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Tuesday, 25 June, 2024
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लिंगायत मठों से BJP को पहले जैसा समर्थन मुश्किल, समुदाय से कई बड़े नेता कांग्रेस में हुए हैं शामिल

लिंगायत समुदाय के मठ 10 मई को होने वाले मतदान से पहले कांग्रेस, भाजपा और जेडी(एस) के लिए महत्वपूर्ण बन गए हैं.

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हुबली (कर्नाटक) : कर्नाटक में दो शीर्ष लिंगायत तीर्थ स्थल, श्री सिद्धारूढ़ स्वामी मठ और मूरसवीर मठ एक बार फिर चुनावी राज्य में सत्ता की होड़ में लगे प्रमुख राजनीतिक शख्सियतों का ध्यान खींच रहे हैं.

यहां तक कि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके विरोधी- कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) (जेडीएस) विकास को लेकर एक-दूसरे के खिलाफ दावे कर रहे हैं और बाकी मुद्दे उठा रहे हैं जो 10 मई के चुनावी युद्ध से पहले चर्चा का अहम बिंदु बन गए हैं, राजनीतिक रूप से अहम लिंगायत समुदाय इन दलों के चुनाव प्रचार के केंद्र बन गए हैं.

वहीं जातीय गुणा-भाग करते समय इस दक्षिणी राज्य में चुनाव पूर्व इस तरह की राजनीतिक गतविधियों को प्रमुख कुंजी के तौर पर देखा जाता है, लिंगायत संतों और उनका आशीर्वाद भी कर्नाटक में अंतिम चुनावी परिणाम को प्रभावित करने में अहम होता है.

वहीं लिंगायत परंपरागत रूप से भगवा खेमे की ओर झुके हुए हैं, प्रतिद्वंद्वी भी 10 मई को होने वाले मतदान से पहले संतों और वोटरों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

एक साफ संकेत में भगवा पार्टी दोबारा सत्ता पाने के लिए एक बार फिर अपने पारंपरिक लिंगायत वोटबैंक की तरफ लौट रही है, भाजपा नेता महेश तेंगिंकाई ने अपना नामांकन पत्र दाखिल करने से पहले श्री सिद्धारूढ़ स्वामी मठ का दौरा किया.

हालांकि, उत्तरी कर्नाटक में दो लिंगायत मठ, जो कि जो 2018 में भाजपा को सत्ता में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, इस बार भगवा खेमे के लिए सुगम रास्ता सुनिश्चित करते नजर नहीं आ रहाे है, क्योंकि 10 मई को होने वाले चुनाव के लिए टिकट देने से मना किए जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार, पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी, नेहरू ओलेकर, एनवाई गोपालकृष्ण समेत कई शीर्ष भाजपा नेता, जो कि शीर्ष लिंगायत नेता माने जाते हैं, कांग्रेस में चले गए हैं.

उत्तरी कर्नाटक में कित्तूर कर्नाटक (मुंबई कर्नाटक) और कल्याण कर्नाटक (हैदराबाद कर्नाटक) क्षेत्र शामिल हैं, जिसमें 13 जिलें और 90 विधानसभा सीटें हैं.

इस समय, इन क्षेत्रों से बीजेपी के पास 52 सीटें हैं, जिसे लिंगायतों क गढ़ माना जाता है, जबकि यहां कांग्रेस के पास 22 और जेडीएस के पास 6 सीटें हैं.

हालांकि, कई लिंगायत दिग्गजों के भगवा खेमे को छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने से इन भगवा गढ़ों को बनाए रखना भाजपा के लिए निश्चित रूप से कठिन हो गया है.

100 साल पीछे लौटें तो श्री सिद्धारूढ़ स्वामी मठ का निर्माण श्री सिद्धारूढ़ स्वामी की स्मृति के सम्मान में किया गया था, जिन्होंने 1929 में ‘समाधि’ ली थी.

2019 में लोकमान्य गंगाधर तिलक ने इस मठ का दौरा किया था और 2024 में महात्मा गांधी ने.

यह सभी भक्तों के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल माना जाता है, सिद्धारूढ़ स्वामी मठ की देखभाल अब ट्रस्ट के अधिकारी कर रहे हैं.

लिंगायत मठों का राजनीतिक तौर पर देखें तो श्री सिद्धारूढ़ स्वामी मठ से जुड़े एक ट्रस्ट अधिकारी शेखर देव गौड़ा ने बताया कि राजनीतिक बंटवारे से ऊपर उठकर नेता अपनी कामना पूरी होने की उम्मीद में नियमित रूप से इन पवित्र स्थलों पर आते हैं.

उन्होंने कहा, ‘नेता यहां निजी फायदे या प्रचार के लिए नहीं आते हैं. उनका मानना ​​है कि हमारा आशीर्वाद लेने से वे जो कुछ भी हासिल करना चाहते हैं उसमें सफल होंगे. बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी जैसों ने इस मठ का दौरा किया है. हुबली दुनिया भर में सिद्धारूढ़ स्वामी मठ के घर के रूप में जाना जाता है. यह मठ और मूरसवीर मठ हुबली में दो सबसे प्रसिद्ध लिंगायत तीर्थ स्थल हैं और जब भी कोई नेता जिले में चुनाव अभियान शुरू करता है तो उससे पहले हमारा आशीर्वाद जरूर लेता है.’

गौड़ा ने कहा, ‘स्वामी जी (श्री सिद्धारूढ़ स्वामी) 1813 में रामनवमी के दिन पैदा हुए थे. भक्त उन्हें भगवान का अवतार मानते हैं. वह कर्नाटक  के बीदर जिले में पैदा हुए थे. उन्होंने देशभर में बड़े पैमाने पर यात्रा की और अपने गुरू के पास रहे. उन्होंने हुबली को अपना निवास स्थान बनाया और और अपने शिष्यों को वेदों का अपना विशाल ज्ञान देना शुरू किया. समय के साथ, उनके शिष्य उन्हें भगवान शिव का अवतार मानने लगे.’

देश के कोने-कोने से भक्त आए, न केवल राजनेता बल्कि काजोल और उनकी मौसी नूतन जैसी फिल्मी हस्तियों ने भी सिद्धारूढ़ स्वामी का आशीर्वाद लेने पहुंचीं.

उन्होंने कहा, ‘इससे पहले मूरसवीर मठ के गुरुसिद्ध राजयोगिंद्र स्वामी ने बीजेपी नेता महेश तेंगिंकाई की जमकर तारीफ की थी, जो हुबली-धारवाड़ केंद्रीय विधानसभा क्षेत्र से सत्तारूढ़ दल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, और भगवा पार्टी को अपना समर्थन दिया. उन्होंने कहा कि लिंगायत समुदाय के सभी लोग भाजपा के साथ हैं. महेश तेंगिंकाई जवान, ऊर्जावान नेता हैं जो ईमानदारी से समाज के लिए काम कर रहे हैं. हमारा आशीर्वाद उनके साथ है.’

उत्तरी कर्नाटक क्षेत्र में बेलगावी, बागलकोट, विजयपुर, कलबुर्गी, यादगिरि, गड़ग, हुबली-धारवाड़, हावेरी, बीदर, रायचूर, कोप्पल, विजयनगर और बेल्लारी जिला शामिल हैं. इन ज्यादातर जिलों में बीजेपी की सीधे लड़ाई कांग्रेस से है.

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