नई दिल्ली: विजयादशमी के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर मुख्यालय में संघ प्रमुख मोहनराव भागवत ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. इस संबोधन में संघ प्रमुख ने कोरोना महामारी, राम मंदिर, नागरिकता संशोधन कानून, नई शिक्षा नीति, चीन के साथ चल रहे गतिरोध और स्वदेशी नीति के तहत वोकल फॉर लोकल पर अपनी बात रखी.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कोरोना महामारी से निपटने में मोदी सरकार के प्रयासों की तारीफ की. उन्होंने कहा, ‘दुनिया के मुकाबले भारत में इस बीमारी से कम नुकसान हुआ है.’
भागवत ने आगे कहा, ‘विश्व के अन्य देशों की तुलना में हमारा भारत संकट की इस परिस्थिति में अधिक अच्छी तरह से खड़ा हुआ दिखाई देता है. भारत में इस महामारी की विनाशकता का प्रभाव बाकी देशों से कम दिखाई दे रहा है. भारत ने कोरोना के बारे में पहले से अनुमान लगाया और शासन-प्रशासन ने नियम लागू किया और उपाय भी बताया गया.लोगों को कोरोना के प्रभावों के बारे में बताया गया इसका एक लाभ ये हुआ कि जनता अतिरिक्त सावधान रही और उसका नुकसान कम हुआ.’
‘दुर्बल नहीं है भारत’
भारत और चीन के बीच चल रहे गतिरोध पर भी संघ प्रमुख भागवत ने हमला बोला, ‘हम शांत रहते हैं इसका मतलब यह नहीं कि हम दुर्बल हैं. इस बात को एहसास तो अब चीन को भी हो गया होगा. लेकिन लापरवाह हुए बिना ऐसे खतरों पर में नजर बनाए रखनी होगी.’
भागवत ने कहा, ‘हम सभी से मित्रता चाहते हैं. यह हमारा स्वभाव है. परंतु हमारी सद्भावना को दुर्बलता मानकर अपने बल के प्रदर्शन से कोई भारत को चाहे जैसा नचा ले, झुका ले, यह हो नहीं सकता, इतना तो अब तक ऐसा दुःसाहस करने वालों को समझ में आ जाना चाहिए.’
भागवत ने कहा कि कोरोना महामारी के संदर्भ में चीन की भूमिका संदिग्ध रही यह तो कहा ही जा सकता है, परंतु भारत की सीमाओं पर जिस प्रकार से अतिक्रमण का प्रयास अपने आर्थिक सामरिक बल के कारण मदांध होकर उसने किया वह तो संपूर्ण विश्व के सामने स्पष्ट है. वह कहते हैं, ‘भारत का शासन, प्रशासन, सेना तथा जनता सभी ने इस आक्रमण के सामने अड़ कर खड़े होकर अपने स्वाभिमान, दृढ़ निश्चय व वीरता का उज्ज्वल परिचय दिया, इससे चीन को अनपेक्षित धक्का मिला लगता है.इस परिस्थिति में हमें सजग होकर दृढ़ रहना पड़ेगा.’
भारतीय सेना की तारीफ करते हुए संघ प्रमुख ने कहा, ‘हमारी सेना की अटूट देशभक्ति व अदम्य वीरता, हमारे शासनकर्ताओं का स्वाभिमानी रवैया तथा हम सब भारत के लोगों के दुर्दम्य नीति-धैर्य का परिचय चीन को पहली बार मिला है. उन्होंने आगे कहा, ‘भारतीय रक्षा बल ने चीन द्वारा हमारे क्षेत्र पर आक्रमण करने के प्रयासों पर तीव्र प्रतिक्रिया दी गई. आर्थिक और सामरिक रूप से चीन से ऊपर उठना है. हमारे पड़ोसियों के साथ और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सहकारी संबंधों को सुरक्षित करना चीन की विस्तार आकांक्षाओं को बेअसर करने का एकमात्र तरीका है.’
उन्होंने कहा कि श्रीलंका, बांग्लादेश, ब्रह्मदेश, नेपाल ऐसे हमारे पड़ोसी देश, जो हमारे मित्र भी हैं और बहुत मात्रा में समान प्रकृति के देश हैं, उनके साथ हमें अपने सम्बन्धों को अधिक मित्रतापूर्ण बनाने में अपनी गति तीव्र करनी चाहिए.
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‘सीएए के खिलाफ माहौल बनाया’
राम मंदिर, सीएए पर बोलते हुए संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि 2019 में अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी हो गया फिर उच्चतम न्यायालय ने 9 नवंबर को अयोध्या पर फैसला दिया. संपूर्ण देश ने इस फैसले को स्वीकार किया. 5 अगस्त 2020 को, राम मंदिर की आधारशिला रखी गई.
भागवत बोले, ‘हमने इन घटनाओं के दौरान भारतीयों के धैर्य और संवेदनशीलता को देखा है. कुछ पड़ोसी देशों से सांप्रादायिक कारणों से प्रताड़ित होकर विस्थापित किए जाने वाले बंधु, जो भारत में आएंगे उनको मानवता के हित में शीघ्र नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान था. उन देशों में सांप्रदायिक प्रताड़ना का इतिहास है. भारत के इस नागरिकता संशोधन अधिनियम कानून में किसी संप्रदाय विशेष का विरोध नहीं है.’
उन्होंने आगे कहा,’नागरिकता संशोधन कानून को आधार बनाकर समाज में विद्वेष व हिंसा फैलाने का षडयंत्र चल रहा है. इस कानून को संसद से पूरी प्रक्रिया से पास किया गया.’
अपने भाषण में कृषि नीति का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा, कृषि नीति का हम निर्धारण करते हैं, तो उस नीति से हमारा किसान अपने बीज स्वयं बनाने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए. हमारा किसान अपने को आवश्यक खाद, रोगप्रतिकारक दवाइयां व कीटनाशक स्वयं बना सके या अपने गांव के आस-पास पा सके यह होना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘लोकर फॉर वोकल स्वदेशी संभावनाओं वाला उत्तम प्रारंभ है. परन्तु इन सबका यशस्वी क्रियान्वयन पूर्ण होने तक बारीकी से ध्यान देना पड़ेगा. इसीलिये स्व या आत्मतत्त्व का विचार इस व्यापक परिप्रेक्ष्य में सबने आत्मसात करना होगा, तभी उचित दिशा में चलकर यह यात्रा यशस्वी होगी.’ भारतीय विचार में संघर्ष में से प्रगति के तत्त्व को नहीं माना है. अन्याय निवारण के अंतिम साधन के रूप में ही संघर्ष मान्य किया गया है. विकास और प्रगति हमारे यहां समन्वय के आधार पर सोची गई है.
संघ प्रमुख ने कहा कि भारत के विविधता के मूल में स्थित शाश्वत एकता को तोडऩे का घृणित प्रयास चल रहा है. इसके लिए हमारे तथाकथित अल्पसंख्यक तथा अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को झूठे सपने दिखाने एवं उनके मन में विद्वेष की भावना फैलाने का काम हो रहा है.
इस षडयंत्रकारी मंडली में भारत तेरे टुकड़़े होंगे जैसी घोषणाएं करने वाले लोग भी शामिल हैं. कहीं-कहीं नेतृत्व भी कर रहे हैं. इसके लिए हम सभी को धैर्य से काम लेना होगा. संविधान एवं कानून का पालन करते हुए लोगों को आपस में जोड़ने के लिए काम करना होगा. राजनीतिक लाभ व हानि की दृष्टि से विचार करने की प्रवृति को दूर रखना होगा.
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