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Thursday, 14 August, 2025
होमराजनीतिबेटा जेल में, पत्नी फरार — मुख्तार अंसारी के गढ़ पर से परिवार की पकड़ ढीली

बेटा जेल में, पत्नी फरार — मुख्तार अंसारी के गढ़ पर से परिवार की पकड़ ढीली

मुख्तार अंसारी के निधन के बाद छोटे बेटे उमर की गिरफ्तारी और बड़े बेटे अब्बास की विधानसभा सदस्यता रद्द होने से, अंसारी परिवार की मऊ में राजनीतिक पकड़ कमज़ोर होती दिख रही है.

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लखनऊ: पिछले साल बांदा में जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की दिल का दौरा पड़ने से मौत हुई थी. तब कई लोगों ने माना कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपराध और राजनीति के गठजोड़ को यह बड़ा झटका है, लेकिन एक साल बाद, पांच बार के पूर्व विधायक का परिवार फिर सुर्खियों में है. पिछले हफ्ते लखनऊ पुलिस ने उसके छोटे बेटे उमर अंसारी को गिरफ्तार किया. आरोप है कि उसने अपने पिता की जब्त की गई संपत्तियां वापस पाने के लिए कोर्ट में फर्ज़ी दस्तावेज़ जमा किए.

कुछ लोगों का कहना है कि उमर की गिरफ्तारी का वक्त कोई संयोग नहीं था. गिरफ्तारी ऐसे समय हुई जब खबर थी कि उमर मऊ विधानसभा सीट के आगामी उपचुनाव में उम्मीदवार बनने की तैयारी कर रहे थे. यह सीट परिवार के पास पिछले 29 साल से है.

यह सीट तब खाली हुई जब उमर के बड़े भाई अब्बास अंसारी को इस साल जून में नफरत फैलाने वाले भाषण के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद विधायक पद से अयोग्य घोषित कर दिया गया. अब्बास ने 2022 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के टिकट पर यह सीट जीती थी, जब यह पार्टी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में थी. अब एसबीएसपी बीजेपी गठबंधन का हिस्सा है.

मुख्तार के बड़े भाई और गाज़ीपुर से सांसद अफज़ल अंसारी ने उमर की गिरफ्तारी को मऊ उपचुनाव से जोड़ा और दावा किया कि उमर को जनता का मजबूत समर्थन है.

उन्होंने कहा कि उमर का हौसला तोड़ने के लिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन परिवार डरने वाला नहीं है. उन्होंने कहा, “वह न शराब पीता है, न किसी से दुश्मनी रखता है — बस अपनी मूंछें ताव देता है और यही कुछ लोगों को खटकता है.”

अफज़ल के मुताबिक, उमर अपने बड़े भाई अब्बास अंसारी के लखनऊ स्थित सरकारी आवास में रह रहे थे, तभी पुलिस उन्हें उठाकर ले गई. “मैं संसद सत्र के लिए दिल्ली में था, तभी इस घटना की खबर मिली. मुझे बताया गया कि उसी शाम एक केस दर्ज किया गया और उसी आधार पर उमर को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस का पक्षपात छिपा नहीं है.”

गाज़ीपुर में उमर के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया. उन्हें हिरासत में लेकर वहां ले जाया गया. अधिकारियों का कहना है कि उमर पर आरोप है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स एंड एंटी सोशल एक्टिविटीज़ (प्रिवेंशन) एक्ट, 1986 के तहत जब्त की गई एक संपत्ति को अवैध तरीके से वापस लेने की कोशिश की.

जांचकर्ताओं का दावा है कि उमर ने जब्त संपत्ति को छुड़ाने के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की, लेकिन दस्तावेज़ जांच के दौरान यह सामने आया कि उन्होंने फर्जी कागजात दिए, जिन पर उनकी मां अफ्सा अंसारी के नकली हस्ताक्षर थे. अफ्सा अंसारी सालों से फरार हैं.

उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि उमर को या तो यह मानना पड़ेगा कि हस्ताक्षर उन्होंने खुद किए हैं, या फिर यह बताना पड़ेगा कि वह अफ्सा के संपर्क में थे. उन्होंने बताया कि अब तक दिवंगत मुख्तार अंसारी और उनके साथियों से जुड़ी करीब 200 करोड़ रुपये की संपत्तियां या तो जब्त की जा चुकी हैं, मुक्त कराई गई हैं, या फिर धवस्त की जा चुकी हैं.

अंसारी परिवार की राजनीति पर संकट

अंसारी परिवार ने दशकों तक स्थानीय राजनीति में दबदबा बनाए रखा है.

मुख्तार अंसारी का जन्म प्रमुख मुस्लिम परिवार में हुआ था. पिता, हाजी सुब्हानुल्लाह अंसारी, कम्युनिस्ट नेता थे और दादा, डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी, कांग्रेस नेता व स्वतंत्रता सेनानी थे.

