मुंबई: शिवसेना में विभाजन के बाद, पार्टी के कुछ सांसदों ने अपने प्रमुख उद्धव ठाकरे से एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में उनके खिलाफ विद्रोह करने वालों के साथ सुलह करने और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ समझौता करने के लिए दरवाजे खुले रखने का आग्रह किया है.
सेना के तीन सांसदों ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से बात की और कहा कि महाराष्ट्र से पार्टी के कुछ लोकसभा सांसद सुलह की रणनीति बनाने के लिए छोटे समूहों में बैठकें कर रहे हैं और उन्हें लगता है कि उन्हें द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करना चाहिए, भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार का विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के खिलाफ होना भाजपा से संबंधों में आई गिरावट की दिशा में एक अच्छा कदम हो सकता है.
तीन में से दो सांसदों ने 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर चर्चा के लिए सोमवार को सबअर्बन मुंबई में उनके आवास मातोश्री में ठाकरे द्वारा बुलाई गई बैठक में भी भाग लिया.
उन्होंने कहा कि सोमवार की चर्चा मुख्य रूप से राष्ट्रपति चुनाव पर केंद्रित थी, कुछ सांसदों ने भी ठाकरे से इतर बात की और कहा कि शिंदे के साथ समझौते से पार्टी को फायदा होगा, जो अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं.
एक सांसद ने कहा, ‘पार्टी के कुछ सांसदों को लगता है कि शिवसेना को फिर से बीजेपी के साथ गठबंधन करना चाहिए.’
‘लेकिन पहले, हमें लगता है कि हमें शिंदे खेमे के साथ संबंध सुधारना चाहिए. वे सभी हमारे लोग हैं. एक शिवसैनिक [शिंदे] अब सीएम है, हालांकि यह सब उन परिस्थितियों में हुआ जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी…. हमने इस दौरान उद्धव साहब से इसका जिक्र किया.
उन्होंने कहा, ‘हम दोनों समूहों के बीच की खाई को पाटने के लिए अपने स्तर से कदम उठा रहे हैं.’
कुल 40 विधायकों ने पिछले महीने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार के खिलाफ विद्रोह किया, जिससे सरकार गिर गई. फिर शिंदे के नेतृत्व में, विधायकों ने जून के अंत में भाजपा के साथ सरकार बनाई.
एमवीए सरकार में शिवसेना और उसके पूर्व प्रतिद्वंद्वी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस शामिल हैं.
ऐसी चर्चा है कि कई सांसद भी शिंदे खेमे को समर्थन दे सकते हैं, महाराष्ट्र में पार्टी के 18 लोकसभा सांसदों में से 13 सोमवार को बैठक के लिए मातोश्री में मौजूद थे. जो पांच अनुपस्थित थे, उनमें से दो शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे और भावना गवली पहले ही शिंदे खेमे में शामिल हो चुके हैं.
शेष तीन – संजय जाधव, संजय मांडलिक और हेमंत पाटिल – ने दिप्रिंट को बताया कि वे ‘ किसी मजबूरी’ के कारण उपस्थित नहीं हो सके और उन्होंने ठाकरे को इसके बारे में सूचित कर दिया था.
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द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की मांग
तीन सांसदों में से एक ने दिप्रिंट से बात की और कहा कि अभी जो सांसद चाहते हैं वह शिवसेना और भाजपा को एक साथ वापस लाना है.
उन्होंने कहा, ‘हमने पिछले दो चुनाव [2014, 2019] एक साथ लड़े. कुछ लोग चिंतित हैं कि हम मोदी लहर के दौरान चुने गए और एनडीए से अलग होने के बाद जमीन पर कोई काम नहीं हुआ. एमवीए के खिलाफ बहुत नाराजगी है. ‘
उन्होंने आगे कहा, ‘शीर्ष के दरवाजे हमारे लिए बंद हैं, और यह देखते हुए कि गठबंधन सिर्फ राजनीतिक गणना के लिए हो रही है, नीचे के दरवाजे, हमारे मतदाताओं के दरवाजे भी बंद हो सकते हैं. हम जैसे लोग ही बीच में फंस जाते हैं. हम जो चाहते हैं वह है सिर्फ सुलह और यह विचार मुर्मू को समर्थन देने के मुद्दे का इस्तेमाल कर दोनों दलों [शिवसेना और भाजपा] को फिर से बात करने के लिए तैयार करना है.’
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ सांसदों की लगातार बैठकें हो रही हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि शिंदे खेमे को खत्म करने और भाजपा की शाखा का विस्तार करने के लिए उनका अगला कदम क्या हो सकता है.
सोमवार की बैठक के बाद, शिवसेना के सांसद गजानन कीर्तिकर, जो कि ठाकरे के वफादार माने जाते हैं, ने संवाददाताओं से पुष्टि की कि कुल मिलाकर सांसदों ने मांग की कि पार्टी को उन्हें अगले सप्ताह होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार के रूप में समर्थन देना चाहिए.
कीर्तिकर ने कहा, ‘हालांकि वह एनडीए की उम्मीदवार हैं, लेकिन वह आदिवासी समुदाय की महिला हैं और सांसदों ने अनुरोध किया कि शिवसेना का वोट उन्हें जाना चाहिए. उद्धवजी ठाकरे इसके बारे में फैसला लेंगे.’
बैठक से पहले, शिवसेना के कम से कम दो सांसदों – राहुल शेवाले और राजेंद्र गावित – ने ठाकरे को पत्र लिखकर कहा था कि पार्टी को मुर्मू को वोट देना चाहिए.
शिवसेना के तीसरे सांसद, जिनसे दिप्रिंट ने बात की, ने कहा कि शेवाले और गावित के पत्रों को शिंदे खेमे के लिए उनके संयुक्त समर्थन के रूप में माना जाता था, ‘लेकिन यह सच नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘गावित का निर्वाचन क्षेत्र (पालघर) मुख्य रूप से आदिवासी है. शेवाले को भी उनके निर्वाचन क्षेत्र (मुंबई दक्षिण मध्य) में एक आदिवासी समुदाय से प्रतिनिधित्व मिला था, इसलिए उन्होंने उद्धवसाहेब को लिखा.’
उन्होंने कहा, ‘सोमवार को हुई बैठक में सभी सांसदों ने सर्वसम्मति से फैसला किया कि उद्धव साहब जो भी फैसला लेंगे, वे उसका पालन करेंगे. वह एक दो दिनों में फैसला करेंगे.’
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