scorecardresearch
Friday, 19 April, 2024
होमराजनीतिबंगाल BJP में अलगाव का माहौल, 'हिंसा प्रभावित' सदस्यों का कहना है कि पार्टी के आलाकमान ने उन्हें अकेला छोड़ दिया

बंगाल BJP में अलगाव का माहौल, ‘हिंसा प्रभावित’ सदस्यों का कहना है कि पार्टी के आलाकमान ने उन्हें अकेला छोड़ दिया

भाजपा के स्थानीय सदस्यों के मध्य अमित शाह और जेपी नड्डा के बंगाल दौरे के लिए शोर गुल लगातार बढ़ता जा रहा है. अमित शाह ने पिछली बार अप्रैल 2021में बंगाल की यात्रा की थी जबकि नड्डा 4 मई को दो दिवसीय दौरे पर राज्य में आए थे.

Text Size:

कोलकाता: बंगाल के कई भाजपा कार्यकर्ताओं का यह दावा है कि 2 मई को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद और राज्य में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में लौटने के उपरांत उन पर पिछले साढ़े तीन महीने से लगातार हमले हो रहे हैं.

आधिकारिक तौर पर भाजपा का कहना है कि विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा में उसके दो दर्जन से भी अधिक कार्यकर्ता मारे गए हैं और सैकड़ों को बेघर होना पड़ा है. उन्होंने महिला समर्थकों के साथ बलात्कार का भी आरोप लगाया है.

बंगाल भाजपा के सदस्यों के अनुसार, एक ओर जहां पार्टी के कार्यकर्ता, समर्थक और स्थानीय नेता तृणमूल कांग्रेस की कथित धमकियों और हिंसा का सामना करने के लिए अपने आप को एकजुट रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. वहीं, चुनाव के दौरान पूरे राज्य में फैले दिखने वाले पार्टी के वरिष्ठ राष्ट्रीय नेताओं का राज्य में का कहीं भी अता-पता नहीं है.

उनके बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बंगाल दौरे पर आने को लेकर हो-हल्ला बढ़ता जा रहा है

अमित शाह ने अंतिम चरण के मतदान से ठीक पहले आखिरी बार अप्रैल 2021 में बंगाल का दौरा किया था, वहीं नड्डा 4 मई को अपनी दो दिवसीय यात्रा के लिए राज्य में पहुंचे, जहां उन्होंने दक्षिण 24 परगना और कोलकाता में राजनीतिक हिंसा में कथित रूप से मारे गए पार्टी कार्यकर्ताओं के घरों का दौरा किया था.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

भाजपा के कुछ स्थानीय सांसद भी मैदान से नदारद भी रहे हैं. एक ओर बाबुल सुप्रियो पार्टी के बंगाल नेतृत्व की आलोचना करते हुए और राजनीति से अपने संन्यास की घोषणा करते हुए, पार्टी के कार्यक्रमों से काफी हद तक दूर रहे, वहीं सांसद सौमित्र खान ने भी बंगाल इकाई का नेतृत्व करने वाले भाजपा नेताओं की इसी तरह से आलोचना की है.

चुनाव के बाद से राज्य में पार्टी की दो संगठनात्मक बैठकें हुई हैं – एक जुलाई में और दूसरी अगस्त में कोलकाता में – जो इसके दो केंद्रीय नेताओं,पश्चिम बंगाल के सह-प्रभारी और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव, अरविंद मेनन, तथा राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव (संगठन) शिवप्रकाश द्वारा आयोजित की गई हैं. बंगाल भाजपा के नेताओं का कहना है कि यही एकमात्र समय था जब किन्हीं केंद्रीय नेताओं ने राज्य का दौरा किया.

दिप्रिंट से बात करते हुए कई जिलों के भाजपा सदस्यों ने कहा कि उन्हें केंद्रीय नेताओं से और अधिक समर्थन की उम्मीद थी. उनमें से कई लोगों ने भाजपा के प्रचार अभियान पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है, जो उनके अनुसार, चुनाव के बाद कार्यकर्ताओं पर हमले का प्रमुख कारण बनी.

राज्य भाजपा इकाई यह स्वीकार करती है कि कुछ शिकायतें वाजिब हैं. ख़ासकर यह देखते हुए कि कुछ केंद्रीय नेताओं ने चुनाव अभियान में तो अनुभवी स्थानीय राजनेताओं को ‘ठीक से’ शामिल नहीं किया, लेकिन अंततः यही हिंसा का शिकार हुआ. हालांकि, केंद्रीय पार्टी नेतृत्व ने मौके से गायब रहने होने के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि पार्टी राहत कार्यों का समन्वय कर रही है और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं की मदद की जा रही है.

