गुरुग्राम: अभिनेता-राजनेता राज बब्बर को गुड़गांव लोकसभा सीट से मैदान में उतारने का कांग्रेस का फैसला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शहरी वोटों में सेंध लगाने की कोशिश हो सकती है, लेकिन इससे पार्टी की हरियाणा इकाई में तनाव बढ़ गया है.
कांग्रेस ने मंगलवार को 72-वर्षीय बब्बर की उम्मीदवारी की घोषणा की — इस कदम से राज्य के पार्टी नेताओं में कुछ नाराज़गी है, जिनमें से कुछ बब्बर को पैराशूट उम्मीदवार मानते हैं, जो कि पांच बार सांसद रह चुके हैं और अपने सार्वजनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा उन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति में बिताया है.
गुड़गांव में बब्बर का मुकाबला भाजपा के मौजूदा सांसद राव इंद्रजीत सिंह और जननायक जनता पार्टी के उम्मीदवार, गायक और रैपर राहुल यादव फाजिलपुरिया से होगा.
कांग्रेस द्वारा अपने फैसले की घोषणा के बाद दिप्रिंट से बातचीत में पार्टी के वरिष्ठ नेता कैप्टन अजय सिंह यादव, जिन्होंने गुरुग्राम से 2019 का चुनाव लड़ा था, लेकिन असफल रहे थे और एक बार फिर टिकट की उम्मीद कर रहे थे, ने अपनी नाराज़गी व्यक्त की.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “हम पार्टी के फैसले का सम्मान करते हैं और उसका पालन करेंगे, लेकिन जिसने भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को पूरी तरह दरकिनार करके टिकट तय किए हैं, उसने पार्टी के लिए कुछ अच्छा नहीं किया है. पहले, वरिष्ठ कांग्रेस नेता बीरेंद्र सिंह और किरण चौधरी को दरकिनार किया गया और अब मेरे साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया गया है.”
यादव की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब वरिष्ठ कांग्रेस नेता और फरीदाबाद से पांच बार विधायक रहे करण सिंह दलाल ने इस साल पार्टी टिकट न मिलने पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की. माना जा रहा है कि बीरेंद्र सिंह और किरण चौधरी जैसे नेता भी अपने बच्चों को टिकट न दिए जाने से पार्टी से नाराज़ हैं. बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह और किरण चौधरी की पूर्व सांसद बेटी श्रुति चौधरी को टिकट नहीं दिया गया.
राज बब्बर ने हालांकि, दिप्रिंट के फोन कॉल का जवाब नहीं दिया है. जवाब आने पर इस रिपोर्ट अपडेट कर दिया जाएगा.
पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने बब्बर का समर्थन करते हुए उन्हें एक अच्छा उम्मीदवार बताया.
हुड्डा ने दिप्रिंट को फोन पर बताया, “वे (राज) गुरुग्राम सीट के लिए एक मजबूत प्रत्याशी होंगे.”
कांग्रेस इस चुनाव में राज्य की 10 लोकसभा सीटों में से नौ पर चुनाव लड़ रही है, जबकि एक सीट — कुरुक्षेत्र — सीट बंटवारे के समझौते के तहत आम आदमी पार्टी (आप) को दी गई है.
कांग्रेस ने पिछले हफ्ते आठ सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की थी, लेकिन उसने गुड़गांव की सीट पर मंगलवार तक के लिए उम्मीदवारों की घोषणा रोक दी थी.
हरियाणा में लोकसभा चुनाव के छठे चरण में 25 मई को मतदान होगा.
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अभिनेता से अनुभवी राजनेता तक — राज बब्बर का सफर
‘इंसाफ का तराजू’ (1980) जैसी हिंदी फिल्मों और ‘चन्न परदेसी’ (1981) जैसी पंजाबी फिल्मों के लिए मशहूर अभिनेता राज बब्बर तीन बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं. 1989 से राजनीतिक रूप से सक्रिय बब्बर जनता दल में शामिल हो गए, जिसका नेतृत्व उस समय पूर्व प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह कर रहे थे, लेकिन बाद में वे समाजवादी पार्टी (सपा) में चले गए.
