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Monday, 7 October, 2024
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कांग्रेस के दामन से छिटके सपा-बसपा, एमपी राज्यसभा चुनाव में भाजपा को ​विधायकों का समर्थन

भाजपा को अपने दोनों उम्मीदवार को राज्यसभा में पहुंचाने और जीत के लिए 104 वोट चाहिए. फिलहाल पार्टी के पास 107 वोट हैं.वहीं कांग्रेस के पास 92 विधायक है.

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नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में 19 जून को तीन राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने पूरी तैयारियों से जुट गए है. चुनाव से पहले कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है. समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) समेत निर्दलीय विधायकों ने राज्यसभा चुनावों में भाजपा को समर्थन देने का एलान किया है.अंक गणित के हिसाब से दो सीट भाजपा और एक कांग्रेस के पास जाती हुई नजर आ रही है.

इस बीच सपा और बसपा के विधायकों द्वारा भाजपा को समर्थन देने के मसले पर दोनों दलों ने अपने विधायकों के कदम को पार्टी लाइन के खिलाफ बताते हुए उनसे किनारा कर लिया है.

गुरुवार को भी भाजपा के विधायक दल की बैठक होगी. इसमें सपा और बसपा के अलावा निर्दलीय विधायकों के शामिल होने की पूरी संभावना है. वहीं कांग्रेस भी अपने विधायक के साथ अंतिम दौर की बातचीत करेगी.शुक्रवार को राज्यसभा की सीटों के लिए मतदान होगा.


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भाजपा के एक वरिष्ठ नेता दिप्रिंट से कहा,’राज्यसभा चुनाव और विधायकों को लेकर आज भी बैठक होगी. हम लोग दोनों सीटों पर जीत हासिल कर रहे हैं. बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों ने हमे चुनाव में समर्थन देने का ​वादा किया है. बुधवार रात को डिनर में सभी विधायकों से एक अनौपचारिक तौर पर चर्चा हुई है.’

इधर, बुधवार रात को भाजपा की तरफ से आयोजित एक डिनर पार्टी में दिल्ली से आए केंद्रीय पर्यवेक्षक प्रकाश जावड़ेकर और बैजयंत जय पांडा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समेत राज्य के सीएम शिवराज सिंह चौहान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और विधायक शामिल हुए.

इस डिनर पार्टी में गृहमंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा के साथ बसपा के दो विधायक रामबाई, संजीव कुशवाहा और सपा के एक राजेश शुक्ला और निर्दलीय विधायक विक्रम सिंह राणा और सुरेंद्र सिंह शेरा शामिल हुए.

वहीं एक अन्य निर्दलीय विधायक केदार डाबर ने कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला लिया है. जबकि दूसरे विधायक व कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे प्रदीप जायसवाल ने तो भाजपा के डिनर में शामिल हुए न ही वे कांग्रेस के विधायक दल की बैठक में शामिल हुए. हालांकि कांग्रेस सरकार के गिरने के बाद उन्होंने बयान दिया था कि जिसकी भी सरकार राज्य में बनेगी वे उनके साथ ही खड़े होंगे.

बसपा विधायक रामबाई ने दिप्रिंट से कहा,’कांग्रेस के लोगों ने उनका साथ नहीं दिया. मैं भाजपा के पक्ष में ही मतदान करुंगी. हम लोग अपने क्षेत्र का विकास चाहते है इसलिए सरकार का साथ दे रहे हैं.इस मामले में पार्टी आलाकमान से कोई चर्चा नहीं हुई है.

मध्यप्रदेश बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल ने दिप्रिंट से कहा कि,’पार्टी में जो भी निर्णय होता है वह बसपा प्रमुख मायावती करती है.विधायकों के संदर्भ में वे ही निर्णय लेगी.जहां तक रामबाई का सवाल है वे पार्टी से निलंबित है.’


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नाम न छापने के अनुरोध पर सपा के एक वरिष्ठ सपा नेता ने दिप्रिंट से कहा,’राज्य में पार्टी का केवल एक ही विधायक है.इस वजह से हम उस पर दबाव प्रभाव बना पाते है. जिसके चलते वे खुद ही निर्णय ले रहे है.

मध्यप्रदेश समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष गौरी यादव ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमारी पार्टी का राज्य में केवल ही विधायक है. यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है. पार्टी की लाइन नहीं है. फिर भी हम उनकों कहेंगे की भाजपा के समर्थन में वोट नहीं करें.’

भाजपा से सिंधिया और कांग्रेस से दिग्विजय है उम्मीदवार

मध्यप्रदेश की तीन राज्यसभा की सीटों के लिए शुक्रवार को विधानसभा में मतदान होगा. कांग्रेस पार्टी ने जहां दिग्विजय सिंह और दलित नेता फूल सिंह बरैया को प्रत्याशी बनाया है. वहीं भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी को मैदान में उतारा है.

चुनाव के मद्देनजर भाजपा आलाकमान ने केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और पार्टी महासचिव बैजयंत जय पांडा को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. जबकि कांग्रेस के महासचिव और प्रदेश के नए प्रभारी मुकुल वासनिक बनाए गए हैं और ये तीनों मध्यप्रदेश पहुंच गए है.

राज्य विधानसभा में कुल 230 सीटें है. इनमें से 24 सीट रिक्त होने के चलते सदस्यों की संख्या 206 हो गई है.भाजपा को अपने दोनों उम्मीदवार की जीत के लिए 104 वोट चाहिए. फिलहाल पार्टी के पास 107 वोट हैं.

कांग्रेस के पास 92 विधायक है. लेकिन तीसरी सीट के लिए दोनों दलों में कांटे की टक्कर है. अब सभी की निगाहें सपा,बसपा और निर्दलीय विधायकों पर टिकी हुई है.

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