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Tuesday, 12 November, 2024
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RJD या BJP की ‘बी टीम’? प्रशांत किशोर और उनकी अभी तक लॉन्च नहीं हुई पार्टी पर क्यों हो रहे हैं हमले

गांधी जयंती पर किशोर अपनी पार्टी लॉन्च करने वाले हैं. विपक्षी दलों पर उनकी नज़र है, वहीं बीजेपी और आरजेडी अगले साल होने वाले चुनावों से पहले पूर्व चुनाव रणनीतिकार पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं.

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नई दिल्ली: प्रशांत किशोर की अभी तक लॉन्च नहीं हुई जन सुराज पार्टी ने बिहार में दूसरी बार प्रतिद्वंद्वी दलों की ‘बी टीम’ का तमगा हासिल कर लिया है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने किशोर पर हमला साधा है और उनकी जन सुराज पार्टी को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की ‘बी टीम’ करार दिया है, यह आरोप विपक्षी पार्टी ने पहले भी लगाया था.

भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने मंगलवार को एक्स पर हिंदी में पोस्ट किया, “हिंदुस्तान की राजनीति में एक और मुस्लिम परस्त पार्टी का उदय हो चुका है. इस बार बिहार में! जैसे ही कोई हिंदू नेता कैफी या जालीदार टोपी पहन ले, तो समझ जाना चाहिए कि उसे मुसलमानों की भलाई नहीं सिर्फ उनका वोट चाहिए. बिहार में जन सुराज और राजद, एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं. भाजपा और एनडीए ही एकमात्र राष्ट्रवादी विकल्प है.”

भाजपा द्वारा किशोर को निशाना बनाना कोई नई बात नहीं है, क्योंकि इसकी शुरुआत अगले साल होने वाले बिहार चुनाव से ठीक पहले इसी साल 2 अक्टूबर को हो रही है. पहली नज़र में मालवीय के इस आरोप के पीछे कारण था — किशोर ने बिहार में उनकी आबादी के अनुपात में कम से कम 40 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का वादा किया था, लेकिन, भाजपा को ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ से ज़्यादा जो बात परेशान कर रही है, वो है ऊंची जातियों के उनके प्रति आकर्षित होने का डर.

किशोर बेरोज़गारी और नौकरियों की बात कर रहे हैं, वहीं भाजपा उनकी हरकतों पर कड़ी निगरानी रख रही है. जुलाई में 40 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की उनकी घोषणा सीधे तौर पर भाजपा और उसके सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) दोनों के वोट बैंक को प्रभावित करेगी.

इसके अलावा, 1 करोड़ सदस्यों के साथ जन सुराज को लॉन्च करने की घोषणा में देखी गई उनकी संगठनात्मक तैयारी ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को “घबराहट” में डाल दिया है. यह घटना ऐसे समय में हुई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के बावजूद भाजपा ने पांच लोकसभा सीटें — पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, औरंगाबाद और सासाराम — खो दी थीं.

दिलचस्प बात यह है कि किशोर की रविवार की घोषणा को पूर्व चुनाव रणनीतिकार की राजद के मुस्लिम-यादव संयोजन वोट बैंक को लक्षित करने की योजना के रूप में देखा गया. बिहार की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है और वो नीतीश कुमार की जेडी(यू) को वोट देने वाले एक वर्ग को छोड़कर बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय जनता दल को वोट देते हैं.

लेकिन, किशोर के भाषण का दूसरा हिस्सा — “भाजपा को हराने के लिए मुसलमानों को गांधी, आंबेडकर, लोहिया और जेपी (जयप्रकाश नारायण) की विचारधारा को अपनाना होगा” — को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने गंभीरता से लिया.

किशोर ने रविवार को कहा, “मैंने 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत में योगदान दिया था, लेकिन उसके बाद 2015 से 2021 तक, मैंने हमेशा भाजपा के खिलाफ लड़ने वाली पार्टियों और नेताओं की जीत में योगदान दिया. आपको पता होना चाहिए कि भाजपा केवल 37 प्रतिशत वोटों के साथ तीन बार दिल्ली में सरकार बनाने में सफल रही है, जबकि हिंदू आबादी 80 प्रतिशत है. इसका मतलब है कि 40 प्रतिशत हिंदुओं ने भाजपा के खिलाफ, नफरत की राजनीति के खिलाफ वोट दिया है.”

यह एक ऐसा विषय है जिसे किशोर पहले भी उठा चुके हैं. उदाहरण के लिए — सुपौल जिले में अपनी पदयात्रा के दौरान.

जुलाई में उन्होंने कहा था, “हिंदुओं में चार श्रेणियां हैं. पहला वो जो गांधी को बहुत मानते हैं, चाहे वो बनिया हों, ब्राह्मण हों या कुशवाहा हों; दूसरा वर्ग आंबेडकर को बहुत मानता है; तीसरा वो जो कम्युनिस्ट विचारधारा रखते हैं और चौथा लोहिया समाजवादी अनुयायी हैं, जो भाजपा को वोट नहीं देते हैं. अगर आप गांधी, आंबेडकर, साम्यवाद और लोहिया के अनुयायियों के साथ गठबंधन करते हैं, तो भाजपा 30 प्रतिशत तक सिमट जाएगी…”

किशोर विपक्ष की जगह लेने की कोशिश कर रहे हैं, जैसा कि राजद के तेजस्वी यादव पर उनके लगातार हमलों से पता चलता है. साथ ही, उनकी नज़र भाजपा के उच्च जाति के वोट बैंक पर भी है.

