scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होमराजनीतिशिवसेना का बीजेपी पर निशाना, कहा- महाराष्ट्र चुनाव परिणाम 'सत्ता का घमंड' करने वालों के लिए सबक

शिवसेना का बीजेपी पर निशाना, कहा- महाराष्ट्र चुनाव परिणाम ‘सत्ता का घमंड’ करने वालों के लिए सबक

शिवसेना ने चुनाव में उम्मीद से कम प्रदर्शन करने वाली भाजपा पर अपने मुखपत्र सामना के जरिए निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में कोई 'महा जनादेश' नहीं है.

Text Size:

मुंबई : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव परिणाम के एक दिन बाद शिवसेना ने चुनाव में उम्मीद से कम प्रदर्शन करने वाली भाजपा पर अपने मुखपत्र सामना के जरिए निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में कोई ‘महा जनादेश’ नहीं है और यह परिणाम वास्तव में उन लोगों के लिए सबक है, जो ‘सत्ता के घमंड में चूर’ थे.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 21 अक्टूबर को मतदान से पहले ‘महा जनादेश यात्रा’ के दौरान कुल 288 में से 200 से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा किया था. उन्होंने चुनाव परिणाम आने से एक दिन पहले 23 अक्टूबर को भगवा गठबंधन द्वारा 200 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करने का दावा किया था.

बीजेपी की सहयोगी ने देवेंद्र फडणवीस पर हमला करते हुए कहा है कि महाराष्ट्र की जनता का रुझान सीधा और साफ है. अति नहीं, उन्माद नहीं वर्ना समाप्त हो जाओगे, ऐसा जनादेश ‘ईवीएम’ की मशीन से बाहर आया. ‘ईवीएम’ से सिर्फ कमल ही बाहर आएंगे, ऐसा आत्मविश्वास मुख्यमंत्री फडणवीस को आखिरी क्षण तक था लेकिन 164 में से 63 सीटों पर कमल नहीं खिला.

पार्टी ने लिखा है शिवसेना और भाजपा का एक साथ करीब 160 का आंकड़ा आया है. महाराष्ट्र की जनता ने निश्चित करके ही ये नतीजे दिए हैं. फिर इसे महाजनादेश कहो, या कुछ और. यह जनादेश है महाजनादेश नहीं, इसे स्वीकार करना पड़ेगा.

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा कि इस जनादेश ने यह धारणा खारिज कर दी है कि दल बदलकर और विपक्षी दलों में सेंध लगाकर बड़ी जीत हासिल की जा सकती है.

चुनाव में राकांपा और कांग्रेस ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया है. सम्पादकीय में परिणामों का विश्लेषण करते हुए कहा गया कि परिणाम दर्शाते हैं कि विपक्षियों को राजनीति में खत्म नहीं किया जा सकता.

मराठी समाचार पत्र ने लिखा कि चुनावों के दौरान ‘भाजपा ने राकांपा में इस प्रकार सेंध’ लगाई कि लोगों को लगने लगा था कि शरद पवार की पार्टी का कोई भविष्य नहीं है.

शिवसेना ने कहा, ‘लेकिन राकांपा ने 50 सीटों का आंकड़ा पार करके वापसी की और नेतृत्वहीन कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली. यह परिणाम सत्तारूढ़ों को चेतावनी है कि वे सत्ता का घमंड न करें. यह उन्हें सबक है.’

शिवसेना ने कांग्रेस-राकांपा के 100 सीटों तक पहुंचने की तारीफ करते हुए कहा है, ‘एक मजबूत विरोधी पक्ष के रूप में मतदाताओं ने उन्हें एक जिम्मेदारी सौंपी है. ये एक प्रकार से सत्ताधीशों को मिला सबक है. धौंस, दहशत और सत्ता की मस्ती से प्रभावित न होते हुए जनता ने जो मतदान किया, उसके लिए उसका अभिनंदन’!

चुनाव में तोड़फोड़ की निंदा करते हुए लिखा है कि दूसरे दलों में सेंध लगाकर और दल बदलकर बड़ी जीत हासिल की जा सकती है, जनता ने इस भ्रम को तोड़ दिया है. पार्टी बदलकर ‘टोपी’ बदलने वालों को जनता ने घर भेज दिया है.

शरद पवार के नेतृत्व की तारीफ में लिखा कि वह कसा हुआ नेतृत्व करते हुए एक जिद के साथ लड़े. मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र में खुद को तेल लगाए हुए पहलवान के रूप में प्रस्तुत किया लेकिन बड़े मन से इसे स्वीकार करना होगा कि ‘तेल’ थोड़ा कम पड़ गया और माटी की कुश्तीवाले उस्ताद के रूप में शरद पवार ने ‘गदा’ जीत ली है.

पार्टी के मुखपत्र ने सातारा में उदयनराजे भोसले की करारी हार पर तंज कसा है, ‘अपना कॉलर उड़ाते हुए घूमने वाले शिवराय के वंशज उदयनराजे भोसले को नीतिगत व्यवहार करना चाहिए था. अपनी बातों पर अटल रहनेवाले ‘राजा’ के रूप में छत्रपति शिवराय की ख्याति थी. ये राज्य शिवराय की प्रेरणा से ही चलेगा’!

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट्स के साथ)

share & View comments