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Thursday, 18 April, 2024
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सचिन पायलट: बीबीसी इंटर्न जो राजनीति में नहीं आना चाहता था

सचिन पायलट बीबीसी में इंटर्नशिप के दौरान अपनी पहली कमाई का चेक देखकर बहुत खुश हुए और बोले कि ये चेक वे कभी भुनाएंगे नहीं.

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राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट, जो कि राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री की रेस में हैं, को शायद  वो दिन याद न हो जब उन्होंने पत्रकार के रूप में पहली कमाई की थी.

बात 1996 की है, जब बीबीसी के आइफैक्स स्थित दिल्ली ब्यूरो में  कांग्रेस के कद्दावर नेता राजेश पायलट ने अपने बेटे को इंटर्नशिप के लिए भेजा. राजेश पायलट तब केंद्रीय मंत्री थे. उस समय मैं बीबीसी की हिंदी सेवा में काम करती थी. राजेश पायलट का बेटा सचिन रेडियो पत्रकारिता करने के लिए तत्पर था.

उनको एक कहानी पर काम दिया गया और उन्होंने ये काम दिल लगा कर किया. तब हरियाणा में शराबबंदी एक बड़ा मुद्दा बन कर उभरा था. शराबबंदी रहे या हटाई जाए, इस सवाल पर बहस चल रही थी.बीबीसी की टीम मामले को कवर करने हरियाणा जा रही थी, सचिन भी साथ गए. फिर हमारी मदद से सचिन ने स्क्रिप्ट लिखी और रेडियो पैकेज के गुर सीखे. और एक रेडियो पैकेज तैयार किया. जो कि बीबीसी पर प्रसारित भी हुआ. इस काम के लिए सचिन को 20-30 पाउंड की ‘बड़ी’ घनराशि भी मिली.

अपनी 20-30 पाउंड की पहली कमाई के चेक को देख सचिन इतने खुश थे कि उन्होंने कहा कि ये चेक वो कभी भुनाएंगे नहीं. क्योंकि ये उनकी पहली तनख्वाह का चेक था. सचिन का रेडियो पैकेज चला तो वे इतने खुश थे कि उन्होंने नए साल पर पूरे ऑफिस को मिठाई खिलाई.


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ये तब की बात है जब पायलट अमरीका में युनिवर्सिटी ऑफ पेनसिलवेनिया में एमबीए कर रहे थे. सचिन ने इससे पहले दिल्ली के सेंट स्टीफन्स कालेज से स्नातक और आईएमटी ग़ाजियाबाद से मार्केटिंग में एमबीए किया था.

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छुट्टियों में अपने पिता के कहने पर वे बीबीसी काम करने चले आए. जब उनसे राजनीति की चर्चा हुई तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि वे भाजपा में शामिल होंगे. ताकि दोनों पिता पुत्र अलग-अलग पार्टी में रहें. और उनके हमेशा अच्छे दिन रहें. हालांकि उस उम्र में वे राजनीति में आना नहीं चाहते थे, वे अपनी पढ़ाई और करियर बनाने में लगे थे.

मेरे एक सहयोगी राम सुब्रमण्यम याद करते हैं कि जब सतीश जैकब उनको लेकर आए तो ‘मैंने सचिन से कह दिया कि ये भूल जाना कि तुम राजेश पायलट के बेटे हो, मैं तुम्हें वीआईपी बेटे की तरह नहीं ट्रीट करूंगा.’ सचिन का जवाब था, ‘मैं भी यही चाहता हूं. मैं अपने पिता की छाया में नहीं रहना चाहता. मैं अपने बूते पर जीवन में कुछ बनना चाहता हूं.’

उस समय जब वे काम पर जाते तो उनके सुरक्षा गार्ड भी साथ होते और ये बाद में उनके लिए मुश्किल पेश करने लगा तो उन्होंने बाकी की इंटर्नशिप दफ्तर में ही पूरी की. राजेश पायलेट परिवार को उस समय उनके केंद्रीय मंत्री होने के नाते भारी सुरक्षा मिली हुई थी.

फिर जयपुर के पास एक कार हादसे में राजेश पायलट की मृत्यु हो गई और फिर उनकी पत्नी रमा पायलट ने और बाद में उनके पुत्र ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया.

वहां से अपने बूते सचिन पायलट राजनीति में कितना आगे बढ़ चुके हैं कि आज राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी मज़बूत दावेदारी है.

वे यूपीए 2 में मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्रीमंडल में कॉरपोरेट अफेयर्स के मंत्री रहे हैं. राजनीति में अपने पिता राजेश पायलट के पदचिन्हों पर चल कर आज सचिन कह सकते हैं कि वे अपने पिता की छाया से निकल एक कद्दावर नेता के रूप में उभरे हैं.

अगली बार जब मैं उनसे मिलूंगी तो ज़रूर पूछूंगी कि क्या उन्होंने कभी उस चेक को भुनाया!

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