नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस ) अपनी एक शिष्या और मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की मदद के लिए मैदान में उतर आया है. ताकि वो अब भारतीय जनता पार्टी के लिए और शर्मिंदगी का सबब न बनें. संघ ने निर्णय लिया है कि वह साध्वी प्रज्ञा के लिए एक नई टीम तैयार करेगा जो उनके संसदीय क्षेत्र भोपाल में उनकी मदद करेगी और पुराने निकट सहयोगियों को उनसे दूर किया जाएगा.
हाल ही में खत्म हुए 54 दिनों के लोकसभा सत्र में साध्वी प्रज्ञा पार्टी की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर सकी है. न तो उन्होंने प्रश्नकाल में अपने क्षेत्र के प्रश्न पूछे, न ही शून्यकाल में अपने क्षेत्र की समस्याएं उठा सकीं. मध्यप्रदेश के अन्य सभी नए सांसदों के मुकाबले साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर कमजोर प्रदर्शन करने वाली सांसद बनकर उभरी हैं. सही मौके पर साध्वी के चुप्पी तुड़वाने के लिए अब संघ रणनीति तैयार कर रहा है. यह तय किया गया है कि प्रज्ञा के आसपास मौजूद लोगों से उन्हें मुक्ति दिलाकर नए सलाहाकर और सहयोगी नियुक्त किए जायेंगे. साध्वी के आसपास का यह घेरा संघ तैयार करेगा. संघ के लोग ही आसपास नजर आएंगे वही लोग प्रज्ञा को सलाह देंगे ताकि सही मौके पर और लोकसभा में साध्वी की चुप्पी टुटे और बेवक्त आने वाले बयानों का सिलसिला थम सके.
पहले ही सत्र में निराशाजनक प्रदर्शन
संसद के पहले सत्र में पहली बार चुनकर आए कई सांसदों ने अच्छा प्रदर्शन किया है. वहीं दूसरे सांसदों ने भी अपने क्षेत्र के मुद्दों को लोकसभा में उठाया. लेकिन साध्वी प्रज्ञा का प्रदर्शन लोकसभा में बेहद निराशाजनक रहा है. साध्वी प्रज्ञा ने लोकसभा में एक भी प्रश्न नहीं पूछा. वहीं, शून्यकाल में केवल 4 मुद्दे ही उठाए. इसके अलावा नियम 377 के तहत एक मामला उठाया है. इसी खराब प्रदर्शन को सुधारने के लिए आरएसएस ने अब साध्वी के साथ नए लोगों की टीम को लगाया है. यह टीम लोकसभा में प्रश्न पूछने से लेकर किस तरह के विषय सदन में उठाने है इस पर साध्वी प्रज्ञा की मदद करेगी.
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स्पीकर ने भी दी नसीहत
हाल में समाप्त हुए संसद सत्र के दौरान भोपाल से लोकसभा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने लोकसभा में शून्यकाल में संसद भवन परिसर में कुछ लोगों के सिगरेट पीने पर बात आपत्ति व्यक्त की थी. इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने साध्वी को नसीहत दे डाली कि इस तरह के विषय सदन में न उठाए. यहां लोगों से जुड़े मुद्दे और गंभीर मामलों को उठाए जाए. अगर आपकों इसके संबंध में कुछ भी कहना है तो मुझे व्यक्तिगत तौर पर आकर बताएं.
अब भोपाल के विकास की बातों पर होगा फोकस
संघ से जुड़े एक विश्वसनीय सूत्र ने नाम न छापने के अनुरोध पर दिप्रिंट को बताया कि साध्वी के प्रदर्शन से संघ और पार्टी बेहद नाराज है. वे चाहते है की साध्वी भोपाल के विकास के मुद्दे ज्यादा फोकस रखे. वहां के रहवासी और उनकी मांगों को वह उचित स्थान पर उठाएं. इसके अलावा उनसे संबंधित विषयों को लेकर मंत्रियों से मिलकर भी बात रखे. इसके चलते अब संघ ने उनके साथ कुछ लोगों की टीम को लगाया है.
अभी साध्वी प्रज्ञा की बड़ी बहन उपमा और एक सहयोगी कल्पना ही मदद कर रही है. कल्पना दिल्ली और भोपाल हर समय उनके साथ रहती है. कुछ दिनों के लिए साध्वी प्रज्ञा ने इंदौर के एक रिसर्चर पुष्पराज को कुछ दिनों के लिए नियुक्त किया गया था. जिसे बाद में हटा दिया गया. इसी तरह साध्वी की टीम में उमेश श्रीवास्तव भी थे. जो अब उनकी टीम का हिस्सा नहीं है.
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साध्वी की सहयोगी कल्पना ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि इन दिनों साध्वी प्रज्ञा बीमार है. आगे की संसद सत्र में क्या मुद्दे उठाएं जाएगे. इसे लेकर समय समय पर लगतार चर्चा हो रही है. जहां तक लोगों को हटाने या जुड़ने का सवाल है. यह एक प्रकिया के तहत चल रही है. इसमे कौन शामिल है या कौन नहीं इस बारें में ज्यादा नहीं बताया जा सकता है.
