नई दिल्ली: कांग्रेस नेता अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उत्तराधिकारी को लेकर राज्य में राजनीतिक संकट के मद्देनजर राजस्थान के घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी, जिनके पार्टी का अध्यक्ष पद के चुनाव लड़ने की संभावना है.
सोनिया गांधी ने माकन और खड़गे को, जिन्हें विधायक दल की बैठक के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था, एक लिखित रिपोर्ट देने के लिए कहा, जो उन्हें आज रात या कल सौंपी जाएगी.
माकन ने संवाददाताओं से कहा, ‘मल्लिकार्जुन खड़गे और मैंने कांग्रेस अध्यक्ष को राजस्थान में हमारी बैठकों के बारे में विस्तार से बताया. अब उन्होंने हमसे एक लिखित रिपोर्ट मांगी है जो उन्हें आज रात या कल तक दे दी जाएगी.’
राजस्थान में राजनीतिक संकट अशोक गहलोत द्वारा कांग्रेस के अध्यक्ष पद चुनाव में अपना नामांकन दाखिल करने के लिए सहमत होने और राज्य में अपनी पसंद का उत्तराधिकारी चाहने से पैदा हुआ है.
माकन ने कहा कि विचार-विमर्श के बाद विधायक दल की बैठक का स्थान तय किया गया था और उन्हें प्रत्येक विधायक से बात करने के बाद एक रिपोर्ट देनी थी.
उन्होंने कहा कि जब सीएलपी की बैठक बुलाई गई है तो एक ‘समानांतर बैठक’ करना ‘अनुशासनहीनता’ थी और उन्होंने कहा कि राज्य में नेतृत्व पर निर्णय दिल्ली में लिया जाना था, न कि जयपुर में.
माकन, जो राजस्थान के एआईसीसी प्रभारी हैं, ने कहा कि गहलोत के आवास पर उनसे मिलने वाले तीन मंत्रियों ने तीन शर्तें रखीं.
उन्होंने कहा कि उन्होंने मांग की कि सीएलपी प्रस्ताव पर फैसला 19 अक्टूबर को कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद होना चाहिए. इस शर्त को खारिज करते हुए माकन ने कहा कि प्रस्ताव शर्तों के साथ पारित नहीं होता है और यह भी कहा कि इस तरह का कोई भी कदम गहलोत के लिए ‘हितों के टकराव के लिए संघर्ष’ की वजह बनेगा.
उन्होंने कहा कि मंत्रियों ने यह भी मांग की कि विधायक समूहों में पर्यवेक्षकों से मिलें और यह स्वीकार्य नहीं है. माकन ने कहा, ‘हम हर विधायक से अलग-अलग मिलना चाहते थे ताकि फैसला स्वतंत्र और निष्पक्ष हो.’
उन्होंने कहा कि तीनों मंत्रियों ने यह भी कहा कि गहलोत के उत्तराधिकारी को 102 विधायकों में से चुना जाना चाहिए, जो 2020 में संकट के दौरान उनके साथ खड़े थे. गहलोत सरकार को 2020 में सचिन पायलट और उनके प्रति वफादार विधायकों की मांगों पर राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ा था.
रविवार को माकन ने गहलोत खेमे के तीन सदस्यों- शांति धारीवाल, सी.पी. जोशी और प्रताप खाचरियावास से मिले थे, जिन्होंने अपने प्रस्ताव रखे थे.
यह भी पढ़ें: फर्जी पते, खाली पड़े ऑफिस— कुछ ऐसी है रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की अंधेर दुनिया