लखनऊः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से बगावत करने वाली सांसद सावित्री बाई फुले ने कहा कि वह समाजवादी पार्टी में शामिल नहीं हो रही हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए महागठबंधन का समर्थन जरूर करेंगी. उन्होंने कहा, ‘कुछ शरारती तत्व उनके किसी दल में शामिल होने की भ्रामक खबरें उड़ा रहे हैं. कुछ मीडिया समूह भी इस तरह की खबरें चला रहे हैं. इनके खिलाफ मैं उचित फोरम पर शिकायत भी करूंगी.’
फुले ने कहा कि भाजपा अनुसूचित जाति व जनजाति, मूल निवासियों व अल्पसंख्यकों के खिलाफ काम कर रही है.
बहराइच से सांसद सावित्री बाई फुले ने कहा कि अखिलेश यादव से मुलाकात के दौरान भाजपा के अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग विरोधी फैसलों की जानकारी दी.
फुले ने कहा कि संसद के बाहर संविधान की प्रतियां जलाई गईं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. उन्होंने अखिलेश को पिछले एक साल में चलाए गए अभियान के बारे में भी बताया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तंज कसते हुए सांसद ने कहा योगी का दलित प्रेम सिर्फ दिखावा है. अगर उन्हें दलितों से प्रेम है तो दलितों को गले लगाएं. दलितों का सम्मान करें.
सांसद सावित्री बाई ने यह भी कहा, देश में जितने भी मंदिर हैं, वहां दलितों को ही पुजारी रखा जाना चाहिए.
हाल ही में उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी. भाजपा से इस्तीफा देते हुए उन्होंने आरोप लगाया था कि ‘चौकीदार की नाक के नीचे गरीबों का पैसा लूटा जा रहा है. भाजपा और आरएसएस समाज को बांटने व संविधान को खत्म करने की कोशिश कर रही है.’
पार्टी छोड़ने के बाद से ही सावित्री बाई फुले भाजपा और आरएसएस को लेकर लगातार हमलावर हैं. उत्तर प्रदेश के बहराइच लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की सांसद रहीं साध्वी सावित्री बाई फुले ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए सीधे प्रधानमंत्री पर हमला बोला था.
इस्तीफा देने के बाद उन्होंने सांसद ने कहा, ‘चौकीदार की नाक के नीचे गरीबों का पैसा लूटा जा रहा है. भाजपा और आरएसएस के लोग समाज को बांटने के काम में लगे हैं और बाबा साहेब के लिखे संविधान के साथ छेड़छाड़ कर उसे खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. विकास पर ध्यान न देकर मूर्तियां बनवाई जा रही हैं और अल्पसंख्यक व अनुसूचित वर्ग को धोखा दिया जा रहा है. इसलिए वह बाबा साहेब के परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रही हूं. लेकिन सांसद बनी रहूंगी.’
साध्वी सावित्री बाई फुले भाजपा के उन दलित सांसदों में शामिल हैं, जो भाजपा व केंद्र और राज्य सरकार पर अनदेखी करने का आरोप लगाती रही हैं.