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Thursday, 21 November, 2024
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मोदी के मंत्रियों को आरएसएस की सलाह: मिडिल क्लास और दलितों का रखें ख्याल

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सूत्रों ने बताया कि चर्चा में आया एक और महत्वपूर्ण विषय घाटी में कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास था, यह एक बड़ा कारण है जिसके बारे में आरएसएस का मानना है कि सरकार ने इसे आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किया है।

नई दिल्ली: सूत्रों ने कहा कि पिछले तीन दिनों में दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में केंद्रीय मंत्रियों के साथ अपनी “चर्चा” के दौरान आरएसएस ने भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के लिए कई कार्यों के बीच ‘दलितों के दिलों तक पहुँचने’ का भी एक कार्य तय किया है।

सूत्रों ने आगे कहा कि अन्य कार्यों में 2014 में किए गये वादों को पूरा करना शामिल है जैसे रोजगार पैदा करना, घरेलू व्यापार को बढ़ावा देना और एक अधिक सामान्य ‘अच्छी तरह संगठित होकर कार्य करना’।

मोदी सरकार की चौथी सालगिरह के बाद आरएसएस की एक टीम मंत्रियों और उनके विभिन्न सहयोगियों से चार दिवसीय बातचीत के लिए राष्ट्रीय राजधानी के लिए रवाना हुई थी, जिसे संघ के एक प्रवक्ता द्वारा “विचारों का वार्षिक विनिमय” बताया।

इसमें आरएसएस के संयुक्त महासचिव या सह सरसंघचालक कृष्ण गोपाल, सुरेश सोनी, मनमोहन वैद्य और दत्तात्रेय होसबोले शामिल थे, जिन्होंने केन्द्रीय मंत्रियों तंवरचंद गहलोत (सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण), पियूष गोयल (वित्त, रेलवे), राज्यवर्धन राठौर (सूचना एवं प्रसारण, युवा मामलों और खेल), प्रकाश जावड़ेकर (मानव संसाधन विकास), गिरिराज सिंह (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों), जे.पी. नड्डा (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण), मेनका गाँधी (महिला एवं बाल विकास) और महेश शर्मा (संस्कृति, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन) के साथ मुलाकातें की।

इस बातचीत में बीजेपी के प्रतिनिधियों में पार्टी प्रमुख अमित शाह, उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे और महासचिव राम लाल और राम माधव शामिल थे।

‘संघ के भीतर नाराजगी’

सूत्रों ने कहा कि आरएसएस टीम सरकार से नाखुश थी क्योंकि सरकार द्वारा “मध्यम वर्ग की देखभाल न करने और उनके लिए नीति न बनाने से उन्हें आघात पहुंचा था।” सूत्र ने आगे कहा कि मंत्रियों को यह बताया गया था कि “मध्यम वर्ग हमेशा हमारे पक्ष में रहा है और इसे सरकार द्वारा अनदेखा किया जा रहा है। रोजगार भी पैदा करने की आवश्यकता है।”

स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और घरेलू व्यापार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक स्पष्ट संदेश भी कथित तौर पर भेजा गया। संघ के सहयोगी स्वदेशी जागरण मंच द्वारा सरकार की आर्थिक और व्यापार नीतियों पर लम्बे समय से सवाल उठाया जाता रहा है। स्वदेशी जागरण मंच, जो हाल ही में एक बहुत बड़ी अमेरिकी कंपनी वालमार्ट द्वारा फ्लिप्कार्ट के 16 मिलियन डॉलर के “अनैतिक” अधिग्रहण और एयर इंडिया के प्रस्तावित निजीकरण के सबसे मुखर आलोचकों में से एक के रूप में उभर कर सामने आया है।

सूत्रों ने आगे कहा कि चर्चा में आया एक और महत्वपूर्ण विषय घाटी में कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास था, जिसके बारे में आरएसएस का मानना है कि सरकार ने इसे आगे बढाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किया है।

साथ ही, संघ ने उन आरोपों को ख़ारिज किया कि वह सरकार की नीतियाँ बनाने में हस्तक्षेप कर रही है।
आरएसएस प्रवक्ता अरुण कुमार ने कहा कि “ऐसी बैठकें 2007 के बाद से हर साल हुई हैं… इस वर्ष यह बैठक दिल्ली में 28 मई से 31 मई तक करने की योजना बनाई गई थी। ये समन्वय मीटिंग नहीं हैं, न ही ये निर्णय लेने वाली बैठकें हैं।”
कुमार ने कहा कि एक ही क्षेत्र में काम कर रहे विभिन्न आरएसएस संगठन कभी कभी समूहों (सेवा, बौद्धिक, आर्थिक, शिक्षा और सामाजिक) के समूह के रूप में “अपने प्रयोगों, अनुभवों और अवलोकनों को साझा” करने के लिए एक साथ आते हैं।

Read in English: RSS tells Modi’s ministers to get real about Dalit outreach & take care of middle class

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