scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमराजनीतिरुपा, लॉकेट और अग्निमित्रा को साथ लाकर बंगाल में भाजपा की महिला मोर्चा ने कैसे 'ग्लैमरस रुख' अख्तियार किया

रुपा, लॉकेट और अग्निमित्रा को साथ लाकर बंगाल में भाजपा की महिला मोर्चा ने कैसे ‘ग्लैमरस रुख’ अख्तियार किया

फैशन डिजाइनर अग्निमित्रा पॉल इस महीने की शुरुआत में बंगाल भाजपा की महिला मोर्चा प्रमुख बनी. उनके तत्काल पूर्ववर्तियों में कलाकार रूपा गांगुली और लॉकेट चटर्जी हैं.

Text Size:

कोलकाता: महाभारत धारावाहिक का चर्चित चेहरा रहीं रुपा गांगुली से लेकर टॉलीवुड स्टार लॉकेट चटर्जी और अब फैशन डिजाइनर अग्निमित्रा पॉल, बंगाल भाजपा ने ग्लैमर की दुनिया से आई महिलाओं को महिला मोर्चा के नेताओं के तौर पर नियुक्त करने का चलन शुरू कर दिया है.

पॉल ने इसी महीने की शुरुआत में बंगाल महिला मोर्चा के प्रमुख का पद संभाला. भाजपा में आने के बाद वो पिछले एक साल में वरिष्ठ पद पर पहुंच गई हैं.

बीते पांच सालों में ये पद गांगुली और चटर्जी के पास था. दोनों ही अब राज्य सभा और लोकसभा से सांसद हैं.

भाजपा के नेताओं ने कहा कि पार्टी में ऊंची रैंक तक पहुंचने में उन्हें बाधा भी आई. वरिष्ठ नेता उनके फिल्म और फैशन के बैकग्राउंड को नुकसान के तौर पर देखते रहे हैं.

जबकि भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने स्वीकार किया कि उनकी ग्लैमर और सार्वजनिक अपील उन्हें सबसे आगे लाने में एक कारक थी, उन्होंने उन्हें पार्टी में खुद को उस राज्य में स्थापित करने में मदद करने का श्रेय दिया जहां पार्टी को अभी भी सत्ता नहीं मिली है.

ग्लैमरस अतीत

भाजपा का महिला मोर्चा राज्य की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है, जिसमें धरने, सड़क अवरोध और घेराव में भाग लेना शामिल है. आंदोलन के दौरान, यह रक्षा की पहली पंक्ति की तरह काम करता है.

भाजपा की महिला मोर्चा की भूमिका को विशेष रूप से प्रमुखता तब मिली जब 2018 के पंचायत चुनावों में भाजपा ने 5,779 ग्राम पंचायत सीटों पर 2,500 से अधिक महिला उम्मीदवारों ने जीत हासिल की.

इस रिपोर्ट के लिए साक्षात्कार में चटर्जी ने दिप्रिंट से कहा, ‘2018 के पंचायत चुनावों में 2500 के करीब महिला उम्मीदवारों के जीतने का यह मतलब है कि बंगाल की राजनीति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है. वो अब अपने घरों से निकल रही हैं.’

जबकि इसने सांगठनिक तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, मोर्चा को वास्तव में तब प्रमुखता मिली जब गांगुली को इसका प्रमुख नियुक्त किया गया.

गांगुली ने 2015 में बीजेपी के बंगाल महिला मोर्चा प्रमुख के रूप में पदभार संभाला. उन्होंने पार्टी की एक वरिष्ठ नेता ज्योत्सना बनर्जी की जगह ली, जो लगभग पांच साल तक इस पद पर रही थी. वह 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद एक साल पहले भाजपा में शामिल हुई थीं.