1994 में वे राज्यसभा के सदस्य बने और 1999 तक वहां रहे, जब उन्होंने आगरा से अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता. उन्होंने 2004 में भी सीट को बरकरार रखा.
दो साल बाद, तत्कालीन पार्टी महासचिव अमर सिंह के खिलाफ उनके गुस्से के कारण उन्हें सपा से निलंबित कर दिया गया, जिन पर उन्होंने “दलाल संस्कृति” को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था.
2008 में वे कांग्रेस में शामिल हो गए और एक साल बाद फिरोज़ाबाद संसदीय सीट के लिए हुए उपचुनाव में तीन बार की सांसद और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को हराकर जीत हासिल की.
2014 में कांग्रेस ने उन्हें गाजियाबाद से टिकट दिया था, लेकिन वे भाजपा के जनरल वी.के. सिंह से हार गए. अक्टूबर 2016 में कांग्रेस ने उन्हें उत्तर प्रदेश कांग्रेस इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया.
बब्बर ने 2019 का आम चुनाव फतेहपुर सीकरी से लड़ा था, लेकिन भाजपा के राज कुमार चाहर से हार गए थे. महीनों बाद, अजय कुमार लल्लू ने उनकी जगह उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रमुख के रूप में पदभार संभाला.
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के पूर्व छात्र राज बब्बर की शादी थिएटर एक्टर-डायरेक्टर नादिरा बब्बर से हुई. इस जोड़े के दो बच्चे हैं — आर्य बब्बर और जूही बब्बर, दोनों ही एक्टर हैं.
1983 में बब्बर ने दिवंगत अभिनेत्री स्मिता पाटिल से शादी की, जिनसे उनका एक बेटा है प्रतीक बब्बर और वो भी अभिनेता है.
हालांकि, उनके नाम की घोषणा मंगलवार को ही की गई थी, लेकिन पिछले महीने संभावित उम्मीदवार के तौर पर उनके नाम की चर्चा शुरू होने के बाद से ही पूर्व सांसद गुड़गांव में अधिक रुचि ले रहे थे. उदाहरण के लिए 21 अप्रैल को बब्बर ने एक्स पर गुरुग्राम में श्मशान घाट की दीवार गिरने का एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें पांच लोगों की जान चली गई थी.
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क्या चलेगा कांग्रेस का दांव?
गुड़गांव लोकसभा सीट के अंतर्गत नौ विधानसभा क्षेत्र हैं — बावल, रेवाड़ी, पटौदी, बादशाहपुर, गुड़गांव, सोहना, नूंह, फिरोज़पुर झिरका और पुनहाना. इनमें से चार — बावल, पटौदी, गुरुग्राम और सोहना — भाजपा के खाते में हैं जबकि रेवाड़ी, नूंह, फिरोज़पुर झिरका और पुनहाना कांग्रेस के पास हैं.
एकमात्र शेष सीट, बादशाहपुर के सांसद निर्दलीय हैं.
दिप्रिंट से बातचीत में कैप्टन अजय सिंह यादव ने बब्बर को मैदान में उतारने के कांग्रेस के फैसले के लिए किसी को भी स्पष्ट रूप से दोषी ठहराने से इनकार कर दिया. हालांकि, उन्होंने संकेत दिया कि उनका इशारा हुड्डा की ओर था.
जबकि किरण चौधरी और हिसार के पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह दोनों ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वे पार्टी के फैसले को स्वीकार करेंगे, लेकिन, उन्होंने नाराज़गी भी व्यक्त की है.
उदाहरण के लिए चौधरी ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था कि उनकी बेटी टिकट की हकदार है क्योंकि उन्होंने 2014 और 2019 में मोदी लहर के बीच “भिवानी-महेंद्रगढ़ निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी का झंडा मजबूती से पकड़ रखा था”.
इसी तरह, इस हफ्ते जींद में समर्थकों के साथ एक बैठक में बृजेंद्र ने पार्टी द्वारा उन्हें टिकट नहीं दिए जाने के लिए “राज्य के कुछ नेताओं” को दोषी ठहराया, जबकि उनके पिता बीरेंद्र सिंह, जो पिछले महीने ही कांग्रेस में फिर से शामिल हुए थे, ने गुस्से में कहा कि उनके बेटे को “राज्य में शीर्ष पद का दावेदार बनना चाहिए.”
