चंडीगढ़: शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से अकाल तख्त के सामने पेश होने और उस बयान पर बिना शर्त माफी मांगने को कहा है जिसमें उन्होंने सिखों की सर्वोच्च संस्था के खिलाफ “सत्ता के नशे में चूर” रहने की टिप्पणी की थी.
अकाली दल की यह मांग मान और अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के बीच एक ट्विटर विवाद के बाद आई है, जिसने राज्य की राजनीति में सुर्खियां बटोरीं हैं.
एक ओर जहां इस मामले पर बीजेपी पूरी तरह से शांत है, वहीं कांग्रेस के कम से कम एक विधायक सुखपाल सिंह खैरा जत्थेदार के समर्थन में खुलकर सामने आ गए हैं.
अकाल तख्त सिख समुदाय से संबंधित सभी बड़े फैसले लेने के लिए जिम्मेदार है. कट्टरपंथी सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह पर मान सरकार की कार्रवाई के बाद सिख समुदाय द्वारा सामूहिक कार्रवाई के बारे में फैसला करने के लिए जत्थेदार ने सोमवार को अमृतसर में कई सिख निकायों की बैठक बुलाई थी.
बैठक के बाद ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को 24 घंटे के भीतर अमृतपाल के खिलाफ कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किए गए सभी सिख युवकों को रिहा करने का अल्टीमेटम दिया था.
मान ने मंगलवार को अल्टीमेटम को लेकर जत्थेदार पर हमला बोल दिया. उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि यह “मालूम” है कि उन्होंने और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने हमेशा अकालियों का पक्ष लिया है.
मान ने कहा, “इतिहास देख लीजिए आप पाएंगे कि कई जत्थेदारों को अकालियों ने अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया है. बेहतर होता अगर आप गुरु ग्रंथ साहिब के बेअदबी और लापता रूपों पर एक अल्टीमेटम जारी करते.”
मान गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं का ज़िक्र कर रहे थे, जिन्हें सिख जीवित गुरु मानते हैं. 2015 में इस तरह की बेअदबी की घटनाओं के मद्देनजर, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके तत्कालीन डिप्टी सीएम बेटे सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व वाली अकाली-भाजपा राज्य सरकार को इसके लिए जिम्मेदार लोगों को पकड़ने में विफल पाया गया था.
मान ने जत्थेदार पर 2020 के इसी तरह के एक विवाद पर भी कटाक्ष किया जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब के 328 स्वरूप या फॉर्म एसजीपीसी प्रिंटिंग प्रेस से गायब पाए गए थे. हालांकि, आंतरिक जांच के बाद एसजीपीसी के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई, लेकिन कई सिख निकाय आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग कर रहे हैं.
एसजीपीसी को बड़े पैमाने पर शिअद द्वारा नियंत्रित किए जाने के रूप में देखा जाता है और प्रासंगिक बने रहने के लिए विभिन्न साधनों का उपयोग करने के लिए अक्सर इसकी आलोचना की जाती है.
जत्थेदार ने कुछ घंटे बाद ही मान के ट्वीट का जवाब दिया था.
उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक संदेश में कहा, “भगवंत मान जी, जिस तरह से आप पंजाब का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, उसी तरह मैं भी अपने समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं. निर्दोष सिख युवाओं के लिए न्याय की मांग करना मेरा अधिकार और मेरा कर्तव्य है. आप सही कह रहे हैं कि अक्सर साधारण धार्मिक लोगों का उपयोग राजनेताओं द्वारा किया जाता है. मुझे इसकी जानकारी है, लेकिन आपको उन राजनेताओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने से सावधान रहने की जरूरत है जो पंजाब को अपने राजनीतिक हितों के लिए जलाए रखना चाहते हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “हम राजनीति के बारे में बाद में बात करेंगे. सबसे पहले, आइए हम यह सुनिश्चित करने के लिए एक साथ आएं कि जेलों में बंद युवा मासूम लड़के रिहा हों और अपनी माताओं से मिल सकें. वाहेगुरु मेहर रखें.”
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‘मनुष्य ईश्वर को भूल गया है’
जत्थेदार के खिलाफ मान के ट्वीट पर अकाली दल ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी. शिअद के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने सिलसिलेवार ट्वीट्स में कहा, “मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि यह कठपुतली मुख्यमंत्री सत्ता के नशे में चूर है कि उसने दिल्ली में बैठी सिख विरोधी लॉबी के कहने पर गुरु घर पर हमला करने की हिम्मत की है.”
उन्होंने आगे कहा, “उनका वही हश्र होगा जो उन लोगों का होगा जिन्होंने पहले सिखों के सर्वोच्च लौकिक निकाय – अकाल तख्त – के अधिकार को चुनौती दी थी – जिसे मिरी-पीरी (सांसारिक और आध्यात्मिक अधिकार) के सिद्धांतों पर छठे गुरु द्वारा बनाया गया था. अभी भी समय है. मान को बिना समय बर्बाद किए बिना शर्त अकाल तख्त के सामने पेश होना चाहिए और इस धार्मिक अज्ञानता के लिए माफी मांगनी चाहिए.”
हालांकि इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी की ओर से कोई बयान नहीं आया है, लेकिन विधायक सुखपाल खैरा ने अल्टीमेटम पर जत्थेदार का समर्थन किया है.
खैरा ने एक ट्वीट में कहा, “मैं जत्थेदार अकाल तख्त द्वारा युवाओं को रिहा करने, एनएसए के अंधाधुंध दुरुपयोग को रोकने, सामूहिक गिरफ्तारी बंद करने, मीडिया को रोकने आदि के लिए दिए गए अल्टीमेटम का समर्थन करता हूं. मुझे भगवंत मान पर शर्म आती है जो बिना किसी उकसावे के दिल्ली के इशारे पर अपने ही समुदाय और पंजाब को बदनाम करने के लिए एक मोहरे के रूप में काम कर रहे हैं.”
उन्होंने जत्थेदार के खिलाफ ट्वीट के लिए मान की आलोचना भी की.
उन्होंने कहा, “यह दुखद है कि बवंडर में फंसे सिख युवाओं को न्याय देने के बजाय, भगवंत मान अकाल तख्त साहिब से भिड़ रहे हैं. लगता है दिल्ली के इशारे पर दौड़ते-दौड़ते सत्ता के नशे में चूर हो गये हैं और रब को भी भूल गये हैं.”
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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