नई दिल्ली: कर्नाटक में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव जीतकर पहली महिला सांसद होने का इतिहास रचने वालीं अभिनेत्री से राजनेता बनीं सुमालता अंबरीश सदन में 50 प्रतिशत महिलाओं को देखने की ख्वाहिश रखती हैं.
कर्नाटक की मांड्या सीट से सांसद सुमालता ने कहा, ‘हमने लोकसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के बारे में बहुत बहस की है। लेकिन 50 फीसदी क्यों नहीं? मैं सदन में आधी महिला सदस्यों को देखना पसंद करूंगी.’
निचले सदन में अपने पहले दिन की तुलना स्कूल या कॉलेज के पहले दिन से करते हुए उन्होंने कहा कि वह सदन की औपचारिकताओं से परिचित होना सीख रही हैं.
वह कहती हैं कि एक निर्दलीय होने के नाते कई चुनौतियां हैं, लेकिन यह उन्हें एक विशेष पार्टी से बंधकर उसकी हर बात मानने के बोझ से मुक्त भी करता है और वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के मुद्दों को स्वतंत्र रूप से बिना किसी दबाव के उठा सकती हैं.
अपने संसदीय क्षेत्र में मौजूद मुद्दों को उठाने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि झीलों का पुनरुद्धार उनकी प्राथमिकता में है.
सुमालता ने कहा, ‘मैंने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान देखा कि कई झीलें सूख गई हैं. महिलाओं को अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी भरने के लिए कई मील पैदल चलना पड़ता है. मैं पहले ही जल शक्ति मंत्री से मुलाकात कर चुकी हूं और इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपा है.’
उन्होंने कहा, ‘मांड्या गन्ना उत्पादक क्षेत्र है. किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है. मैं इस मुद्दे को प्राथमिकता के साथ उठाना चाहती हूं. कनेक्टिविटी और सड़क बुनियादी ढांचे भी चिंता का एक विषय है जिस ओर मैं सरकार को ध्यान दिलाना चाहूंगी.’
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पिछले साल अपने पति, कन्नड़ अभिनेता-राजनेता अंबरीश को खो देने वालीं 55 वर्षीय सुमालता ने याद दिलाया कि राजनीति में उनका संयोगवश आना हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘वह मेरे पति थे जिन्होंने इस निर्वाचन क्षेत्र की देखरेख की थी. उनके समर्थकों ने उनके अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में भाग लिया, जो मुझे छू गया और मैंने चुनाव लड़ने का फैसला किया. मैंने जीत या हार की परवाह नहीं की. मुझे बस अपने पति की याद का सम्मान करना था.’
चूंकि पति कांग्रेस नेता थे, इसलिए सुमालता ने पार्टी से टिकट मांगा था. हालांकि, कांग्रेस ने जनता दल-सेकुलर (जेडी-एस) के साथ गठबंधन होने के चलते मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी के बेटे निखिल कुमारस्वामी को मैदान में उतारने का फैसला किया.
सुमालता ने कहा, ‘मैं मुख्यमंत्री के बेटे के खिलाफ चुनाव लड़ रहा थी, यह जीत के लिए एक लंबी लड़ाई थी. संसदीय क्षेत्र के आठ विधायक भी राज्य के सत्ताधारी दल से थे. मेरे खिलाफ एक जबरदस्त अभियान चलाया गया और मुझे बाहरी शख्स कहा गया था. चुनाव से कुछ महीने पहले ही राजनीतिक मैदान में मेरा उतरना हुआ.’
सांसद ने हालांकि कहा कि उन्हें अप्रत्याशित समर्थन मिला क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उनके खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा.
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सुमालता ने कहा, ‘मुझे अपने लोगों से अपार समर्थन मिला और मैं इसके लिए आभारी हूं. मैंने अपने पहले चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी को 1.2 लाख मतों से हराया था. पति के निधन के बाद मेरे लिए कुछ साफ नहीं समझ आ रहा था, लेकिन इस जीत से मुझे अपने पति की विरासत को आगे ले जाने की अपार आशा मिली है.’
सुमालता को अपने निर्वाचन क्षेत्र के मुद्दों को हल करने में केंद्र की भाजपा सरकार से समर्थन की उम्मीद है.
उन्होंने कहा कि वह मुद्दों के आधार पर पार्टियों को अपना समर्थन देंगी। सुमालता ने कहा, ‘मैं उन फैसलों का समर्थन करूंगी जो मेरे निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ कर्नाटक को भी लाभान्वित करते हैं.’
पेशे से एक अदाकारा, सुमालता ने सभी चार दक्षिण भारतीय भाषाओं के साथ-साथ हिंदी फिल्मों में भी काम किया है। उन्होंने 200 से अधिक फिल्मों में काम किया है. उन्होंने कहा, ‘फिल्म उद्योग में वापस जाना इस पर निर्भर करेगा कि मुझे किस तरह का काम मिलता है. लेकिन, अपने लोगों की सेवा करना पहले आता है और मैं अभी इस पर ध्यान केंद्रित करना चाहती हूं.’