नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने बुधवार को पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी और अन्य को कथित जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में नए आरोप पत्र के संबंध में जमानत दे दी.
विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने जमानत देते हुए कहा कि इस मामले में सीबीआई ने किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया और यहां तक कि सीबीआई ने उनकी जमानत याचिका का भी विरोध नहीं किया.
#WATCH दिल्ली: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू यादव, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव कथित भूमि के बदले नौकरी घोटाले की सुनवाई के लिए राउज़ एवेन्यू कोर्ट पहुंचे।
(वीडियो कोर्ट परिसर के अंदर का है।) https://t.co/mAZ59PjHOE pic.twitter.com/QdWhXPIt7w
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 4, 2023
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित घोटाले के संबंध में तीन जुलाई को आरोप पत्र दायर किया था.
अदालत ने 22 सितंबर को लालू, राबड़ी, तेजस्वी और अन्य आरोपियों के खिलाफ दायर आरोपपत्र का संज्ञान लेने के बाद उन्हें तलब किया था और कहा था कि साक्ष्य ‘प्रथम दृष्टया’ भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी सहित विभिन्न अपराधों को अंजाम दिए जाने की तरफ इशारा करते हैं.
यह जांच एजेंसी द्वारा मामले में दायर किया गया दूसरा आरोप पत्र था. हालांकि, यह पहला आरोप पत्र था, जिसमें तेजस्वी यादव को आरोपी के रूप में नामित किया गया है.
लालू नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले के साथ-साथ चारा घोटाला से जुड़े मामलों में भी जमानत पर बाहर हैं.
अधिकारियों के मुताबिक, यह मामला 2004 से 2009 तक रेल मंत्री के रूप में लालू प्रसाद के कार्यकाल के दौरान मध्य प्रदेश के जबलपुर में रेलवे के पश्चिम-मध्य क्षेत्र में ग्रुप-डी नियुक्तियों से संबंधित है, जिसके बदले में आवेदकों ने राजद सुप्रीमो के परिजनों या सहयोगियों के नाम पर भूमि उपहार में दी थी या हस्तांतरित की थी.
जांच एजेंसी ने 18 मई 2022 को लालू, उनकी पत्नी, दो बेटियों और अज्ञात लोक सेवकों व निजी व्यक्तियों सहित 15 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
सीबीआई ने पिछले साल अक्टूबर में लालू, राबड़ी और अन्य के खिलाफ मामले में पहला आरोप पत्र दायर किया था. यह रेलवे के मुंबई मुख्यालय वाले सेंट्रल जोन में की गई नियुक्तियों से संबंधित था.
यह भी पढ़ें: ‘कर्मचारी ने लिखा था’, कांग्रेस के सिंघवी ने राहुल के ‘जितनी आबादी उतना हक’ नारे का उड़ाया मजाक