भाजपा ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान इस राज्य में पहली बार अपनी सरकार बनाने के उद्देश्य से एक आक्रामक अभियान चलाया, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर शाह और नड्डा जैसे पार्टी के शीर्ष नेताओं को लगाया गया था. परंतु इस अभियान के वांछित परिणाम हासिल नहीं हो सके और और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक और शानदार जीत के साथ सत्ता में वापसी की.

एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया कि सितंबर में हुई अपनी हार को देखते हुए पार्टी राज्य, जिला और ब्लॉक समिति स्तरों पर अपने संगठनात्मक पुनर्गठन को लागू करने की कोशिश कर रही है.

बीजेपी ‘अराजकता से घिरी हुई एक पार्टी’

पूर्वी मिदनापुर जिले के एक वरिष्ठ नेता प्रीति रंजन मैती ने भाजपा को ‘अराजकता से घिरी हुई पार्टी’ बताया.

उनका कहना था कि ‘तृणमूल के कुछ असंतुष्ट नेताओं ने इस अराजकता का सबसे अधिक फायदा उठाया. चुनाव के बाद से अब तक कितने भाजपा नेता हिंसा प्रभावित गांवों में पहुंच चुके हैं? कुछ केंद्रीय नेताओं ने केवल फोटो खिंचवाने के लिए कुछ गांवों का दौरा किया और उन्हें सोशल मीडिया पर डाल दिया.’


यह भी पढ़ें : पहली बार आजादी का जश्न मनाने जा रही है माकपा, भाजपा ने बताया ‘अस्तित्व संकट’


खेजुरी निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव एजेंट के रूप में काम करने वाले एक स्कूल शिक्षक मैती ने कहा कि वह अब भाजपा में ‘निष्क्रिय’ रहना ही पसंद करते हैं और संघ (आरएसएस) द्वारा निर्देश दिए जाने होने पर ही कोई काम करते हैं.

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष अली हुसैन का कहना है कि उनके समूह के सदस्यों को वरिष्ठ नेताओं से कहीं ‘अधिक सक्रियता’ की उम्मीद है. कुछ केंद्रीय नेताओं को ‘वोट पाखी’ (चुनाव के दौरान राज्य में नज़र आने वाले मौसमी पक्षी)’ के रूप में वर्णित करते हुए उन्होंने कहा, ‘हमें जरूरत पड़ने पर वरिष्ठ केंद्रीय नेताओं से सहयोग मिलने की उम्मीद थी. कोई भी कार्यकर्ताओं के हाल को देखने या यह पूछने नहीं आया कि वे कैसे काम चला रहे हैं. लेकिन हमारे शक्ति प्रमुख, मंडल नेता और राज्य के नेता हमारे पीछे चट्टानों की तरह खड़े रहे.’

भाजपा की राज्य समिति के सदस्य और पार्टी की पूर्वी मिदनापुर इकाई के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ रॉय ने कहा, ‘ये तीन महीने हमारे कार्यकर्ताओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण थे. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाला बंगाल एक ऐसा राज्य है जहां पुलिस अपने राजनीतिक आकाओं से पूछे बिना राजनीतिक हिंसा के मामले में एक जनरल नोट भी दर्ज नहीं करती है. हमारे कार्यकर्ताओं को पीटा गया, उन्हेंलूटा गया, उनके घरों से घसीटा गया और मार डाला गया. हम थानों का घेराव तक नहीं कर पाए.’

वे कहते हैं, ‘इस हालत मे हम अपने कैडरों को कैसे प्रेरित कर पाएंगे? हमारे केंद्रीय नेता अभी भी गहरी नींद में हैं हमें उचित चिकित्सा और कानूनी सहायता भी नहीं मिल पा रही है.’

दिप्रिंट से बात करते हुए, भाजपा के जलपाईगुड़ी जिला समिति के सदस्य प्रदीप तिर्की ने कहा, ‘पार्टी मल विधानसभा क्षेत्र में लगभग 5,700 मतों से हार गई. तब से तृणमूल कांग्रेस लगातार हमारे कार्यकर्ताओं को आतंकित कर रही है, उनमें से हजारों विस्थापित हुए हैं. कई लोग अभी तक अपने गांव नहीं लौटे हैं. हमें वरिष्ठ नेताओं से और अधिक समर्थन की उम्मीद थी.’

टिर्की के अनुसार, ‘तृणमूल हमारे कई स्थानीय नेताओं को अपनी पार्टी में पद देने की पेशकश कर रही है या उन्हें धमकी दे रही है. ऐसा हीं प्रस्ताव मुझे भी दिया गया था. लेकिन मैंने वहां ज्वाइन करने से इनकार कर दिया. हालांकि, इस तरह की हिंसा से बचने के लिए मुझे भी कुछ दिनों के लिए भूमिगत होना पड़ा.’