गाज़ीपुर के पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में पढ़ाई के दौरान मुख्तार ने छात्र राजनीति में कदम रखा. 1996 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर चुनाव जीतकर औपचारिक रूप से राजनीति में प्रवेश किया.

मुख्तार ने 1996 से मऊ सदर सीट पर कब्जा बनाए रखा—दो बार बसपा (1996 और 2017) से, दो बार निर्दलीय (2002 और 2007) के तौर पर और 2012 में कौमी एकता दल के उम्मीदवार के रूप में. मार्च 2024 में बांदा जेल में दिल का दौरा पड़ा और अंसारी का निधन हो गया.

शुरुआत में प्रॉपर्टी और ठेकेदारी के काम में रहे मुख्तार ने 1990 के दशक की शुरुआत तक पूर्वी उत्तर प्रदेश—खासकर गाज़ीपुर, मऊ और वाराणसी में ज़मीन के सौदों और टेंडरों को लेकर होने वाले गैंगवार में अपनी पहचान बना ली थी.

2005 में मुख्तार पर बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय और छह अन्य लोगों की दिनदहाड़े हत्या का आरोप लगा. इसे बदले की कार्रवाई माना गया, क्योंकि राय ने 2002 के चुनाव में मुख्तार के भाई अफज़ल को हराया था. हालांकि, 2019 में सीबीआई की अदालत ने इस मामले में मुख्तार और अन्य को बरी कर दिया. 2020 से यूपी पुलिस ने अंसारी गैंग के खिलाफ कार्रवाई तेज़ कर दी.

उमर अंसारी की गिरफ्तारी के बाद अब यूपी पुलिस ने अफ्सा अंसारी की तलाश तेज़ कर दी है, जो सालों से फरार हैं और पति की मौत के बाद भी सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आईं. यूपी पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, अफ्सा अंसारी कई मामलों में वांछित हैं और उनके सिर पर 1 लाख रुपये का इनाम है.

इस साल अप्रैल में गाज़ीपुर पुलिस ने जनता से अपील की थी कि उनके बारे में कोई भी सूचना पुलिस को दें, जिससे उनकी गिरफ्तारी हो सके. गाज़ीपुर और मऊ पुलिस ने अलग-अलग 50-50 हजार रुपये के इनाम का ऐलान भी किया है.

परिवार के गढ़ पर निगाहें

उमर की गिरफ्तारी और अब्बास की अयोग्यता के बाद अंसारी परिवार अपने राजनीतिक गढ़ को संभालने की कोशिश में जुटा है.

इसके अलावा, मुख्तार अंसारी की पत्नी अफ्सा अंसारी के फरार होने से परिवार के लिए मऊ विधानसभा सीट के आगामी उपचुनाव में उम्मीदवार तय करना मुश्किल हो गया है. फिलहाल दो नामों पर विचार हो रहा है—अफज़ल अंसारी की बेटी नुसरत अंसारी और अब्बास अंसारी की पत्नी निखत अंसारी.

नुसरत, जो एक रंगमंच कलाकार भी हैं, पिछले साल गाज़ीपुर लोकसभा चुनाव में अपने पिता के लिए प्रचार करते हुए सक्रिय रूप से राजनीति में उतरीं.

वहीं, निखत को 2023 में जेल से रिहा किया गया था. उन्हें अवैध रूप से जेल में दाखिल होकर अपने पति अब्बास अंसारी से मिलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

सूत्रों का कहना है कि अंतिम फैसला अफज़ल अंसारी और समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव की मुलाकात के बाद होगा.

बीजेपी इसे एक ऐसे मौके के रूप में देख रही है, जिसमें वह लगभग 30 साल से मुख्तार अंसारी और उनके परिवार के कब्ज़े वाली सीट को जीत सकती है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि मुस्लिम बहुल इस सीट पर संगठन का नेटवर्क पहले से सक्रिय कर दिया गया है.

रणनीति, सूत्रों के मुताबिक, मुस्लिम बहुल सीटों जैसे रामपुर (2022) और कुंदरकी (2024) में हुए उपचुनाव की जीत के उत्साह को दोहराने की है.

फिलहाल अंसारी परिवार के दो सदस्य संसद और विधानसभा में चुने हुए प्रतिनिधि हैं. मुख्तार के भाई अफज़ल अंसारी ने 2024 लोकसभा चुनाव में गाज़ीपुर सीट से जीत हासिल की. परिवार के एक और सदस्य, सुहैब अंसारी, उत्तर प्रदेश की मोहम्मदाबाद सीट से विधायक हैं. वे पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी के बेटे और मुख्तार व अफज़ल अंसारी के भतीजे हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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