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Friday, 20 December, 2024
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शिंदे सरकार लाडकी बहिन योजना से महिलाओं को गुलाम बनाना चाहती है, लोगों ने उसकी मंशा देख ली है: उद्धव

उद्धव ठाकरे ने कहा कि वित्तीय सहायता योजना का महाराष्ट्र चुनाव में कोई असर नहीं होगा. अजित पवार की वापसी के विचार पर उन्होंने कहा कि चुनावों के बाद एमवीए को किसी दूसरे साथी की ज़रूरत नहीं होगी.

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मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दावा किया है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार की लडकी बहिन योजना का बुधवार को होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि यह योजना राज्य की महिला मतदाताओं के साथ “भाई-बहन” के बंधन के बजाय “मालिक-दास” के रिश्ते के बारे में है. लाडकी बहिन का शाब्दिक अर्थ है ‘प्यारी बहन’.

ठाकरे ने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “लाडकी बहिन का ज़्यादा असर नहीं होगा क्योंकि लोगों ने योजना के पीछे की मंशा को समझना शुरू कर दिया है.”

उन्होंने कहा: “वो (महायुति) सोचते हैं कि हर महीने 1500 रुपये देने से सभी महिलाएं उनकी गुलाम बन गई हैं. ऐसा नहीं होगा. इस योजना के पीछे उनकी भावना भाई-बहन की नहीं बल्कि मालिक-दास की है.”

महायुति सरकार ने इस साल के बजट में मुख्यमंत्री लाडकी बहिन योजना की घोषणा की थी. अगस्त से पात्र महिलाएं जिनकी वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये प्रति वर्ष से कम है, उन्हें हर महीने 1,500 रुपये मिल रहे हैं, जिसे महायुति ने विधानसभा चुनावों में सत्ता में लौटने पर 2,100 रुपये तक बढ़ाने का वादा किया है. सत्तारूढ़ गठबंधन में शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं.

विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) — जिसमें शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) शामिल हैं — ने अपने घोषणापत्र में ‘महालक्ष्मी’ नामक एक ऐसी ही योजना प्रस्तावित की है, जिसके तहत महिलाओं को 3,000 रुपये प्रति माह की वित्तीय सहायता दी जाएगी.

यह आश्वासन देते हुए कि एमवीए सरकार बनाएगी, ठाकरे ने कहा कि पिछले दो हफ्तों में राज्य भर में उनकी यात्राओं से उन्हें पता चला है कि कृषि संकट अपने चरम पर है, खासकर मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्रों में.

उन्होंने कहा, “किसान कई चीज़ों को लेकर परेशान हैं, खासकर सोयाबीन को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिल रहा है, यही वजह है कि हमने कहा है कि हम सोयाबीन को 7000 रुपये प्रति क्विंटल का एमएसपी देंगे. इसके अलावा, हम महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करेंगे और लड़कियों के साथ-साथ लड़कों को भी मुफ्त शिक्षा देंगे; ये सभी चीज़ें हमें सत्ता में वापस आने में मदद करेंगी.”

ठाकरे ने चुनाव के बाद शिंदे या भाजपा के साथ सुलह की संभावना से भी इनकार किया. जब उनसे पूछा गया कि क्या वे अजित पवार के एमवीए में वापस आने से सहज होंगे, तो उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि चुनाव के बाद किसी अन्य साथी की ज़रूरत नहीं होगी.

उन्होंने कहा कि “गद्दार” हार जाएंगे और महाराष्ट्र उन लोगों के साथ रहेगा जो “राज्य को बचाने के लिए लड़ रहे हैं”.

शिवसेना में 2022 के विभाजन के बाद पहला विधानसभा चुनाव ठाकरे की सेना (यूबीटी) के लिए एक बड़ी परीक्षा होगी, जबकि एमवीए ने इस साल के लोकसभा चुनावों में महायुति को पछाड़ दिया था — 30 सीटें जीतकर महायुति ने 17 सीटें जीती थीं — दोनों सेनाओं के बीच का अंतर कम था: ठाकरे की पार्टी ने नौ और शिंदे की पार्टी ने सात सीटें जीती थीं.

(इस इंटरव्यू को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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