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Monday, 16 September, 2024
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सुप्रिया सुले की आलोचक, होटल से विधायकों को ‘बचाने’ वालीं सोनिया दुहन ने छोड़ा एनसीपी (एसपी) का दामन

हरियाणा की नेता सोनिया दुहन, जो पहले एनसीपी (एसपी) की राष्ट्रीय युवा शाखा की अध्यक्ष थीं, ने कहा कि उन्होंने कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले के साथ मतभेदों के कारण मई में पार्टी छोड़ने का फैसला किया था.

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गुरुग्राम: हरियाणा से शरद पवार की वफादार सोनिया दुहन, जिन्होंने पांच साल पहले अपने कार्यों के लिए “लेडी जेम्स बॉन्ड” की उपाधि अर्जित की थी, ने कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले के साथ मतभेदों का हवाला देते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) छोड़ दी और मंगलवार को कांग्रेस में शामिल हो गईं.

दुहन 2019 में गुरुग्राम के एक होटल से एनसीपी के चार विधायकों को वापस लाने के लिए सुर्खियों में थीं, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के देवेंद्र फडणवीस अजीत पवार के समर्थन से महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कोशिश कर रहे थे.

32-वर्षीय सोनिया राष्ट्रीय राजधानी में तालकटोरा रोड पर सांसद दीपेंद्र हुड्डा के आधिकारिक आवास पर हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उदय भान और हरियाणा प्रभारी दीपक बाबरिया की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुईं.

दुहन ने पार्टी छोड़ने के कारण के बारे में दिप्रिंट से बात करते हुए आरोप लगाया, “सुप्रिया ताई एक असुरक्षित व्यक्ति हैं. वे पार्टी के भीतर अपने आसपास नेताओं को देखकर असुरक्षित महसूस करती हैं. उन्हें अपने आसपास निजी सहायक और वेतनभोगी कर्मचारी पसंद हैं. वे अपने सहायकों को चुनाव में उम्मीदवार बनाकर खुश हैं, जिन्हें वो 15,000 रुपये मासिक वेतन दे रही हैं, लेकिन वो अपनी पार्टी में नेताओं को नहीं देख सकती हैं. अगर उनकी पार्टी का कोई नेता बड़ा होने लगता है, तो वह असुरक्षित महसूस करती हैं.”

हिसार जिले के पेटवार गांव के मूल निवासी और वर्तमान में गुरुग्राम में रहने वाली दुहन पिछले कुछ महीनों से हरियाणा की नारनौंद विधानसभा सीट पर सक्रिय हैं और आगामी विधानसभा चुनाव इस निर्वाचन क्षेत्र से लड़ना चाहती हैं.

(From left to right) Bhupinder Singh Hooda, Sonia Doohan, Deepak Babaria and former minister Ashok Arora as Doohan joins the party on Tuesday | By Special Arrangement
(बाएं से दाएं) भूपेंद्र सिंह हुड्डा, सोनिया दुहन, दीपक बाबरिया और पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा, जब दुहन मंगलवार को पार्टी में शामिल हुईं | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट

दुहन ने इस साल मई में एनसीपी (सपा) छोड़ने के अपने इरादे तब ज़ाहिर किए थे, जब उन्होंने बारामती की सांसद सुले की आलोचना की थी. युवा मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरज शर्मा, जो 2019 में विधायकों को निकालने के लिए उनके ऑपरेशन के दौरान दुहन के साथ थे, ने पार्टी छोड़कर अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट में शामिल होने का फैसला किया था.

दुहन ने मंगलवार को दिप्रिंट से पुष्टि की कि उन्होंने मई में ही अपना मन बना लिया था, जब शर्मा ने सुले, जो शरद पवार की बेटी हैं, के साथ समस्याओं के कारण एनसीपी (सपा) छोड़ दी थी, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उस समय उनकी किसी अन्य पार्टी में शामिल होने की कोई योजना नहीं थी.

दुहन ने कहा कि उन्होंने और पार्टी के कुछ अन्य नेताओं ने समस्या का समाधान खोजने की बहुत कोशिश की थी और इस साल मई में संसदीय चुनावों में मतदान के बाद सुले से मिलने की मांग की थी.

सोनिया ने कहा, “हालांकि, जिस दिन हम मिलने वाले थे, उन्होंने मुझे फोन किया और कुछ ऐसी बातें कहीं, जिससे समाधान की कोई गुंजाइश नहीं बची. उस दिन, मैंने फैसला किया कि आखिरकार अब मुझे पार्टी छोड़नी होगी. मुझे पवार साहब (शरद पवार) से कोई परेशानी नहीं है, जिनका आशीर्वाद अभी भी मेरे साथ है, लेकिन सुप्रिया ताई के साथ तालमेल बिठाना असंभव हो गया था.”

