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Friday, 3 May, 2024
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धर्मनिरपेक्ष पार्टियां मुसलमानों का नेतृत्व नहीं देखना चाहतीं, उन्हें गुलाम बनाना चाहती हैं : ओवैसी

दिप्रिंट को दिए इंटरव्यू में औवेसी, जिनकी एआईएमआईएम ने अपना दल (के) और अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है, का कहना है कि उनका उद्देश्य भाजपा को हराना है. उन्होंने इंडिया गुट पर मुसलमानों से संबंधित मुद्दों पर चुप रहने का आरोप लगाया.

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लखनऊ: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया है कि उनकी पार्टी विपक्षी वोटों को विभाजित करके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मदद करती है. उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष पार्टियां चाहती हैं कि मुस्लिम नेता उनके गुलाम बनें.

दिप्रिंट को दिए एक विशेष इंटरव्यू में ओवैसी, जिनकी एआईएमआईएम ने आगामी चुनाव के लिए ओबीसी पार्टी अपना दल (कमेरावादी) और बाबू राम पाल की राष्ट्र उदय पार्टी (आरयूपी) और प्रेम चंद बिंद की प्रगतिशील मानव समाज पार्टी (पीएमएसपी) जैसी छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन किया है. उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों ने इंडिया ब्लॉक के इस दावे को “एक मजाक” बताया कि वह हाशिये पर पड़े पीडीए समूहों के लिए खड़ा है.

पीडीए का मतलब पिछड़े, दलित और अल्पसंख्याक है — वही वर्ग जिसका प्रतिनिधित्व करने का दावा एआईएमआईएम के नेतृत्व वाला पीडीएम (पिछड़े, दलित और मुस्लिमों के लिए) न्याय मोर्चा करता है.

हैदराबाद के सांसद ने पूछा, “उन्होंने यह नाम (पीडीए) गैर-गंभीर तरीके से दिया है. आपने राज्यसभा में (किसी मुस्लिम को) टिकट क्यों नहीं दिया? तुम्हें किसने रोका?”

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ओवैसी ने आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराने के अपनी पार्टी के उद्देश्य, तेलंगाना में कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावना और गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की मौत पर अपने संदेह के बारे में बात की. पढ़िए इंटरव्यू के अंश:


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‘मुसलमान राजनीतिक रूप से अदृश्य’

ओवैसी के मुताबिक, जहां बीजेपी मुसलमानों को टिकट नहीं देती, वहीं इंडिया ब्लॉक भी उनसे जुड़े मुद्दों पर चुप रहता है. उन्होंने कहा, परिणामस्वरूप, मुसलमान राजनीतिक रूप से अदृश्य हैं.

विपक्ष मुसलमानों के लिए कुछ नहीं करता और उन्हें नेतृत्व की स्थिति में नहीं देखना चाहता. उदाहरण के तौर पर, उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) के अपने मुरादाबाद के सांसद एस.टी. हसन को टिकट नहीं देने के फैसले की ओर इशारा किया.

उन्होंने कहा, यह “किसी को जनता के सामने अपमानित करने” जैसा है।

ओवैसी ने आगे कहा, “आपने तमाशा बनाया. यह सिर्फ यह दिखाने का एक तरीका है कि हम मुसलमानों के चौधरी (रक्षक) हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “किसी के घर पर बुलडोजर चला दिया जाए तो वह (विपक्ष) चुप बैठ जाते हैं, किसी को गोली मार दी जाए तो कोई प्रतिक्रिया नहीं होती. अगर किसी को मांस के लिए मार दिया जाए तो कोई जवाब नहीं आता…हद तो तब हो गई कि उनकी ही पार्टी के मुरादाबाद से सांसद एस.टी. हसन को अपमानित करने की कोशिश की गई.”

उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें हैरानी है कि कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के खिलाफ “मुस्लिम वोटों को विभाजित करने” का आरोप कभी क्यों नहीं लगाया गया, जिनमें से किसी ने भी 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण लाभ नहीं कमाया था.

उस चुनाव में जहां कांग्रेस ने दो सीटें जीतीं, वहीं बसपा केवल एक सीट हासिल कर सकी. उन्होंने कहा, “ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि केवल एआईएमआईएम ही मुसलमानों के सशक्तिकरण की बात कर रही है.”

हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि एआईएमआईएम का उद्देश्य भाजपा को हराना है, खासकर पार्टी के गढ़ और उनकी अपनी सीट हैदराबाद में. उन्होंने कहा कि भाजपा 1984 से वहां एआईएमआईएम की प्रमुख विपक्ष रही है.

सांसद ने कहा, “इंशाअल्लाह, इस बार भी हम बीजेपी को हराएंगे. इसमें कोई शक नहीं है.”

अपने आलोचकों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी को रोकने में बड़े विपक्ष की विफलता के बावजूद, यह एआईएमआईएम ही थी जिस पर लगातार नजर रखी जा रही थी और उसकी जांच की जा रही थी.