इस बीच, राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने दिप्रिंट से कहा कि प्रशांत किशोर भाजपा की ‘बी टीम’ हैं क्योंकि वो पार्टी पर हमला कर रहे हैं. “यह लोकसभा चुनावों से स्पष्ट है जब उन्होंने भाजपा और मोदी की प्रशंसा की, लेकिन उन्हें हमारे आधार का कोई वोट नहीं मिलेगा.”

जन सुराज के एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, “नीतीश कुमार एक घटती हुई ताकत हैं. नीतीश के जाने के बाद बिहार में दो पार्टियां बची रहेंगी — राजद और भाजपा. भाजपा अपनी विचारधारा और लोकप्रिय नेतृत्व वाले विशाल संगठन के सहारे है. तेजस्वी के स्थान पर (जन सुराज के लिए) अधिक गुंजाइश है.”


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किशोर की निगाहें NDA के नैरेटिव पर?

जुलाई में आरजेडी के दिग्गज नेता जगदानंद सिंह ने कथित तौर पर एक पत्र लिखकर जन सुराज को बीजेपी की ‘टीम बी’ बताया था, साथ ही आरजेडी सदस्यों के किशोर के प्रति निष्ठा बदलने पर चिंता भी जताई थी.

पिछले पांच महीनों में पांच बार के सांसद देवेंद्र प्रसाद यादव, पूर्व एमएलसी रामबली चंद्रवंशी, राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष अब्दुल मजीद और राजद महासचिव रिवाज अंसारी जन सुराज में शामिल हो गए हैं.

किशोर के साथ हाथ मिलाने वालों में कर्पूरी ठाकुर की पोती डॉ. जागृति, पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा और अभिनेत्री अक्षरा सिंह शामिल हैं.

बिहार भाजपा के उपाध्यक्ष ने दिप्रिंट से कहा, “प्रशांत किशोर के पास पैसा और जगह है. हर पार्टी के नेता जो नाराज़ हैं या जिन्हें टिकट नहीं मिल रहा है, वो उनके साथ आ जाएंगे. लालू के समर्थक प्रतिबद्ध हैं; यादव भाजपा को वोट नहीं देंगे. यहां तक ​​कि मुसलमान भी उन्हें वोट नहीं देंगे क्योंकि उन्हें पता है कि वो भाजपा को नहीं हरा सकते.”

उन्होंने कहा, “आखिरकार, उच्च जाति के मतदाता जो महत्वाकांक्षी हैं और किसी भी पार्टी के प्रति वफादार नहीं हैं, वो अपना दल बदल सकते हैं. भाजपा को हिंदुत्व और विकास की आकांक्षापूर्ण राजनीति के कारण उनके वोट मिले. जब आर्थिक कठिनाई हिंदुत्व को हरा देती है, तो कमजोर महत्वाकांक्षी हिंदू मतदाता किसी भी पार्टी में जा सकते हैं जो उनकी आकांक्षाओं को पूरा कर सके.”

भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष ने बताया कि किशोर को लगा कि दलितों, बनियों और ऊंची जातियों का एक वर्ग उनकी ओर आकर्षित हो सकता है, इसलिए वो गांधी और आंबेडकर की प्रशंसा कर रहे हैं.

भाजपा के एक महासचिव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किशोर की यात्रा चंपारण, सारण और मिथिला जैसे पार्टी के गढ़ माने जाने वाले इलाकों में भी घूमी है. उन्होंने कहा, “वो पहले आरजेडी के गढ़ मगध और सीमांचल क्यों नहीं गए? वो जानते हैं कि ऊंची जातियों के पास राजनीति के लिए संसाधन हैं, उनमें धैर्य नहीं है और उन्हें जीता जा सकता है.”

इसी तरह, भाजपा प्रदेश इकाई के एक नेता ने कहा कि किशोर बिहार में बदलाव की कहानी को आगे बढ़ाने के लिए अरविंद केजरीवाल की राह पर चल रहे हैं.

उन्होंने कहा, “किशोर बदलाव की कहानी का इस्तेमाल कर रहे हैं और कह रहे हैं कि बिहारियों ने पिछले 40 सालों में सभी पार्टियों को आजमाया है — चाहे वो आरजेडी हो, जेडी(यू) हो या भाजपा. वो बदलाव, रोज़गार, युवाओं के पलायन, शिक्षा की कमी और एनडीए के 25 साल के शासन के बावजूद उद्योग की कमी के बारे में अपने बयानों के जरिए केजरीवाल की तरह ही काम कर रहे हैं और यह गति पकड़ रहा है.”

उन्होंने कहा कि राजद के तेजस्वी ने 2020 में जेडी(यू) और भाजपा को नुकसान पहुंचाने के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल किया था. उन्होंने कहा कि किशोर विपक्ष की जगह लेने के लिए इसी कथानक का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन इससे राजद से ज्यादा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को नुकसान होगा.

अमित मालवीय की तरह, भाजपा बिहार के महासचिव मिथिलेश तिवारी ने कहा कि किशोर राजद की ‘बी टीम’ हैं, “लेकिन भाजपा ने 25 साल तक लालू के जंगल राज (अराजकता) से लड़ाई लड़ी है और नीतीश कुमार की मदद से भाजपा 2025 में भी राजद को हराएगी.”

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा एमएलसी संजय पासवान ने किशोर की योजनाओं पर निगरानी रखने का आह्वान किया. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “प्रशांत किशोर आकांक्षी वर्ग के बीच गति पकड़ रहे हैं और इससे भाजपा को नुकसान हो सकता है. उन्हें अपनी योजना के बारे में सावधान रहना चाहिए.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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