नई दिल्ली: देश संकट के दौर से गुजर रहा है इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पक्ष और विपक्ष सभी नेताओं से सलाह-मशविरा कर रहे हैं. पिछले दिनों उन्होंने इस सिलसिले में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी टेलीफोन पर बात की और उन्हें कोरोनावायरस संक्रमण से जूझ रहे भारत कैसे निपटे को लेकर सलाह मांगी थी.
सोनिया गांधी ने जो सलाह दी है उसे लेकर क्या मीडिया क्या राजनीतिक पार्टियां इसके विरोध में उतर आईं हैं. सोनिया गांधी ने पीएम को लिखे पत्र में खर्च की कटौती की सलाह देते हुए लिखा कि मीडिया को दो वर्षों तक विज्ञापन देने पर भी रोक लगाई जानी चाहिए. सोनिया गांधी के इस सुझाव का इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (आईएनएस ) ने निंदा की है.
अपना सुझाव वापस लें सोनिया
इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (आईएनएस) ने सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा मीडिया विज्ञापनों पर दो साल के लिए रोक लगाने के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सुझाव की बुधवार को निंदा करते हुए कहा कि ऐसा प्रस्ताव ‘वित्तीय सेंसरशिप’ की तरह है. आईएनएस ने कांग्रेस प्रमुख से कहा कि ‘जीवंत और स्वतंत्र प्रेस’ के हित में वह अपना सुझाव वापस लें.
आईएनएस ने एक बयान में कहा कि उसके अध्यक्ष शैलेश गुप्ता ने आईएनएस सदस्यों की ओर से कांग्रेस प्रमुख के सुझाव से असहमति जतायी और उसकी निंदा की. बयान में कहा गया, ‘इस तरह का प्रस्ताव वित्तीय सेंसरशिप के समान है. जहां तक सरकारी खर्च का सवाल है तो यह बहुत छोटी राशि है, लेकिन यह अखबार उद्योग के लिए एक बड़ी राशि है जो बचे रहने के लिए संघर्ष कर रहा है. अखबार उद्योग किसी भी जीवंत लोकतंत्र के लिए आवश्यक है.’
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आईएएनएस ने अपने बयान में कहा है, ‘प्रिंट एकमात्र उद्योग है, जिसमें एक वेतन बोर्ड है और सरकार तय करती है कि कर्मचारियों को कितना भुगतान किया जाना चाहिए. यह एकमात्र उद्योग है जहां बाजार की ताकतें वेतन का फैसला नहीं करती हैं, सरकार की इस उद्योग के प्रति एक जिम्मेदारी है.’
वहीं एक दिन पहले मंगलवार को न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) ने सरकार और सरकारी उपक्रमों द्वारा मीडिया विज्ञापनों पर दो साल के लिए रोक लगाये जाने संबंधी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सुझाव की ‘कड़ी निंदा’ की थी.
एनबीए ने कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष का यह सुझाव मीडियाकर्मियों के ‘मनोबल को गिराने’ वाला है.
सोनिया की सलाह इमर्जेंसी की सोच दर्शाती है
वहीं दूसरी तरफ झारखंड प्रदेश भाजपा ने कहा कि मीडिया को दो वर्षों तक सरकारी विज्ञापन देने पर रोक लगाने की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सलाह पार्टी की इमरजेंसी वाली सोच दर्शाती है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कांग्रेस अध्यक्षा के उस सुझाव की आज कड़ी निंदा की जिसमें उन्होंने सभी सरकारी और सरकारी उपक्रमों के विज्ञापनों पर दो वर्षों तक रोक लगाने की बात कही है.
प्रतुल ने कहा,‘ एक तरफ महामारी के इस दौर में केंद्र सरकार ने एक लाख, 70 हजार करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की है वहीं दूसरी ओर सोनिया गांधी मीडिया इंडस्ट्री को समाप्त करने पर लगी हैं. इससे पहले भी कांग्रेस का इमरजेंसी में मीडिया के प्रति असली चेहरा सामने उजागर हो गया था.आज फिर उसी सोच के तहत कांग्रेस देश की मीडिया को समाप्त करने में तुली है. कांग्रेस नहीं चाहती की जनता तक निष्पक्ष खबर पहुंचती रहे.’
सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कोरोना संकट के मद्देनजर कई सुझाव दिए, जिसमें सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा ‘मीडिया विज्ञापनों- टेलीविज़न, प्रिंट और ऑनलाइन पर दो साल की अवधि के लिए पूर्ण रोक लगाना शामिल है.’
सोनिया गांधी जी ने सही कहा है। फिजूलखर्ची रोकना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। कई बार ऐसा देखा गया है पार्टी का विज्ञापन भी सरकारी बन जाता है। वैसे भी हमारे यहां निष्पक्ष मीडिया कहा है। जब publication house
एक तरफा हो और बिना किसी खोज के किसी को टारगेट किया जाए तो विपक्ष से उम्मीद क्यो की जाए।
Praddeep ji SE sahmat hu soniya ji ki Rai bilkul sahi hai hai sarkar chahey to mane ya na maney
Main bhi pradeep ji se sahemat hu Ab fijul kharcha Sarkar KO band Karna chahiye
Nivedan hai ki govt employees ki vidhva or tlakshuda betiyo ko family penshion Dee jati hai Jo beto ke moulik or kanuni adhikaro ka hanan hai aap sansd ka vishesh satr bulakr ak aisa bill pass krvaye jisse beto ko bhi family penshion ka labh mil ske