अल्पसंख्यक मोर्चा के उपाध्यक्ष बशीर आलम ने कहा कि चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान हमारे कम-से-कम छह से सात मुस्लिम कार्यकर्ता मारे गए. उनमें से कुछ के परिवारों को अभी तक पार्टी की ओर से कोई मुआवजा नहीं मिला है. कोई वरिष्ठ केंद्रीय नेता उनसे मिलने नहीं गया.

भाजपा के बर्दवान जिले के सचिव जॉयदीप चटर्जी ने दावा किया कि तृणमूल कार्यकर्ताओं द्वारा कथित रूप से पीटे जाने के बाद उनका बेटा और पत्नी हफ्तों तक अस्पताल में भर्ती रहे. उन्होंने कहा कि उनके घर को लूटा गया और वहां तोड़फोड़ भी की गई.

उन्होंने बताया कि, ‘मैं दो महीने के लिए अपने घर से बाहर था, और कुछ ही दिन पहले लौटा हूं. केंद्रीय नेता यह सोचकर हमारे पास नहीं पहुंचे कि अगर वे आते तो स्थिति और खराब हो सकती थी.’

चटर्जी का कहना है कि उन्हें अभी तक अपने घर के पुनर्निर्माण के लिए पार्टी की ओर से कोई मुआवजा नहीं मिला है.

‘हम वहां स्थानीय सदस्यों के साथ खड़े हैं’

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि वह बखूबी जानते हैं कि जमीन पर वफादार सैनिकों के रूप में काम करने वाले पुराने लोगों की कुछ ‘शिकायतें’ हैं.

उन्होंने कहा, ‘मुझे यह पता है कि कई सारे कार्यकर्ता निराश हैं. कई अपने घरों से दूर रह रहे हैं. दो महीने पहले जब मैं जिलों का दौरा कर रहा था तो 50 प्रतिशत मंडल सभापति गुस्से या शोक की वजह से अनुपस्थित रहे. अब हम उन तक पहुंच रहे हैं.’

उन्होंने आगे कहा कि ‘कुछ केंद्रीय नेताओं, जिनके पास राज्यों का चुनाव जीतने का अनुभव है, को जिम्मेदारी दी गई थी. हमने सोचा जैसा था वैसा काम नहीं हो पाया. कुछ पुराने नेता चुनावी कार्यों में ठीक से शामिल नहीं थे और फिर उन्हें इस अभूतपूर्व हिंसा का सामना करना पड़ा. मैं उनकी समस्याओं को समझ सकता हूं.’

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, वह स्थानीय नेताओं से यह अनुरोध कर रहे हैं कि वे स्वयं पार्टी के संगठन को मजबूत करें और किसी भी केंद्रीय नेता के आने और उनके द्वारा मदद किए जाने की प्रतीक्षा न करें.

उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनावों के बाद हुई हिंसा और इसकी जांच पर चल रही सुनवाई का जिक्र करते हुए कहा, ‘मैं इस मामले में अपने कार्यकर्ताओं के साथ खड़ा हूं. हमारे नेताओं ने अदालत में इस मामले को इतनी मजबूती से लड़ा, कि कुछ कार्यकर्ता अब धीरे-धीरे पार्टी में लौट रहे हैं.’

ज्ञात हो कि इस महीने की शुरुआत में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआई को राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच करने का आदेश दिया था और एजेंसी ने इस शनिवार को इस मामले के संबंध में अपनी पहली गिरफ्तारी की.

हालांकि, भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने उन पर लगे आरोपों से साफ इनकार करते हुए कहा कि पार्टी राहत कार्यों का समन्वय कर रही है और अपने कार्यकर्ताओं की पूरी मदद कर रही है.

पश्चिम बंगाल के भाजपा के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने कहा, ‘चुनाव बाद हुई हिंसा के उपरांत भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने बंगाल का दौरा किया. विदेश मंत्रालय के राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन, हमारे कई राष्ट्रीय महासचिवों तथा अन्य वरिष्ठ नेताओं ने बंगाल का दौरा किया और ज़मीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं से मुलाकात की.’

उन्होंने यह भी बताया कि स्थानीय सांसद और नवनिर्वाचित विधायक जमीनी स्तर पर किए जा रहे प्रयासों का समन्वय कर रहे हैं. वे कहते हैं, ‘मैंने स्वयं कई संगठनात्मक जिलों की यात्रा की है और अपने कार्यकर्ताओं से बात की है, अन्य लोग राहत कार्यों का समन्वय कर रहे हैं और हमारे पीड़ित कार्यकर्ताओं को दमनकारी टीएमसी शासन के खिलाफ उनकी लड़ाई में कानूनी सहायता प्राप्त करने में मदद कर रहे हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

share & View comments