यह भी पढ़ें: कोविड के मद्देनज़र मेडिकल बीमा कराने में आ रही तेज़ी लेकिन बीमा कंपनियों की कवर पॉलिसी में कई तरह के पेंच


बंगाल भाजपा के अध्यक्ष के रूप में दिलीप घोष के चुनाव में महिला विंग की प्रमुख के रूप में उनकी नियुक्ति की घोषणा हुई.

चटर्जी को भाजपा में शामिल होने के दो साल बाद जुलाई 2017 में इस पद पर नियुक्त किया गया था. 2015 तक, वह तृणमूल कांग्रेस की सदस्य थीं, जिसके बारे में माना जाता है कि उन्होंने ही राज्य में सेलिब्रिटी राजनेताओं के ट्रेंड को शुरू किया था. चटर्जी ने पार्टी छोड़ दी क्योंकि उन्होंने दावा किया कि उन्हें तृणमूल कांग्रेस में ‘घुटन‘ महसूस हो रही है.

अग्निमित्र पॉल के लिए, भाजपा के साथ उनका पहला राजनीतिक कार्यकाल है. वह पिछले साल मार्च में पार्टी में शामिल हुई थीं, लेकिन ममता बनर्जी सरकार के तहत अपने सामाजिक कार्य पहल के लिए वो पहले भी चर्चा में रही थीं, जिसमें वरिष्ठ नागरिकों और महिला जेल कैदियों के लिए किए गए काम शामिल थे.

गांगुली की नियुक्ति पर, बीजेपी के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, शुरू में वरिष्ठ नेताओं के एक समूह द्वारा विरोध किया गया था जिसने उनके सिनेमा के बैकग्राउंड को नुकसान के रूप में देखा था. सूत्रों ने कहा कि इस बारे में भी चर्चा हो रही थी कि राजनीति में उनका उदय इतनी जल्दी हुआ था.

भले ही चटर्जी की महिला मोर्चा प्रमुख के रूप में नियुक्ति पार्टी कार्यकर्ता के रूप में दो साल के कार्यकाल के बाद हुई, लेकिन सूत्रों ने दावा किया कि संगठन के भीतर इसका विरोध किया गया था.

चटर्जी ने स्वीकार किया कि ‘एक अभिनेता के रूप में मेरे अतीत को लेकर खूब चर्चा की गई’, जब वह पार्टी में शामिल हुईं थी. उन्होंने कहा कि उनके ‘विरोधियों ने भी उन्हें बदनाम करने का अभियान चलाया.’

‘लेकिन मैंने खुद पर विश्वास किया और अपना काम करना जारी रखा. मैंने वह सब कुछ छोड़ दिया जो फिल्म उद्योग में मेरे करियर से जुड़ा था. वो एक अलग ही दुनिया थी. लोगों ने सोचा कि मैं धूप में नहीं जा पाऊंगी, गर्मी और बारिश में काम नहीं कर पाउंगी और धूल और पसीना भी नहीं सह पाउंगी.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैंने सब कुछ छोड़ दिया, मेरे फैंसी कपड़े, मेकअप जो मैं स्क्रीन पर करती थी. मैं अब उनका हिस्सा हूं और वे जानते हैं.’

पॉल ने कहा चटर्जी जानती है कि उनकी नियुक्ति ने प्रतिरोध को आमंत्रित किया था. फैशन उद्योग में दो दशकों तक काम करने वाली पॉल ने कहा, ‘मुझे पता है कि यह एक चुनौती है. मैं सिस्टम में नयी हूं. लेकिन मेरे पास न तो कुछ हासिल करने के लिए है और न ही किसी से चोरी करने के लिए. मैं एक आर्थिक रूप से संपन्न परिवार से आती हूं. मैं सिर्फ लोगों के बीच काम करना चाहती हूं.’


