नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दंगा और आगजनी के मामले हार्दिक पटेल की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी. उनके ऊपर पाटीदार कोटा आंदोलन के समय दंगा करवाने का आरोप है.
जस्टिस एस अब्दुल नजीर और विक्रम नाथ की बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट को इस पर रोक लगा देनी चाहिए थी. सुप्रीम कोर्ट हार्दिक पटेल की अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने साल 2015 में पाटीदार कोटा आंदोलन के दौरान दंगे और आगजनी के आरोप में दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की थी.
पटेल ने गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें हाईकोर्ट ने जेल की सजा को तो निलंबित कर दिया था लेकिन दोषिसिद्धि से मु्क्त नहीं किया था.
हार्दिक पटेल ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए दोषिसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की थी ताकि वे 2019 का चुनाव लड़ सकें. हालांकि, सुप्रीम कोर्टने इस मामले में त्वरित सुनवाई करने से मना कर दिया था.
वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने मामले सुनवाई की शुरुआत में अभिवेदन दिया कि पटेल को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उनके अधिकार का उल्लंघन है.
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक उल्लंघन है. मैं 2019 में चुनाव लड़ने का एक मौका पहले ही गंवा चुका हूं. हम अनुच्छेद 19(एक)(ए) के तहत अपने अधिकारों को लागू कराने के लिए आपके समक्ष आए हैं.उन्होंने पुलिस बल का दुरुपयोग किया है. मुझे नहीं पता कि उनका क्या कहना है, लेकिन महामहिम को जल्द ही इस मामले में फैसला करना चाहिए.
इसके बाद पीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा, ‘तथ्यों और परिस्थितियों पर गौर करने के बाद हमारा मानना है कि यह उच्च न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर रोक लगाए जाने का एक उचित मामला होता. दोषसिद्धि पर तब तक रोक लगाई जाती है, जब तक कि अपीलों पर तदनुसार निर्णय नहीं लिया जाता है.’
शीर्ष अदालत पटेल द्वारा गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दोषसिद्धि को निलंबित करने का अनुरोध किया गया था, ताकि वह 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ सकें.
यह भी पढ़ेंः हार्दिक पटेल ने दंगा मामले में दोषसिद्धि पर रोक के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया