नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अडाणी मामले में महत्वपूर्ण फैसला आया है. अडाणी ग्रुप और अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग के बीच उपजे विवाद की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक एक्सपर्ट कमेटी के गठन करने का निर्णय लिया है.
इस पर आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि अडाणी समूह के शेयरों में गिरावट समेत शेयर बाजार के विभिन्न नियामकीय पहलुओं की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा समिति गठित करने का आदेश नरेंद्र मोदी सरकार पर ‘‘जोरदार तमाचा’’ है.
आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने प्रेसवार्ता के दौरान आरोप लगाया, ‘‘इससे आज साबित हो गया कि मोदी सरकार भ्रष्ट और नकारा है.’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘यह मोदी सरकार पर जोरदार तमाचा है. अडाणी को बचाने के लिए मोदी किसी भी हद तक जा सकते हैं.’’
सिंह ने कहा कि विपक्षी दल अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग कर रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार ने इसे सिरे से खारिज कर दिया.
आप नेता ने कहा, ‘‘देश की शीर्ष अदालत को आखिरकार हस्तक्षेप करना पड़ा.’’
सुप्रीम कोर्ट ने अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में गिरावट तथा शेयर बाजार के विभिन्न नियामकीय पहलुओं की जांच के लिए बृहस्पतिवार को शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ए एम सप्रे की अगुवाई में एक समिति के गठन का आदेश दिया. समिति को अपनी रिपोर्ट दो माह के अंदर सीलबंद लिफाफे में देनी होगी.
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा तथा न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि समिति इस मामले में पूरी स्थिति का आकलन करेगी और निवेशकों को जागरूक करने और शेयर बाजारों की मौजूदा नियामकीय व्यवस्था को मजबूत करने के उपाय सुझाएगी.
पीठ ने केंद्र सरकार के साथ-साथ वित्तीय सांविधिक निकायों, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन को समिति को जांच में पूरा सहयोग देने का निर्देश दिया है.
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