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Tuesday, 12 August, 2025
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‘वोटर सूची कांग्रेस के राज में बनी’ वाले बयान के बाद सिद्धारमैया के करीबी राजन्ना कैबिनेट से हुए बाहर

वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजन्ना का रुख राहुल गांधी के आरोपों से अलग है, जिन्होंने मतदाता सूची में गड़बड़ी के लिए सिर्फ बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया था.

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बेंगलुरु: कर्नाटक के सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की कैबिनेट से “हटा” दिया गया है. वजह है कि उन्होंने अपनी ही पार्टी के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर लगाए “वोट चोरी” के आरोपों पर सवाल उठाए. यह साफ नहीं है कि राजन्ना ने खुद इस्तीफा दिया या पार्टी ने हटाया, लेकिन राजभवन की आधिकारिक सूचना में राज्यपाल ने उनके “हटाए जाने” का ज़िक्र मौजूद है.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राजन्ना को इसलिए कैबिनेट से बाहर किया गया क्योंकि उन्होंने पहले कहा था कि कर्नाटक में मतदाता सूची का काम कांग्रेस की राज्य सरकार के रहते हुआ था और इस पर कांग्रेस को “शर्मिंदा” होना चाहिए कि यह उनकी आंखों के सामने हुआ.

राजन्ना का यह बयान राहुल गांधी के आरोपों से अलग है, जिसमें उन्होंने मतदाता सूची में कथित गड़बड़ी के लिए सिर्फ BJP को जिम्मेदार ठहराया था.

11 अगस्त को कर्नाटक के राज्यपाल के विशेष सचिव आर. प्रभुशंकर ने मुख्य सचिव शालिनी राजनीश को एक पत्र भेजा, जिसमें लिखा था — “माननीय राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षरित अधिसूचना संलग्न है, जिसमें श्री के.एन. राजन्ना, माननीय सहकारिता मंत्री, को मंत्रिपरिषद से तुरंत प्रभाव से हटाने की बात कही गई है.”

यह फैसला उस समय आया जब कांग्रेस सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में विपक्ष के हमलों का सामना करने की तैयारी कर रही थी. विपक्ष चिन्नास्वामी स्टेडियम भगदड़, खाद की कमी, बेंगलुरु की जर्जर होती बुनियादी सुविधाएं और राज्य में बढ़ते वित्तीय संकट जैसे मुद्दों पर जोरदार हमला कर सकता है.

विवाद तब शुरू हुआ जब शनिवार को राजन्ना ने कहा, “मतदाता सूची कब बनी? हमारे ही शासन में. हम उस समय आंखें मूंदे बैठे थे. यह सच है कि ये गड़बड़ियां हुईं, इसमें कुछ गलत नहीं है. चूंकि यह हमारी आंखों के सामने हुआ, हमें शर्मिंदा होना चाहिए कि हमने इसे नहीं रोका.”

मुख्यमंत्री के करीबी और उनके मजबूत समर्थक राजन्ना अक्सर बेबाक बयान देते रहे हैं, जिससे कई बार वे पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर चुके हैं.

सोमवार को कैबिनेट से हटाए जाने पर मीडिया से बात करते हुए राजन्ना ने कहा, “यह पार्टी का फैसला है और इस समय हम हाईकमान से सवाल नहीं कर सकते. मैं ऐसी कोई बात नहीं कहूंगा जिससे हाईकमान को शर्मिंदगी हो.”

वरिष्ठ नेता ने कहा कि वह दिल्ली जाकर राहुल गांधी, के.सी. वेणुगोपाल और अन्य नेताओं से मिलेंगे, जिन्हें शायद उनके बयान को गलत समझा गया हो.

उन्होंने आगे कहा, “आप चाहें तो इसे इस्तीफा कह लें, हटाया कहना चाहें तो कह लें…कोई भी शब्द इस्तेमाल कर लें…इसके पीछे एक बड़ी साज़िश और प्लान है. किसने किया, किसने किस नेता से क्या बात की…वक्त आने पर सब बताऊंगा.”

बीजेपी ने इस मुद्दे पर तुरंत हमला किया और कहा कि कांग्रेस ने सिद्धारमैया की कैबिनेट के पूर्व सदस्य बी. नागेंद्र को तो वॉल्मीकि कॉर्पोरेशन में भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद इज्जत के साथ हटने का मौका दिया, लेकिन राजन्ना को राहुल गांधी के “वोट चोरी” अभियान की आलोचना करने पर तुरंत हटा दिया गया.


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‘अनियमित व्यवहार’

शुरुआत में इस्तीफे की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए राजन्ना ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था. टीवी9 कन्नड़ से पहले बातचीत में राजन्ना ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि हाईकमान उनसे नाराज़ है या नहीं.

उन्होंने सोमवार को कहा, “मैं सत्ता से चिपके रहने वाला इंसान नहीं हूं. परिस्थिति चाहे जैसी हो, मैं सही समय पर सही फैसला लूंगा. हाईकमान किस बात पर नाराज़ है, यह मुझे कैसे पता चलेगा? जब वह बताएंगे, तभी पता चलेगा.”

सोमवार को कर्नाटक विधानसभा के भीतर विपक्ष ने सवाल उठाया कि क्या राजन्ना ने इस्तीफा दिया है? साथ ही कहा कि अगर उन्होंने इस्तीफा दिया है, तो वे मंत्री के लिए तय सीट पर बैठकर सदन के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. जवाब में, राजन्ना ने कहा कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बयान देंगे.

इसके बाद विपक्ष ने राजन्ना के बयान का इस्तेमाल कांग्रेस नेतृत्व का मज़ाक उड़ाने के लिए किया. कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने कहा कि राजन्ना ने कांग्रेस को आईना दिखाया है और उनका पद से हटाया जाना इस पार्टी के दोहरे मापदंड को उजागर करता है — एक तरफ लोकतंत्र बचाने और सामाजिक न्याय की लड़ाई की बात करना और दूसरी तरफ उसका उल्टा करना.

विजयेंद्र ने एक्स पर लिखा, “वरिष्ठ मंत्री के.एन. राजन्ना ने ‘सच को सच’ कहकर कांग्रेस पार्टी की खामियों को उजागर किया, जिसका उन्हें कड़ा खामियाज़ा भुगतना पड़ा…कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के अनियमित व्यवहार को उजागर करने वाले और अनुसूचित जाति व वंचित समुदायों की आवाज़ बनने वाले के.एन. राजन्ना को मंत्री पद से हटा दिया गया. यह साबित करता है कि कांग्रेस में लोकतंत्र का गला घोंटने की संस्कृति अब भी खत्म नहीं हुई है और अनुसूचित जाति समुदाय के नेताओं का दमन जारी है.”

जुलाई में, राजन्ना ने सिद्धारमैया को पूरे कार्यकाल तक मुख्यमंत्री बने रहने का समर्थन दिया था और कहा था कि वे सितंबर में सरकार में एक “क्रांति” (बड़ा फेरबदल) की उम्मीद कर रहे हैं.

उसी महीने के अंत में, राजन्ना ने कर्नाटक के प्रभारी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला की समीक्षा बैठकों पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था, “सुरजेवाला का ऐसा करना ठीक नहीं था. मैं उनकी इस कवायद से खुश नहीं हूं.”

मार्च में राज्य के बजट सत्र के दौरान, राजन्ना ने सदन में कहा था कि उन्हें “हनी ट्रैप” करने की साज़िश हो रही है, जिसे उस समय डी.के. शिवकुमार के खिलाफ आरोप के रूप में देखा गया था.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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