यह भी पढ़ें: नेहरू से लेकर मोदी तक किसी ने सरदार पटेल की चीन नीति को नहीं समझा


पॉल ने दिप्रिंट को बताया, ‘मेरी पार्टी ने मुझे काम करने का मौका दिया है और वरिष्ठ नेताओं ने मुझ पर विश्वास किया है. मोदीजी के कारण मैंने भाजपा ज्वाइन की है. बीजेपी की विचारधारा किसी भी अन्य पार्टी से थोड़ी अलग है, लेकिन मोदी जी ने मुझे प्रेरित किया.’

दिप्रिंट ने फोन और मैसेज के जरिए गांगुली तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने तक उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.

‘शुरुआती विचार’

यह पूछे जाने पर कि क्या महिला मोर्चा प्रमुख का पद सार्वजनिक अपील के साथ ग्लैमरस चेहरों की नियुक्ति को लेकर ही है, इसपर पार्टी के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह ‘प्राथमिक विचार’ है.

उन्होंने कहा, ‘कुछ हद तक यह सही बात है. लेकिन और भी कई कारण हैं. 2014 के आम चुनावों के बाद हमारे केंद्रीय नेताओं ने बंगाल में राजनीतिक अवसर देखा. हालांकि तब हमारे पास ऐसा कोई चेहरा नहीं था. रुपा गांगुली जो अपने काम करने को लेकर ऊर्जावान है, उन्हें आगे लाया गया और धरना आयोजित किए गए और नारे लगाए गए ताकि मीडिया माइलेज मिले.’

उन्होंने कहा, ‘तब हमें इसकी जरूरत थी. साल भर में ही राज्य में राजनीतिक डायनामिक्स बदल गया. दिलीप दा को अब एक उग्र नेता वाले छवि के लिए जाना जाता है.’

नेता ने कहा कि चटर्जी और गांगुली दोनों ने ही पार्टी को अलग-अलग तरह से मदद की है.

उन्होंने कहा, ‘जबकि गांगुली ने ‘नाटकीय तरीके से काम किया, नारे लगाए / हंगामा किया ताकि मीडिया का ध्यान आकर्षित हो’, लॉकेट ने भी संगठन-निर्माण का काम किया है.

‘हम लॉकेट को अपने टर्नकोट तौर पर आए नेताओं में सबसे सफल रूप में देखते हैं.’

2014 और 2016 के चुनावों के बाद, तृणमूल कांग्रेस के कई सदस्य हमारे साथ जुड़ गए. लेकिन लॉकेट ने इस पद तक पहुंचने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत की है. उसने जिलों में बड़े पैमाने पर यात्रा की. उन्होंने कहा कि वो गांवों में गईं और लोगों के साथ रहीं, सरकारी कार्यालयों और पुलिस थानों का घेराव किया.


यह भी पढ़ें: बड़े पैमाने पर पीपीई और वेंटिलेटर्स बना रही हैं भारतीय कंपनियां, मोदी सरकार देगी निर्यात की अनुमति


‘वास्तव में उसने सबसे मुश्किल संसदीय सीट हुगली में अकेले ही मुकाबला किया.’

2019 में, चटर्जी ने हुगली लोकसभा सीट पर लगभग 46 प्रतिशत मतों के साथ जीत हासिल की. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार रत्ना डे नाग को लगभग 74,000 मतों से हराया. चटर्जी ने कहा कि उनके तहत महिला मोर्चा लगभग 40,000 सदस्यों के संगठन के रूप में विकसित हुआ.

चटर्जी द्वारा 2019 में चुनाव आयोग के समक्ष दायर किए गए चुनावी हलफनामे के अनुसार, वो 14 मामलों का सामना कर रही हैं, जिनमें 59 मामलों में हत्या, दंगा करने, विस्फोटक पदार्थ का उपयोग करने, सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने, सरकारी सेवकों को बाधित करने, जिनमें से अधिकांश उनके महिला मोर्चा प्रमुख के कार्यकाल के दौरान हुआ कहा जा सकता है, भी शामिल है.

पिछले एक साल में उन्होंने दावा किया कि यह संख्या बढ़कर 25 हो गई है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments