो तो ईपीएस थे जो विलय नहीं चाहते थे.’

बहरहाल, दिनाकरण ने अन्नाद्रमुक में लौटने की संभावनाओं से इनकार किया. उन्होंने कहा, ‘मैंने या मेरी बुआ ने कभी भी उनकी पार्टी (अन्नाद्रमुक) में शामिल होने की इच्छा नहीं रखी; हमने इसके लिए कभी पहल भी नहीं की. लेकिन इन लोगों ने कहा कि वे उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेंगे. यह बात उन्हें काफी बुरी लगी और उन्होंने कहा कि कुछ समय राजनीति से दूर ही रहेंगी.

शशिकला की वापसी पर विचार करने को तैयार होने संबंधी ओपीएस के बयान पर, दिनाकरण ने कहा, ‘यह सब चुनावी डर का नतीजा है. उन्हें पता है कि वे चुनाव हारने वाले हैं, इसलिए हार के डर से ऐसा कह रहे हैं. क्योंकि, अगर ऐसा होता तो उन्हें बहुत पहले ही इसका एहसास हो चुका होता.’

‘द्रमुक दुष्ट पार्टी, अन्नाद्रमुक विश्वासघाती’

दिनाकरण का मानना है कि उनकी पार्टी ही जयललिता की विरासत की सही हकदार है, भले ही अन्नाद्रमुक उनके नाम और पार्टी चिह्न का इस्तेमाल करती है. उन्होंने कहा, ‘यह उनके बनाए रास्ते पर नहीं चल रही है. हमारी पार्टी का तो प्रतीक ही उनका भव्य चेहरा है.’

दिनाकरण को अपनी पार्टी की सरकार बनने का पूरा भरोसा है क्योंकि तमिलनाडु की जनता ‘बदलाव चाहती है’ और एक पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार के पक्ष में है.

जनमत सर्वेक्षणों में द्रमुक प्रमुख एम.के. स्टालिन मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं, लेकिन एएमएमके प्रमुख ने इन सर्वेक्षणों को ‘फर्जी’ बताते हुए खारिज कर दिया.

दिनाकरण ने कहा, ‘तमिलनाडु की जनता उन्हें कभी सत्ता में नहीं आने देगी. स्टालिन वास्तव में द्रमुक के ऐसे मुख्यमंत्री साबित होंगे जो तमिलनाडु में हर तरह के अत्याचारों को बढ़ावा देंगे.’

द्रमुक को एक बुरी ताकत करार देते हुए दिनाकरण ने कहा कि पार्टी कानून-व्यवस्था की कोई परवाह नहीं करती है और सिर्फ ‘अराजकता में भरोसा’ करती है, उन्होंने आगे कहा, ‘वे तो दुर्घटनावश सत्ता में आ गए हैं.’

दिनाकरण के लिए द्रमुक जहां बुरी ताकत हैं, वहीं अन्नाद्रमुक ‘विश्वासघाती’ है. उन्होंने कहा कि अन्नाद्रमक अम्मा के बताए रास्ते से भटक रहा है और अन्नाद्रमुक के शासनकाल में राज्य में नीट को मंजूरी देना और किसानों की अनदेखी किया जाना इसी का सबूत है.

दिनाकरण ने यह भी कहा कि ईपीएस मुख्यमंत्री बनने के अयोग्य थे.

उन्होंने कहा, ‘वह तो केंद्र सरकार से मिले समर्थन के कारण उन्होंने (ईपीएस) चार साल तक सत्ता चला ली. अन्यथा वह मुख्यमंत्री तो क्या नेता बनने के योग्य भी नहीं है. यह चुनाव दिखा देगा कि वह मुख्यमंत्री पद पर रहने के लायक नहीं हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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