नई दिल्ली: बहुचर्चित सेंगोल फिर से चर्चा में है, समाजवादी पार्टी के सांसद आर.के. चौधरी ने संसद में राजदंड की जगह संविधान रखने की मांग की है और इसे लोकतांत्रिक भारत में राजशाही का कालक्रमिक प्रतीक बताया है.
प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि मेहताब को लिखे उनके पत्र ने इंडिया ब्लॉक और एनडीए नेताओं के बीच वाक् युद्ध छेड़ दिया है.
सांसद के रूप में शपथ लेने के बाद चौधरी ने महताब को एक पत्र सौंपा, जिसमें स्पीकर की कुर्सी के बगल में सेंगोल की मौजूदगी पर सवाल उठाया गया.
मोहनलालगंज से सांसद चौधरी ने लिखा, “संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है, जबकि सेंगोल राजशाही का प्रतीक है. हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है, राजघराने की जगह नहीं. मैं अनुरोध करता हूं कि सेंगोल को हटा दिया जाए और उसकी जगह संविधान की एक बड़ी प्रतिकृति स्थापित की जाए.”
हालांकि, सेंगोल के बारे में अपनी टिप्पणी के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन के द्वारा उन पर किए गए हमले के बावजूद दलित नेता चौधरी अडिग दिखे.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “देश संविधान से चलेगा या ‘राजा के डंडे’ से. सेंगोल का मतलब है ‘राज दंड’ या ‘राजा का डंडा’. क्या यह देश संविधान से चलेगा या डंडे से? संविधान को बचाने के लिए संसद से सेंगोल को हटाना जरूरी है.”
#WATCH | Samajwadi Party Lok Sabha MP RK Chaudhary says, “The Constitution is the symbol of democracy. In its previous tenure, the BJP govt under the leadership of PM Modi installed ‘Sengol’ in Parliament. ‘Sengol’ means ‘Raj-Dand’. It also means ‘Raja ka Danda’. After ending the… pic.twitter.com/LXM8iS0ssO
— ANI (@ANI) June 26, 2024
पिछले साल इलाहाबाद संग्रहालय से सेंगोल को दिल्ली लाया गया था और मई में नवनिर्मित संसद भवन में स्थापित किया गया था. केंद्र सरकार ने तमिलनाडु के थेवरम के अधीनम और ओडुवार को उद्घाटन समारोह का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया था.
जब सपा सांसद के पत्र ने विवाद खड़ा कर दिया, तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चौधरी का बचाव करते हुए प्रधानमंत्री पर कटाक्ष किया.
कन्नौज के सांसद ने कहा, “हमारे सांसद ने यह मुद्दा इसलिए उठाया क्योंकि प्रधानमंत्री ने नई संसद में इसकी स्थापना के दौरान अपना सिर झुकाया था. लेकिन शपथ लेते समय वे यह भूल गए. शायद हमारे सांसद उन्हें याद दिला रहे थे.”
चौधरी को मीसा भारती, आरजेडी के मनोज झा और कांग्रेस की रेणुका चौधरी सहित इंडिया ब्लॉक के सहयोगियों का समर्थन मिला.
मीसा ने कहा, “सेंगोल को संग्रहालय में भेज देना चाहिए. यह लोकतंत्र का प्रतीक नहीं बल्कि राजशाही का प्रतीक है.”
झा ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए यह सुझाव उचित है. उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री का आचरण राजाओं जैसा है- आभूषण, कपड़े… संविधान की प्रतिकृति रखना बेहतर है. इससे देश चलाने में मदद मिलेगी.”
कांग्रेस की रेणुका चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, “समाजवादी पार्टी के सांसद की मांग अनुचित नहीं है. भाजपा ने दूसरों की राय लिए बिना संसद में सेंगोल स्थापित कर दिया. इस मुद्दे पर कोई आम सहमति नहीं थी. (लेकिन) संसद आम सहमति से चलती है.”
केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी और चिराग पासवान ने संसद में सेंगोल स्थापित करने का बचाव किया, जबकि एनडीए के कई नेताओं ने सपा सांसद की मांग को अनावश्यक विवाद करार दिया.
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, “समाजवादी पार्टी भारतीय संस्कृति पर हमला करने से कभी नहीं हिचकिचाती. वे कहते हैं कि संसद से सेंगोल को हटाया जाना चाहिए, जो तमिलनाडु का अपमान है.”
उन्होंने आगे पूछा कि क्या डीएमके और उसके नेता एम.के. स्टालिन तमिलनाडु से आने वाले सेंगोल का ऐसा अपमान स्वीकार करेंगे. पूनावाला ने आगे कहा कि सपा खुलेआम तमिल और भारतीय संस्कृति का अपमान कर रही है.
भाजपा सांसद रवि किशन ने इस तरह की मांग करने पर विपक्ष की आलोचना की. गोरखपुर के सांसद ने कहा, “कल वे भगवान राम को अयोध्या से हटाने की मांग करेंगे.”
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