उन्होंने कहा, “नरेंद्र मोदी को 2014 में बहुसंख्यक समुदाय का 31 प्रतिशत वोट मिला. यह 2019 में बढ़कर 37 प्रतिशत हो गया. क्या मैं इसके लिए जिम्मेदार हूं? 1984 के बाद से गुजरात में एक भी मुस्लिम सांसद नहीं जीता है. इसके लिए कौन जिम्मेदार है? भारतीय संसद में केवल 27 मुस्लिम सांसद जीतकर आते हैं, जो जनसंख्या का केवल 4 प्रतिशत है. क्या आप इसके लिए भी मुझे जिम्मेदार ठहराएंगे?”

पिछले दिसंबर में राज्य में कांग्रेस पार्टी की जीत के बाद तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी के साथ उनकी मुलाकात से पार्टी के साथ एआईएमआईएम के संभावित गठबंधन की अटकलें लगने लगीं, लेकिन औवेसी ने कहा कि यह बधाई यात्रा थी.

उन्होंने कहा, “जब नतीजे आए और तेलंगाना की जनता ने उन्हें जनादेश दिया, तो मैंने उन्हें बधाई दी और उन्होंने मुझसे बात की. उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या हैदराबाद में कोई काम करने की ज़रूरत है. मैंने उन्हें कहा कि बहुत कुछ है.”

हालांकि, उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन को सिरे से खारिज नहीं किया, केवल इतना कहा कि उन्हें नहीं लगता कि “अभी तक” ऐसा मामला है. उन्होंने कहा, “जहां तक तेलंगाना के अन्य 16 निर्वाचन क्षेत्रों का सवाल है, हमारी कोशिश होगी कि बीजेपी को वहां रोका जाए.”

यूपी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि पीडीएम (पिछड़े, दलित और मुस्लिम) का अपना दल (के) और अन्य के साथ गठबंधन “2027 के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले जनता को एक मजबूत विकल्प” प्रदान करना था. उन्होंने ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और दलित नेता और भीम आर्मी प्रमुख चंद्र शेखर आज़ाद को भी गठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया.

जहां पूर्व राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कुशीनगर से चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं बाद वाले आज़ाद नगीना से चुनाव लड़ रहे हैं.

गौरतलब है कि अपना दल (के) की प्रमुख नेता पल्लवी पटेल ने 1 अप्रैल को कहा था कि उनकी पार्टी ने मौर्य के “आशीर्वाद से” एआईएमआईएम के साथ गठबंधन किया है, जिससे अटकलें तेज़ हो गईं कि वे मोर्चे में शामिल हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, “हम उनका स्वागत करेंगे. चलो देखते हैं क्या होता हैं. अगर वे हमारे साथ आते हैं, तो यह एनडीए, नरेंद्र मोदी और इंडिया गठबंधन के खिलाफ एक मजबूत संदेश देगा.”


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मुख्तार अंसारी की मौत पर

अपने इंटरव्यू के दौरान ओवैसी ने गैंगस्टर-राजनेता मुख्तार अंसारी की मौत पर भी संदेह जताया. बसपा के पूर्व विधायक, जिनके खिलाफ 65 आपराधिक मामले थे और आठ में वे दोषी थे, अस्वस्थ थे और 28 मार्च को यूपी की बांदा जेल में अधिकारियों के अनुसार, दिन का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई.

हालांकि, उनके परिवार, जिनसे ओवैसी ने बुधवार को मुलाकात की, का दावा है कि उन्हें धीमे-धीमे ज़हर दिया गया.

अंसारी की मौत गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या करने के एक साल बाद हुई जब उन्हें अदालत में सुनवाई के लिए लाया जा रहा था.

अपने इंटरव्यू में हैदराबाद के सांसद ने अस्पताल से छुट्टी के तुरंत बाद अंसारी को वापस जेल भेजने के यूपी सरकार के फैसले पर सवाल उठाया. उन्होंने इस बात पर भी संदेह किया कि सरकार ने विशेषज्ञों के एक स्वतंत्र समूह द्वारा पोस्टमार्टम के लिए परिवार के अनुरोध का पालन क्यों नहीं किया.

उन्होंने कहा कि अंसारी का परिवार बार-बार कह रहा है कि उनकी जान को खतरा है और पिछले दिसंबर में उन्होंने अधिक सुरक्षा की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की थी. “यूपी सरकार ने कहा कि ऐसा नहीं होगा और वे (मुख्तार को) सुरक्षा प्रदान करेंगे. परिवार की आशंकाएं अब सच साबित हो गई हैं.”

उन्होंने अहमद की मौत का ज़िक्र करते हुए कहा, यह न्यायिक हिरासत में दूसरी मौत है.

ओवैसी ने कहा, “एक पूर्व सांसद जिसे अदालत ने सज़ा सुनाई थी और उसके भाई (अतीक अहमद और अशरफ) की पुलिस उपस्थिति में गोली मारकर हत्या कर दी गई. अब यह परिवार कह रहा है कि उन्हें धीमे-धीमे ज़हर दिया गया है. हम (इन बयानों को) खारिज नहीं कर सकते.”

उन्होंने कहा, जो हुआ वो “बहुत गलत” था और दावा किया कि इस मामले में जीवन का मौलिक अधिकार “छीन लिया गया”.

सांसद ने कहा, “एक बार, आप यह दरवाज़ा खोलेंगे, तो यह कभी बंद नहीं होगा. आज उसके साथ हुआ है, कल किसी और के साथ होगा. इसका अंत कहां होगा? और कानून का शासन कहां चला गया?”

(इस इंटरव्यू को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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