scorecardresearch
Monday, 18 November, 2024
होमराजनीतिधारा-370 पर बिखरी- बिखरी कांग्रेस, ज्योतिरादित्य ने भी किया बिल का समर्थन

धारा-370 पर बिखरी- बिखरी कांग्रेस, ज्योतिरादित्य ने भी किया बिल का समर्थन

बिना अध्यक्ष वाली कांग्रेस पार्टी जिस दिशाहीनता में दिख रही है वो नेताओं से लेकर संसद तक नज़र आ रही है. बिखराव से जूझ रही कांग्रेस का फायदा मोदी सरकार को कमज़ोर विपक्ष के रूप में मिल रहा है.

Text Size:

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने बड़ी ही नाटकीयता से धारा 370 हटाने का विधेयक राज्य सभा में पेश किया. इसकी तैयारी इतने गुपचुप तरीके से हुई की किसी को कानोकान खबर भी न लगी और कांग्रेस पार्टी के लिए ये न केवल अप्रत्याशित था बल्कि पार्टी में इस को लेकर विभाजित मत भी सामने आये हैं. ऐसा लगा मानो पार्टी तय ही नहीं कर पाई की उसका रुख क्या होना चाहिए.

कांग्रेस में धार-370 पर दो फाड़ तक खुलकर सामने आई जब कांग्रेस के पहले लाइन के नेताओं में शुमार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का समर्थन किया. सिंधिया ने ट्वीट किया कि ‘जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को लेकर उठाए गए कदम और भारत देश मे उनके पूर्ण रूप से एकीकरण का मैं समर्थन करता हूं.’

सिंधिया ने ट्वीट में यह भी लिखा, ‘संवैधानिक प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन किया जाता तो बेहतर होता, साथ ही कोई प्रश्न भी खड़े नहीं होते. लेकिन ये फैसला राष्ट्र हित में लिया गया है और मैं इसका समर्थन करता हूं.’

सोमवार को राज्य सभा में विधेयक के पेश होने के साथ ही कांग्रेस के राज्य सभा में मुख्य व्हीप भुवनेश्वर कलिता ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उनका कहना था, ‘कांग्रेस ने व्हीप जारी करने को कहा है जबकि सच्चाई यह है कि देश का मूड पूरी तरह से बदल गया है.’

‘जहां तक आर्टिकल 370 की बात है तो पंडित नेहरू ने खुद कहा था कि आर्टिकल 370 एक दिन घिसते-घिसते पूरी तरह घिस जायेगा. आज की कांग्रेस की विचारधारा से लग रहा है कि कांग्रेस आत्महत्या कर रही है और मैं इस कांग्रेस का हिस्सा नहीं बनना चाहता.’

कलिता से जो बात शुरू हुई वो दूर तक पहुंची. पार्टी के आधिकारिक स्टैंड से इतर कई नेताओं के बयान एक के बाद एक आने लगे. हरियाणा कांग्रेस के नेता और पूर्व सांसद दीपिंदर हुड्डा ने कहा, ‘मैने हमेशा कहा है कि आर्टिकल 370 हटाया जाना चाहिए. इसकी 21वी सदी में कोई जगह नहीं है.’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी, जो कि गांधी परिवार के खास माने जाते है, उन्होंने भी सरकार के आर्टिकल 370 हटाने के निर्णय का समर्थन किया. ये एक बहुत पुराना मामला है. स्वतंत्रता के बाद बहुत से स्वतंत्रता सेनानी धारा 370 को हटाने के पक्ष में थे.

पार्टी के पूर्व सांसद और मुम्बई कांग्रेस के अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा ने भी असहमति जताई. वे राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष पद से हटने के बाद स्वयं भी अपने पद से हट गए थे. उनका कहना था ‘ये दुख की बात है कि आर्टिकल 370 को हटाने को उदार और रूढ़ीवादी के बीच बहस का हिस्सा बना दिया गया. पार्टियों को अपने विचारों को दरकिनार कर के देश के लिए जो सबसे अच्छा है उसकी चर्चा करनी चाहिए…’

कांग्रेस के प्रवक्ता जयवीर शेरगिल मे भी ट्विटर पर अपना मतभेद व्यक्त किया पर साथ ही कहा कि इस धारा को हटाने के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा की राय़ ली जानी चाहिए थी. हालांकि निजी तौर पर वे धारा 370 को हटाने के पक्ष में है.

राजस्थान कांग्रेस के अशोक चांदना ने भी भाजपा सरकार के कदम की सरहाना की.

कांग्रेस की दिक्कत इस से भी बढ़ी की राहुल गांधी ने पूरे दिन इस पर कुछ भी नहीं कहा, जिससे पार्टी के काडर को उसके नज़रियें पर स्पष्टता नहीं मिली. हालांकि अब उनका एक ट्वीट आया है.

राहुल ने ट्वीट में लिखा है, ‘जम्मू-कश्मीर में कार्यकारी शक्तियों का दुरुपयोग हुआ है. सरकार ने सत्ता का गलत इस्तेमाल किया है. यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ है.’

कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर को मुख्यधारा में एकीकृत करने में मदद करेगा. यह एक ऐतिहासिक निर्णय है. इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. एक विधायक के रूप में अपनी क्षमता में मैं इस निर्णय का स्वागत करती हूं.

वहीं सदन में बिल पेश किए जाने के साथ ही सदन में अगर किसी ने विपक्ष की तरफ से अहम भूमिका निभाई तो वो हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर से सांसद गुलाम नबी आज़ाद. आज़ाद ने न केवल सरकार को बार-बार सरकार को सदन में घेरने की कोशिश की बल्कि वेल में धरने पर भी बैठे. उन्होंने ज़ोरदार तरीके से राज्य़ सभा में पार्टा का मत रखा. उनका कहना था कि भाजपा ने ‘लोकतंत्र की हत्या की है ‘ वहीं, पी चिदंबरम ने इसे संवैधानिक कुरूपता की संज्ञा दी.

कांग्रेस का बिखराव जो चुनावों के बाद शुरू हुआ था वह थमने का नाम ही नहीं ले रहा है और बिना अध्यक्ष की ये पार्टी जिस दिशाहीनता में दिख रही है वो संसद में भी नज़र आ रही है. बिखराव से जूझ रही कांग्रेस का फायदा मोदी सरकार को कमज़ोर विपक्ष के रूप में मिल रहा है.

share & View comments