भोपाल स्थित साध्वी प्रज्ञा के कार्यालय पदस्थ पुरुषोत्तम नामदेव ने दिप्रिंट को बताया कि कुछ ही दिनों पूर्व उनकी नियुक्ति इस कार्यालय में हुई है. दिल्ली और भोपाल कार्यालय में कौन क्या करता है. इसकी ज्यादा जानकारी नहीं है.
इसलिए है संघ चिंतित
साध्वी प्रज्ञा का शुरु से ही संघ से जुड़ाव रहा है, उसके कार्यक्रमों में वे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते रही है. इसका ही नतीजा है कि जब 2019 के चुनाव में जब कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने चुनाव में उतरने का फैसला किया, तो संघ की इच्छा थी कि उन पर लगातार वार करने वाले सिंह के खिलाफ वो अपनी विचारधारा के किसी मज़बूत उम्मीदवार को खड़ा करें. अगर दिग्विजय सिंह भोपाल की बजाय अपने गृह क्षेत्र राधोगढ़ से भी चुनाव लड़ते तो भी वहां से उनके खिलाफ प्रज्ञा ठाकुर का नाम ही आगे बढ़ाया जाता.
मालेगांव बम विस्फोट मामले में दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेस नेताओं द्वारा हिंदु आतंकवाद का सवाल उठाने से संघ बैकफुट पर चला गया था और जब साधवी प्रज्ञा को बेल मिली तो संघ ने फिर इन आरोपो का जवाब देने और अपनी छवि पर लगे दाग़ धोने का मन बना लिया. संघ की पसंद होने के नाते संघ इस बात पर चिंतित है कि साध्वी के विरोधी उनके संसद में प्रदर्शन पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. इसलिए संघ इस बात को सुनिश्चित करना चाहता है कि साध्वी प्रज्ञा का प्रदर्शन को लेकर कोई शिकायत न रहे. और यही कारण है कि साध्वी के स्टाफ में बदलाव हो रहे हैं.
साध्वी का पहले भी रहा है विवादों से नाता
साध्वी प्रज्ञा पहले भी कई दफा अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रही हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान साध्वी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को ‘देशभक्त’ तक करार दिया था. चुनाव प्रचार के दौरान फिल्म अभिनेता कमल हसन के गोडसे को लेकर आए बयान पर जब साध्वी से प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने कहा था कि गोडसे देशभक्त थे हैं और रहेंगे.
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वहीं, इसके पहले साध्वी प्रज्ञा ने मुंबई में आतंकवादियों की गोली से शहीद हुए एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे की शहादत को लेकर विवादित बयान दिया था. उन्होंने मालेगांव बम धमाके के मामले में हुई गिरफ्तारी के दौरान हेमंत करकरे को दिए गए श्राप का ज़िक्र करते हुए कहा था, ‘उस समय मैंने करकरे से कहा था कि तेरा सर्वनाश होगा, उसी दिन से उस पर सूतक लग गया था और सवा माह के भीतर ही आतंकवादियों ने उसे मार दिया था.’
हिंदू मान्यता है कि परिवार में किसी का जन्म या मृत्यु होने पर सवा माह का सूतक लगता है. जिस दिन करकरे ने सवाल किए, उसी दिन से उस पर सूतक लग गया था, जिसका अंत आतंकवादियों द्वारा मारे जाने से हुआ. लोकसभा चुनाव के दौरान मामले के तूल पकड़ने पर प्रज्ञा को चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया था, जिसका उनकी ओर से जवाब दिया गया है. उन्होंने अपने जवाब में कहा था ‘मैंने शहीद का अपमान नहीं किया है. मुझे जो यातनाएं दी गई केवल उसी का ज़िक्र किया है.’
वहीं, इसके बाद अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराए जाने को लेकर दिए गए बयान पर प्रज्ञा के खिलाफ चुनाव आयेाग ने मामला भी दर्ज किया है. प्रज्ञा ने विवादित ढांचे को गिराए जाने को गर्व का विषय बताया था, साथ ही विवादित स्थान पर भव्य राम मंदिर बनने की बात कही थी.
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साध्वी ने चुनाव के दौरान ही भोपाल से कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को आतंकवादी बताया था. प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि ‘राज्य में 16 साल पहले उमा दीदी ने हराया था और वह 16 साल से मुंह नहीं उठा पाया और राजनीति कर लेता इसकी कोशिश नहीं कर पाया. अब फिर से सिर उठा है तो दूसरी संन्यासी सामने आ गई है जो उसके कर्मों का प्रत्यक्ष प्रमाण है’. साध्वी ने कहा कि एक बार फिर ऐसे आतंकी का समापन करने के लिए संन्यासी को खड़ा होना पड़ा है.