नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 16 विधायकों के अयोग्य घोषित किए जाने के मामले को सात बेंच की संविधान पीठ को सौंप दिया है. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेजते हुए स्पीकर राहुल नार्वेकर की भूमिका पर सवाल उठाया कि भरत गोगावले (शिंदे गुट के नेता) को चीफ व्हिप नियुक्त करना गलत था.वहीं मुख्य सचेतक के रूप में उनकी नियुक्ति का स्पीकर का फैसला भी पूरी तरह से अवैध बताया है.
कोर्ट ने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे इस्तीफा नहीं देते तो उन्हें राहत मिल सकती थी.
सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए कहा, विधायकों की अयोग्यता का फैसला स्पीकर करेंगे. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्पीकर को राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए.
अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की भूमिका पर भी बड़ा सवाल उठाया है, उन्होंने भगत सिंह कोश्यारी के फैसले को भी गलत करार दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पिछले आठ महीने से एकनाथ शिंदे सरकार पर जो तलवार लटक रही थी उसे राहत मिली है.
फिलहाल एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों के भविष्य पर फैसला टल गया है. अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच शिवसेना विधायकों की अयोग्यता के मामले पर फैसला सुनाएगी. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले को सात जजों की बड़ी बेंच के पास भेज दिया है.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राज्यपाल के पास ऐसा कोई संचार नहीं था जिससे यह संकेत मिले कि असंतुष्ट विधायक सरकार से समर्थन वापस लेना चाहते हैं.
राज्यपाल ने शिवसेना के विधायकों के एक गुट के प्रस्ताव पर भरोसा करके यह निष्कर्ष निकाला कि उद्धव ठाकरे अधिकांश विधायकों का समर्थन खो चुके हैं.
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