scorecardresearch
Friday, 17 May, 2024
होमराजनीतिसत्यपाल मलिक बोले- ‘2024 के लिए BJP किसी भी हद तक जाएगी’ पार्टी का पलटवार — ‘उन्हें OTT लेखक होना चाहिए’

सत्यपाल मलिक बोले- ‘2024 के लिए BJP किसी भी हद तक जाएगी’ पार्टी का पलटवार — ‘उन्हें OTT लेखक होना चाहिए’

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल और बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मलिक ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ‘राम मंदिर पर हमले’ या ‘पाकिस्तान के साथ सुनियोजित संघर्ष’ से इनकार नहीं किया जा सकता है.

Text Size:

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा है कि सत्यपाल मलिक ओवर दि टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म के साथ “कंटेंट राइटर” के रूप में काम कर सकते हैं, उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि उन्हें डर है कि केंद्र सरकार “2024 का लोकसभा चुनाव जीतने के लिए केंद्र सरकार किसी भी हद तक जा सकती है”.

मंगलवार को नई दिल्ली में कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित “राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों” पर एक सम्मेलन में बोलते हुए, मलिक ने कहा कि उन्हें डर है कि बीजेपी अगले साल आम चुनाव जीतने के लिए “किसी भी हद तक जा सकती है”, उन्होंने आरोप लगाया कि अयोध्या में “(निर्माणाधीन) राम मंदिर पर हमला” या “पाकिस्तान के साथ सुनियोजित संघर्ष” से इनकार नहीं किया जा सकता है.

गैर-सरकारी संगठनों के एक समूह द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में कांग्रेस के दिग्विजय सिंह और सीपीआई (एम) सांसद जॉन ब्रिटास सहित विपक्षी नेताओं ने भाग लिया.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मलिक ने कहा, “मेरे मन में बहुत सारी आशंकाएं हैं. वे (2024 आम) चुनाव से पहले कुछ न कुछ ज़रूर करेंगे. यह उनका स्वभाव है. उन्होंने गुजरात और देश में ऐसा किया है. ये राम मंदिर पर गोला फेंक सकते हैं, बीजेपी के किसी बड़े नेता का कत्ल करा सकते हैं. पाकिस्तान के साथ एक सुनियोजित संघर्ष भी हो सकता है.”

मलिक की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया के लिए पूछे जाने पर, बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आर.पी. सिंह ने दिप्रिंट से कहा, “उन्हें (मलिक) नेटफ्लिक्स या हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफार्मों में से एक में शामिल होना चाहिए. वो ऐसे प्लेटफॉर्म पर कंटेंट राइटर बन सकते हैं.”

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

मलिक 2018 से अनुच्छेद-370 के निरस्त होने तक पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल थे, जिसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था. इस साल अप्रैल में 77-वर्षीय ने दावा करके विवाद खड़ा कर दिया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने उन्हें 2019 पुलवामा हमले के लिए कथित खामियों पर चुप रहने के लिए कहा था, जिसमें 40 सीआरपीएफ जवान मारे गए थे.

मंगलवार को मलिक ने उन आरोपों को दोहराया, साथ ही कहा कि “पुलवामा हमले में मारे गए जवानों की शहादत का इस्तेमाल पीएम ने 2019 के चुनावों के दौरान वोटों के लिए किया था” और चुनाव “हमारे सैनिकों के शवों पर हुए थे”.

मलिक ने 14 जनवरी 2019 को हुए हमले के लिए किसी को जिम्मेदार न ठहराने पर भी सरकार से सवाल किया.

उन्होंने आरोप लगायास “जब पीएम ने शाम 5 बजे (हमले के दिन) फोन किया और पूछा कि क्या हुआ, तो मैंने उन्हें बताया कि हमला हमारी ओर से हुई चूक के कारण हुआ. उन्होंने तुरंत मुझे चुप रहने और इस मामले पर बात न करने के लिए कहा. एनएसए डोभाल, जिनके साथ मैंने पढ़ाई की है, ने भी मुझे चुप करा दिया.”

मलिक जिन्होंने अक्टूबर 2019 में गोवा ट्रांसफर होने से पहले जम्मू-कश्मीर राज्य के अंतिम राज्यपाल के रूप में कार्य किया था, ने दावा किया कि उन खबरों के विपरीत कि कई खुफिया इनपुट सामने आए थे, जिसमें सैनिकों पर संभावित हमले की भविष्यवाणी की गई थी, उन्हें नहीं पता था कि “पुलवामा था” होने वाला”.

उन्होंने कहा, “लेकिन सैनिकों को एयरलिफ्ट करने के लिए उनका (सीआरपीएफ) आवेदन चार महीने तक गृह मंत्रालय के पास लंबित रहा. अगर मुझे भी इसमें शामिल किया गया होता तो मैंने यह काम कर दिया होता.” मलिक ने दोहराया, यह देखते हुए कि “कई चूकों” के कारण यह घटना हुई, “शायद सिर झुक जाना चाहिए था, लेकिन आज तक किसी को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है.”

बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, मलिक हाल के वर्षों में पीएम मोदी के सबसे मजबूत आलोचकों में से एक के रूप में उभरे हैं. वे बागपत के रहने वाले हैं, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना क्षेत्र के अंतर्गत आता है.

इससे पहले वे विभिन्न बिंदुओं पर लोक दल, जनता दल, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के साथ रहे हैं. इस साल अप्रैल में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनसे उनके इस दावे के संबंध में पूछताछ की थी कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए उन्हें 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी.

यह पूछे जाने पर कि क्या जब से उन्होंने सरकार के खिलाफ बोलना शुरू किया है तब से उन्हें किसी नतीजे का सामना करना पड़ा है, मलिक ने कहा कि उनकी सुरक्षा कम कर दी गई है, जिससे उनके पास केवल एक निजी गार्ड रह गया है.

उन्होंने कहा, “मैं भी किराये के मकान में रहता हूं, लेकिन मैं उनकी धमकियों से नहीं डरता, न ही मुझे अपनी जान की चिंता है, लेकिन अगर मेरी जान लेने की कोशिश हुई तो मेरी जनता ऐसा बदला लेगी कि कभी नहीं भूलेगी. उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि वे भी एक दिन रिटायर होंगे. उन्हें मेरे साथ सावधानी से निपटना चाहिए.”

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: ‘रोज हो रहा है द्रौपदी चीरहरण’, शांता कुमार ने मोदी सरकार से मणिपुर पर ‘तेजी से कार्रवाई’ करने को कहा


 

share & View comments