scorecardresearch
Friday, 3 May, 2024
होमराजनीतिमोदी सरनेम के टिप्पणी से जुड़े मानहानि के मामले में राहुल की याचिका पर SC 21 जुलाई को करेगा सुनवाई

मोदी सरनेम के टिप्पणी से जुड़े मानहानि के मामले में राहुल की याचिका पर SC 21 जुलाई को करेगा सुनवाई

राहुल गांधी ने 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि यदि सात जुलाई के आदेश पर रोक नहीं लगाई गई तो इससे ‘‘स्वतंत्र भाषण, स्वतंत्र अभिव्यक्ति, स्वतंत्र विचार और स्वतंत्र वक्तव्य’’ का दम घुट जाएगा.

Text Size:

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट गुजरात उच्च न्यायालय के सात जुलाई के उस फैसले को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर 21 जुलाई को सुनवाई करेगा, जिसमें ‘‘मोदी उपनाम’’ संबंधी टिप्पणी से जुड़े मानहानि मामले में गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी गई थी.

गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने याचिका को 21 जुलाई या 24 जुलाई को सूचीबद्ध किए जाने का अनुरोध किया जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई.

पीठ ने कहा कि वह 21 जुलाई को मामले पर सुनवाई करेगी.

गांधी ने 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि यदि सात जुलाई के आदेश पर रोक नहीं लगाई गई तो इससे ‘‘स्वतंत्र भाषण, स्वतंत्र अभिव्यक्ति, स्वतंत्र विचार और स्वतंत्र वक्तव्य’’ का दम घुट जाएगा.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

राहुल गांधी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान टिप्पणी की थी कि ‘‘सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही क्यों होता है?’’ इस टिप्पणी को लेकर गुजरात सरकार के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने गांधी के खिलाफ 2019 में आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था.

गांधी ने अपनी याचिका में कहा कि यदि उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई तो यह लोकतांत्रिक संस्थानों को व्यवस्थित तरीके से, बार-बार कमजोर करेगा और इसके परिणामस्वरूप लोकतंत्र का दम घुट जाएगा, जो भारत के राजनीतिक माहौल और भविष्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक होगा.

उनकी याचिका में कहा गया, ‘‘अत्यंत सम्मानपूर्वक यह दलील दी जाती है कि यदि विवादित फैसले पर रोक नहीं लगाई गई, तो इससे स्वतंत्र भाषण, स्वतंत्र अभिव्यक्ति, स्वतंत्र विचार और स्वतंत्र बयान का दम घुट जाएगा.’’

गांधी ने कहा कि आपराधिक मानहानि के इस मामले में अप्रत्याशित रूप से अधिकतम दो साल की सजा दी गई, जो अपने आप में दुर्लभतम है.

इस मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी. मामले में फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे.


यह भी पढ़ें: ‘24 के लिए 26 होने वाले दल’, PM मोदी बोलें- इनका एक ही एजेंडा- न खाता न बही, जो परिवार करे वही सही


 

share & View comments