यूपीए सरकार 126 विमान खरीदने पर चर्चा कर रहे थे पर वे समझौता पूरा नहीं कर पाये
नई दिल्ली : रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने ज़ोरदार तरीकें से कॉंग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री रक्षा मंत्री एके एंटनी के आरोपों को खारिज किया कि रफाल सौदे में उनकी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड को नज़रअंदाज़ किया है.
सीतारमन ने कहां कि “जवाब यूपीए सरकार को देना है कि डसॉल्ट और एचएएल के बीच समझौता क्यों नहीं हो पाया.”
“ यूपीए सरकार को एचएएल के ऑफर को मज़बूत बनाने के लिए कोशिश करनी चाहिए थी. उन्हें कोश़िश करनी चाहिए थी कि एचएएल के साथ समझौते के लिए डसॉल्ट तत्पर होता. असल में एचएएल के बारे में सारे सवाल यूपीए सरकार से पूछे जाने चाहिए.”
इससे पहले एके एंटनी ने सीतारमन पर एचएएल की छवि को घूमिल करने का आरोप लगाया था. उनका आरोप था कि सीतारामन ने कहा है कि एचएएल के पास रफाल बनाने की क्षमता नहीं है.
सीतारमन ने एंटनी के इस आरोप को भी खारिज किया कि सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ की है और 126 की बजाए केवल 36 जेट खरीदने का फैसला करके भारतीय वायु सेना की की 2000 में की गई मांग की आपूर्ति नहीं कर रहे है.
रफाल विमान खरीद का मामला कॉंग्रेस के चुनावी हमलों को धार दे रहा है और उसने मोदी सरकार को बैकफुट पर डाल दिया है. विश्लेक्षक रफाल को एनडीए के बोफोर्स के रूप में देख रहे है. वही इस विवाद ने रक्षा सौदों के साथ होने वाली राजनीति और हर खरीद पर उठते सवाल को भी चिन्हित किया है.
सीतारमन ने कहा कि “सरकार ने कॉंग्रेस के सभी सवालों का जवाब, जिसमें विमान के मूल कीमत शामिल है की जवाब संसद में दिया है. हमारी ये ज़िम्मेदारी थी कि हमें सबसे अच्छी कीमत मिले. अगर आप यूपीए के समझौते में जो कीमत मिल रही थी, हमने उससे 9 प्रतिशत सस्ते में प्राप्त किया है, और ये एक तथ्य है,” उन्होंने कहा.
सीतारमन का तर्क था कि सरकार जब संसद में जवाब दे रही हे तो फिर जेपीसी बिठाने की ज़रूरत क्या है.
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को डसॉल्ट एविएशन का साझेदार बनाए जाने पर प्रतिरक्षा मंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार के समय में तय नियमों के अनुसार कोई भी निर्माता ऑफसेट निर्माण के लिए निजी या सार्वजनिक क्षेत्र के अनुक्रम के साथ समझौता कर सकता है. यूपीए सरकार 126 विमान खरीदने पर चर्चा कर रहे थे पर वे समझौता पूरा नहीं कर पाये.
मोदी ने बिना परामर्श के समझौता कर लिया
सीतारमन ने कहा कि प्रधान मंत्री मोदी अप्रेल 2015 में फ्रांस गए थे जहां उन्होंने प्रतिरक्षा खरीद के सौदे की घोषणा नहीं की थी. “उन्होंने प्रक्रिया शुरु की और पूरे नियम कानून का पालन किया गया है. ” पूरे सौदे को पूरा होने में लगभग देड़ साल का समय लगा, जिसके बाद सुरक्षा मामलों की केबिनेट समिति ने उसे हरी झंडी दिखाई थी और सितम्बर में ये समझौता हुआ.
सिद्धू की झप्पी
कॉंग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के पाकिस्तान के सेना प्रमुख , जनरल क़मर जावेद बाजवा से गले मिलने को गैर ज़रूरी बताया हालांकि उनकी पाकिस्तान यात्रा पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी.
सिद्धू लोकप्रिय नेता है और टीवी स्टार भी है. क्रिकेट का दुनिया में भी उनके मुरीद रहे है. सीतारमन ने कहा कि जब वे पाकिस्तान सेना प्रमुख के गले मिलते हैं तो उसका असर सेना के मनोबल पर पड़ता है और लोगों ने भी इसको सही नहीं माना.
सीतारमन ने एनडीए के फिर सत्ता में आने का दावा किया और कहा कि सरकार ने किसानों और कृषि क्षेत्र में बहुत काम किया है. जहां तक सेना में छटनी का सवाल है उन्होंने स्पष्ट किया किया कि ऐसे किसी प्रस्ताव की चर्चा नहीं हो रही.
Read in English : Sitharaman blames UPA for not making HAL an ‘appealing’ enough partner for Rafale