बेंगलुरु: कांग्रेस में शामिल होने के नौ महीने से कुछ अधिक समय बाद ही, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में वापस लौट आए. शेट्टार पिछले साल मई में कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे, उन्होंने आरोप लगाया था कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी.एल. संतोष के इशारे पर भाजपा ने उन्हें ‘अपमानित’ किया था.
छह बार के विधायक ने अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र हुबली-धारवाड़ सेंट्रल से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन असफल रहे.
उन्होंने गुरुवार को दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, “मैं भारतीय जनता पार्टी में फिर से शामिल हो रहा हूं. और बीजेपी ने पहले भी मुझे कई जिम्मेदारियां दी हैं. और कुछ अन्य मुद्दों की वजह से मैं कांग्रेस में गया. और दूसरी बात, उस घटना (कांग्रेस में शामिल होने) के बाद पिछले 8-9 महीने से बीजेपी में काफी चर्चा चल रही थी कि मैं वापस आ जाऊं. यहां तक कि जमीनी स्तर पर कर्नाटक भाजपा के नेता और कार्यकर्ता भी कई मौकों पर जब कर्नाटक में मुझसे मिल रहे थे तो वे मुझसे भाजपा में वापस आने के लिए कह रहे थे.”
शेट्टार ने कहा कि उन्होंने कर्नाटक में “भाजपा को मजबूत करने” के लिए पार्टी में फिर से शामिल होने का फैसला किया और राष्ट्रीय हित में यह जरूरी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार सत्ता में लौटें.
उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार को “उनके साथ प्यार और सम्मान से व्यवहार करने” के लिए धन्यवाद दिया.
पार्टी में वापसी की घोषणा से पहले गुरुवार को जगदीश शेट्टार ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. पदभार ग्रहण समारोह के दौरान उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा, येदियुरप्पा के बेटे और राज्य भाजपा प्रमुख बी.वाई. विजयेंद्र और केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव और राजीव चन्द्रशेखर भी थे.
पिछले साल शेट्टार के भाजपा से बाहर जाने को, येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाने और पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी को टिकट देने से इनकार करने के कारण प्रमुख लिंगायत समुदाय को मिले कथित ‘अपमान’ के विस्तार के रूप में चित्रित किया गया था.
संतोष और येदियुरप्पा के बीच अशांत संबंधों की अटकलों के कारण, उनके समर्थकों को टिकट देने से इनकार को चार बार के मुख्यमंत्री को किनारे करने के एक और कदम के रूप में देखा गया.
पिछले साल विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस पार्टी 224 सीटों में से 135 सीटों के साथ सत्ता में आई थी, जिसके बाद कई लोगों ने सोचा था कि यह जीत उसे आम चुनाव से पहले एक नया जीवन देगी.
उस समय लिंगायतों के एक महत्वपूर्ण समूह ने कांग्रेस का समर्थन किया था, जो समुदाय के सदस्यों के बीच पार्टी के लिए समर्थन के पुनरुद्धार का संकेत देता है, जिन्होंने 1990 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरेंद्र पाटिल को हटाए जाने के बाद इसे छोड़ दिया था.
भाजपा के सूत्रों के मुताबिक, प्रमुख लिंगायत नेता के रूप में उनके पद के कारण पार्टी शेट्टार को वापस अपने पाले में लाने की इच्छुक थी. एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “काफी समय से बातचीत चल रही थी और पार्टी अपने वोट शेयर में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद कर रही थी, इसलिए कर्नाटक सहित दक्षिणी राज्यों पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण हो गया है, जहां पार्टी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था (2019 में).”
हालांकि शेट्टार के जल्द ही पार्टी छोड़ने की अटकलें थीं, लेकिन कांग्रेस ने हाल ही में बुधवार को इसकी संभावना से इनकार किया था.
शिवकुमार ने कहा कि कांग्रेस ने जगदीश शेट्टार को वह सारा सम्मान, प्यार और जिम्मेदारी दी जिसके वह हकदार थे और उन्हें विधान परिषद (एमएलसी) का सदस्य बनाया गया और वह राज्य विधानमंडल के उच्च सदन में कांग्रेस पार्टी के नेता बनने की कतार में थे.
शिवकुमार ने कहा, “उन्होंने कहा था कि बीजेपी अच्छी नहीं है, उन्होंने बीजेपी के खिलाफ कई बयान दिए…कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता पर भरोसा किया, लेकिन अब आप (मीडिया) दिखा रहे हैं कि भरोसा टूट रहा है.” उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि क्या किसी तरह के दबाव के कारण शेट्टार फिर से भाजपा में शामिल हो गये.
इस बीच, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि उन्हें घटनाक्रम की जानकारी नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने शेट्टार के साथ अत्यंत सम्मानपूर्वक व्यवहार किया है.
सिद्धारमैया ने गुरुवार को कोडागु जिले में संवाददाताओं से कहा, “उन्होंने कहा कि उन्होंने (भाजपा) मुझे टिकट नहीं देकर अपमानित किया और कांग्रेस में शामिल हो गए. हमने उन्हें टिकट दिया और वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में हार गए. फिर हमने उन्हें एमएलसी बनाया. इसलिए कांग्रेस पार्टी में उनके साथ कोई अन्याय या अपमान नहीं हुआ. हमने उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया.”
(संपादन: अलमिना खातून)
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