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Sunday, 22 December, 2024
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सरकार विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए राम मंदिर का इस्तेमाल कर रही है: थरूर

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शशि थरूर ने कहा, ‘प्रतिमाएं स्थापित करना रोमन साम्राज्य की याद दिलाता है, जब अत्याचारों से ध्यान भटकाने के लिए लोगों को सर्कस दिखाया जाता था.’

कोलकाता: कांग्रेस नेता शशि थरूर ने शनिवार को भाजपा-नीत केंद्र सरकार पर धर्म और प्रतिमाओं का इस्तेमाल अपने एजेंडे के लिए करने का आरोप लगाया, ताकि सरकार लोगों का ध्यान अपनी विफलताओं से भटका सके. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार की भगवान राम की प्रतिमा स्थापित करने की योजना और हाल ही में गुजरात में दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण करने का संदर्भ देते हुए, थरूर ने इस प्रचलन को रोमन सम्राज्य के दौरान ग्लेडियेटर सर्कस से की, जिसे लोगों का ध्यान वहां हो रहे अत्याचार से हटाने के लिए किया जाता था.

थरूर ने कहा, ‘जब आप पूछेंगे कि क्यों 390 रुपये में मिलने वाला गैस सिलिंडर अब 970 रुपये में मिल रहा है, या यह पूछेंगे कि क्यों संप्रग सरकार के कार्यकाल में प्रति लीटर पेट्रोल पर 3.70 रुपये कर को बढ़ाकर 19.48 कर दिया गया, तो वे (भाजपा) राम मंदिर, अयोध्या, स्टेच्यू ऑफ यूनिटी और इस तरह की बाते करेंगे. यह ध्यान भटकाने वाली चीजें हैं.’

उन्होंने कहा, ‘प्रतिमाओं को स्थापित करना मुझे रोमन साम्राज्य के उन दिनों की याद दिलाता है, जब लोगों को उनके ऊपर हो रहे अत्याचारों से ध्यान भटकाने के लिए सर्कस दिखाया जाता था.’

यह दावा करते हुए कि राजग सरकार काम करने में विफल रही है, उन्होंने कहा कि ऐसे चश्मे सरकार को भाते हैं, क्योंकि वे लोगों के दुखों को छुपाने में मदद करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘भारत के लोगों और मीडिया को इन विकर्षणों से बाहर निकलना चाहिए और वास्तविकताओं पर ध्यान देना चाहिए. भारत का आम आदमी बीते साढ़े चार सालों से दुख झेल रहा है.’

मेरे खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला निराधार : थरूर

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कथित रूप से ‘बिच्छू’ वाले बयान पर उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत चकित करने वाली है, क्योंकि इसमें लेखक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर सवाल उठाए गए हैं. इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि यह निराधार मामला बहुत जल्द खारिज हो जाएगा.

थरूर ने कहा कि उन्होंने 2012 में एक आलेख में अज्ञात आरएसएस कार्यकर्ता के बयान का संदर्भ दिया था. थरूर ने दावा किया कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और अगर उन्हें इस मामले में कानूनी नोटिस भेजा गया तो खुद की रक्षा करने के लिए तैयार हैं.

तिरुवनंतपुरम सीट से लोकसभा सांसद ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘यह मेरा बयान नहीं था. आरएसएस और प्रधानमंत्री के बीच संबंधों के बारे में बताते हुए, मैंने ‘द कारवां’ पत्रिका में 2012 में छपे एक आलेख का हवाला दिया था, जिसमें एक अज्ञात आरएसएस कार्यकर्ता ने एक पत्रकार पर टिप्पणी की थी. इसलिए कुल मिलाकर 2012 में मानहानि की घटना हुई थी, न कि अभी. और यह आरएसएस की तरफ से हुआ था, न कि शशि थरूर की तरफ से.’

उन्होंने कहा, ‘मैं खुद के खिलाफ मानहानि के मुकदमे के बारे में सुनकर चकित हो गया. मुझे उम्मीद है कि न्यायाधीश वास्तविक सच्चाई के आधार पर इसे खारिज कर देंगे, अगर ऐसा नहीं किया गया तो हम निश्चय ही इसका बचाव करेंगे. इन दिनों हमारी अदालतों का इस्तेमाल राजनीतिक उत्पीड़न के हथियार के तौर पर किया जा रहा है. अगर न्यायाधीश जवाब के लिए नोटिस जारी करेंगे, तो हम इसका जवाब देंगे.’


यह भी पढ़ें: मोदी शिवलिंग पर बैठे बिच्छू की तरह हैं, न हाथ से हटा सकते हैं, न चप्पल मार सकते हैं: थरूर


भाजपा नेता राजीव बब्बर ने शनिवार को पटियाला हाउस अदालत में थरूर द्वारा प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ दिए गए बयान के लिए आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज करवाया है और मुआवजे के रूप में पांच करोड़ रुपये की राशि की मांग की है.

थरूर ने अपने बयान में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘शिवलिंग पर बैठे बिच्छू हैं.’ बब्बर ने अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी समर विशाल से कहा कि थरूर ने बदनीयती से यह बयान दिया, जिससे न केवल हिंदुओं के भगवान की अवमानना हुई, बल्कि यह अपमानजनक भी है.

थरूर ने कहा, ‘मेरी किताब में कई उद्धरण हैं, कुछ तो 150 वर्ष पुराने भी हैं. तो क्या कोई मुझपर अभी मानहानि का मुकदमा करेगा, क्योंकि मैंने 150 वर्ष पहले कहे गए उद्धरण का अभी हवाला दिया है?’

थरूर की किताब ‘द पैराडॉक्सिकल प्राइम मिनिस्टर: नरेंद्र मोदी एंड हिज इंडिया’ को पिछले महीने लांच किया गया था.

थरूर ने 28 अक्टूबर को बेंगलुरू साहित्य महोत्सव में कहा था, ‘मोदी शिवलिंग पर बैठे एक बिच्छू की तरह हैं. आप न तो उन्हें हाथ से हटा सकते हैं और न ही चप्प्ल से मार सकते हैं.’

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