इस बीच, माना जा रहा है कि पार्टी द्वारा महेंद्र प्रताप सिंह को फरीदाबाद से अपना उम्मीदवार घोषित करने के बाद पूर्व कांग्रेस मंत्री करण सिंह दलाल अपने अगले कदम के बारे में अपने समर्थकों से सलाह ले रहे हैं.
राजनीतिक पर्यवेक्षक इस बात पर बंटे हुए हैं कि गुड़गांव के लिए कांग्रेस की पसंद का उम्मीदवार चुनाव में क्या भूमिका निभाएगा.
विश्लेषक महाबीर जागलान का मानना है कि गुड़गांव की अधिक महानगरीय आबादी को देखते हुए बब्बर भाजपा के राव इंद्रजीत सिंह को कड़ी टक्कर दे सकते हैं.
उन्होंने कहा, “हरियाणा के अन्य शहरों के विपरीत, जहां जातिगत समीकरण महत्व रखते हैं, गुड़गाव महानगरीय शहर है जहां देश भर से लोग बसे हुए हैं और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरियां कर रहे हैं. राज बब्बर, जो एक सफल अभिनेता और एक अनुभवी राजनीतिज्ञ रहे हैं, को मैदान में उतारकर पार्टी को शहरी मतदाताओं में सेंध लगाने की उम्मीद है जो 2014 और 2019 में भाजपा के साथ गए थे.”
जागलान ने कहा, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की तरह बब्बर भी एक पंजाबी हैं, जिनकी जड़ें पाकिस्तान के पंजाब से जुड़ी हैं. जागलान के अनुसार, दो पंजाबी उम्मीदवारों — गुड़गांव से बब्बर और करनाल से दिव्यांशु बुद्धिराजा — को मैदान में उतारकर कांग्रेस को खट्टर और उनकी भाजपा का मुकाबला करने की उम्मीद है और यह सुनिश्चित करना है कि पार्टी इसे 2019 की तरह “जाट बनाम गैर-जाट चुनाव” में न बदल दे.
विश्लेषक ने कहा, “यह पहली बार है कि कांग्रेस ने केवल दो जाट उम्मीदवारों — रोहतक से दीपेंद्र सिंह हुडा और हिसार से जय प्रकाश को मैदान में उतारा है. 2019 में कांग्रेस ने चार जाटों को मैदान में उतारा — रोहतक से दीपेंद्र सिंह हुडा, सोनीपत से भूपिंदर सिंह हुडा, कुरुक्षेत्र से निर्मल सिंह और भिवानी से श्रुति चौधरी को.”
हालांकि, गुरुग्राम स्थित पवन कुमार बंसल का मानना है कि बब्बर को चुनकर, कांग्रेस ने भाजपा को लोकसभा सीट “तोहफे” में दे दी है. विश्लेषक का कहना है कि कांग्रेस को नूंह से वोट मिलेंगे, खासकर नूंह हिंसा के बाद.
बंसल ने कहा, “कैप्टन अजय यादव जैसा उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह को कड़ी टक्कर दे सकता था, खासकर रेवाड़ी जिले के अहीरवाल बेल्ट में. दूसरी ओर, राज बब्बर इस क्षेत्र में बिल्कुल नए हैं जो उनके लिए नुकसानदेह होगा.”
अपनी ओर से भाजपा बब्बर की उम्मीदवारी से परेशान नहीं दिख रही है, उसका मानना है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कांग्रेस किसे चुनती है.
हरियाणा की भाजपा इकाई के प्रवक्ता संजय शर्मा ने दिप्रिंट को बताया, “यह कांग्रेस का काम है कि वो अपना उम्मीदवार घोषित करे. हालांकि, हरियाणा की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरा मौका देने का मन बना चुकी है. भाजपा हरियाणा में सभी 10 सीटें जीतेगी और एनडीए केंद्र में 400 से अधिक सीटों के साथ सत्ता में आएगा, जैसा कि मोदी जी ने कहा था.”
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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