सुले और उनके पीए सिद्धेश्वर शिम्पी ने दिप्रिंट के कॉल और मैसेज का जवाब नहीं दिया.

जब दिप्रिंट ने दुहन का ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित किया कि उनके एक्स पर की गई पोस्ट से पता चलता है कि वे पहले से ही कांग्रेस के कार्यक्रमों में सक्रिय थीं और यहां तक ​​कि दीपेंद्र हुड्डा की जनसभा में उनके अभियान “हरियाणा मांगे हिसाब” के तहत शामिल हुई थीं, तो उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस सांसदों की बैठक में इंडिया विपक्षी ब्लॉक के सदस्य के रूप में गई थीं.

उन्होंने कहा, “मेरा गांव, पेटवार, नारनौंद विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है. जब दीपेंद्र हुड्डा आए, तो मैं पार्टी के लिए इंडिया ब्लॉक के सह-संयोजक के रूप में बैठक में शामिल हुई थी.”

कौन हैं सोनिया दुहन?

दुहन का जन्म 13 सितंबर, 1992 को हिसार के पेटवार गांव में एक किसान परिवार में हुआ था. हिसार क्षेत्र में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, वे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में बीएससी करने के लिए अंबाला चली गईं. यहीं पर वह पहली बार राजनीति में शामिल हुईं और 21 वर्ष की आयु में अविभाजित एनसीपी में शामिल होने का फैसला किया.

दुहन पार्टी में तेज़ी से आगे बढ़ीं. उन्होंने शुरुआत में दिल्ली विश्वविद्यालय में दो चुनावों में एनसीपी की छात्र शाखा का नेतृत्व किया, पहले पार्टी की राज्य अध्यक्ष और बाद में राष्ट्रीय महासचिव बनीं. बाद में उन्हें एनसीपी की छात्र शाखा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया. (जुलाई 2023 में एनसीपी का विभाजन हो गया और अजित पवार को पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न मिला और शरद पवार गुट एनसीपी (एसपी) बन गया).

A file photo of Doohan with senior Congress leader Rahul Gandhi | By Special Arrangement
वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ दुहन की फाइल फोटो | स्पेशल अरेंजमेंट

यह 2019 की बात है, जब अजित पवार के समर्थन से फडणवीस ने सरकार बनाने की अल्पकालिक कोशिश की थी, तब दुहन ने सुर्खियां बटोरी थीं. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के पद पर अजित पवार के शपथ लेने के बाद एनसीपी के चार विधायक — नरहरि जिरवाल, दौलत दरोदा, अनिल पाटिल और नितिन पवार — गायब हो गए थे.

धीरज शर्मा के साथ दूहन ने गुरुग्राम के एक होटल से इन गायब विधायकों को ‘बचाने’ के लिए एक मिशन का नेतृत्व किया, जहां उन्हें कथित तौर पर भाजपा ने रखा हुआ था. इस ऑपरेशन में एनसीपी कार्यकर्ताओं ने होटल की निगरानी की और कार्रवाई के लिए सही समय का इंतज़ार किया. रैकी पूरी हो जाने के बाद, उन्होंने विधायकों को एक पीछे के गेट से बाहर निकाल लिया, जो सीसीटीवी कैमरों से लैस नहीं था. फिर सभी को सुरक्षित तरीके से एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के 6 जनपथ, नई दिल्ली स्थित आवास पर पहुंचाया गया.

जुलाई 2022 में एक अलग घटना में दुहन ने गोवा में इसी तरह के गुप्त ऑपरेशन चलाया था. उन्होंने उस होटल में जाने की कोशिश की, जहां शिवसेना के बागी विधायकों को तत्कालीन शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे के बीच विवाद के दौरान ठहराया गया था. फर्ज़ी पहचान पत्रों का इस्तेमाल करते हुए दुहन ने कड़ी सुरक्षा वाले होटल में एक कमरा बुक किया. हालांकि, उन्हें तब गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में एक अदालत ने उन्हें ज़मानत दे दी.

26 जनवरी 2023 को दुहन ने हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की सरकार में तत्कालीन राज्य मंत्री संदीप सिंह के एक कार्यक्रम में बाधा डाली, जब वे गणतंत्र दिवस पर कुरुक्षेत्र के पेहोवा में तिरंगा फहरा रहे थे.

गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम एक जूनियर एथलेटिक्स कोच की शिकायत पर यौन उत्पीड़न के लिए सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के ठीक बाद हुआ था.

दुहन ने कथित तौर पर सिंह से कहा, “साहब, रुकिए! आप ध्वजारोहण नहीं कर सकते. आप अपवित्र हैं.” पुलिस ने उन्हें जीप में कार्यक्रम स्थल से ले जाया.

बाद में उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि पुलिस उन पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करना चाहती थी, लेकिन खाप पंचायतों द्वारा आंदोलन की चेतावनी दिए जाने के बाद उन्होंने ऐसा नहीं किया.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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