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Saturday, 30 November, 2024
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हिंदुओं पर अत्याचार और चिन्मय दास की गिरफ्तारी को लेकर RSS ने बांग्लादेश सरकार को बताया ‘मूकदर्शक’

पूर्व इस्कॉन नेता की रिहाई की मांग करते हुए आरएसएस के सरकार्यवाह ने केंद्र सरकार से वैश्विक समर्थन जुटाने का आग्रह किया है.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने केंद्र सरकार से “बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों” के खिलाफ “वैश्विक समर्थन जुटाने” का आग्रह किया है.

हिंदू संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास को “अन्यायपूर्ण कारावास” से रिहा करने की मांग करते हुए, आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि पड़ोसी बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार तुरंत बंद होने चाहिए.

उन्होंने केंद्र से “बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए अपने प्रयास जारी रखने और इस संबंध में वैश्विक समर्थन जुटाने के लिए तुरंत ज़रूरी कदम उठाने” का आह्वान किया.

शनिवार को जारी एक बयान में आरएसएस महासचिव ने कहा कि “बांग्लादेश में हिन्दुओं तथा अन्य सभी अल्पसंख्यकों पर इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हमले, हत्या, लूट, आगज़नी तथा महिलाओं पर हो रहे अमानवीय अत्याचार अत्यंत चिंताजनक हैं तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस की भर्त्सना करता है.”

आरएसएस ने कहा कि बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार और अन्य एजेंसियों केवल “मूक दर्शक” बनी हुई हैं, जो हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को रोकने में सक्षम नहीं हैं.

बयान में कहा गया है, “बांग्लादेश के हिंदुओं के खिलाफ अन्याय और अत्याचार का एक नया दौर उभरता हुआ प्रतीत हो रहा है ताकि आत्मरक्षा के लिए लोकतांत्रिक तरीके से उठाई जा रही उनकी आवाज को दबाया जा सके. इस तरह के शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में हिंदुओं का नेतृत्व कर रहे इस्कॉन से जुड़े संत चिन्मय कृष्ण दास को जेल भेजना बांग्लादेश सरकार का अन्याय है.”

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बांग्लादेश सरकार से यह सुनिश्चित करने की अपील करता है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार तुरंत बंद हो और चिन्मय कृष्ण दास को जेल से रिहा किया जाए.

भारत सरकार ने भी दास की गिरफ्तारी और ज़मानत से इनकार करने पर “गहरी चिंता” जताई है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने बांग्लादेश में अधिकारियों से हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समूहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है.

संघ ने यह भी कहा, “इस महत्वपूर्ण समय में भारत तथा वैश्विक समुदाय एवं संस्थाएं बांग्लादेश के पीड़ितों के साथ खड़े होकर अपना समर्थन प्रकट करना चाहिए तथा अपनी-अपनी सरकारों से इस हेतु हरसंभव प्रयासों की मांग करना विश्व शांति एवं भाईचारे हेतु आवश्यक है.”

अक्टूबर में विजयादशमी के अवसर पर अपने भाषण में आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी बांग्लादेशी हिंदुओं की दुर्दशा के बारे में बात की थी, जिन्होंने कहा था कि शेख हसीना सरकार के पतन के बाद छात्रों के विद्रोह के बाद उन्हें बिना उकसावे के हमलों का सामना करना पड़ा. उन्होंने कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ “पहली बार” संगठित प्रतिरोध के लिए बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय की प्रशंसा की थी.

अगस्त में हज़ारों हिंदुओं ने अपने समुदाय के सदस्यों पर हमलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए ढाका और चटगांव में मार्च किया था.

इस बीच, आरएसएस से संबद्ध विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर “अत्याचार” के खिलाफ शुक्रवार को दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू किया.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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