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Monday, 4 November, 2024
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इतिहास के गड़े मुर्दे उखाड़े और ‘गोअन’ सांचे में ढलने की कोशिश- गोवा के मतदाताओं को कैसे लुभा रहे राजनीतिक दल

2022 का गोवा चुनाव इस छोटे से राज्य में विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच वर्चस्व की जंग में तब्दील हो गया है. चुनाव प्रचार अभियान, जो शनिवार को खत्म हो गया, के दौरान हर पार्टी ने अलग-अलग तरीकों से मतदाताओं के बीच अपनी छाप छोड़ने की कोशिश की.

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मुंबई: आमतौर पर लोग जब डाबोलिम स्थित गोवा एयरपोर्ट से बाहर निकलते हैं और उत्तर में पणजी की ओर बढ़ते हैं, तो रास्ते में लगे कसीनो के बड़े-बड़े होर्डिंग, नए क्लब और एक शानदार पार्टी का वादा करने वाले रेस्तरां के विज्ञापन आदि उनका स्वागत करते नजर आते हैं.

लेकिन पिछले दो-तीन माह से सूरत एकदम बदल गई है. और अब कुछ अलग ही तरह के होर्डिंग और विज्ञापनों ने इनकी जगह ले ली है. कहीं तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का ‘गोएंची नवी साकाल ’ (गोवा की नई सुबह) वाला होर्डिंग दिख रहा तो कहीं ‘गोवा चाहता है बदलाव, गोवा चाहता है केजरीवाल ’ के साथ आम आदमी पार्टी (आप) का प्रचार. कांग्रेस और इस समय सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तरफ से लगाए कुछ होर्डिंग भी नजर आते हैं. सड़क के कुछ हिस्सों में तो राहगीरों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए लगे सभी चार राजनीतिक दलों के होर्डिंग एक साथ ही नजर आ जाते हैं.

भारत के सबसे छोटे राज्य गोवा— जहां कुल मतदाता केवल 11.56 लाख हैं, जो आंकड़ा मुंबई के मतदाताओं की कुल संख्या का करीब 12 फीसदी ही है— में 2022 के विधानसभा चुनाव विभिन्न दलों के बीच 40 सदस्यीय विधानसभा में वर्चस्व कायम करने की जंग में तब्दील होते नजर आए हैं. 14 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए प्रचार शनिवार को समाप्त हो गया और इस पूरे अभियान के दौरान सभी दलों ने अलग-अलग तरह से मतदाताओं को लुभाने की हरसंभव कोशिशें कीं.

टीएमसी ने जहां इस बात पर जोर दिया कि उसने गोवा में पार्टी कैसे बनाई है और कैसे यहां टिककर रहने वाली है, ताकि उसे ‘बाहरी’ का टैग हटाने में मदद मिल सके, वहीं, आप ने यह कहते हुए कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक को साधने की कोशिश कि कांग्रेस को वोट देने का मतलब है कि भाजपा को वोट देना (गोवा कांग्रेस के कई विधायकों के भाजपा में शामिल हो जाने के संदर्भ में).

इस बीच, कांग्रेस ने गोवावासियों से अपने वोट बंटने न देने की अपील की. दूसरी तरफ, भाजपा ने राज्य में कांग्रेस को अपनी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी पार्टी बताते हुए इतिहास के गड़े मुर्दे उखाड़े और राज्य को पुर्तगालियों से आजाद कराने में ‘देरी’ के लिए पार्टी को जिम्मेदार ठहराया. हालांकि, कांग्रेस ने इस आरोप का पुरजोर विरोध किया.


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‘कांग्रेस को वोट मतलब भाजपा को वोट’

गोवा में शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जो लोग भाजपा को सत्ता से बाहर करना चाहते हैं, उन्हें आप को वोट देना चाहिए क्योंकि कांग्रेस को वोट देना मतलब भाजपा को वोट देना है.

2017 के चुनाव के बाद गोवा में सरकार गठन के लिए भाजपा की स्थिति मजबूत करते हुए कई कांग्रेसी विधायकों के भाजपा में शामिल हो जाने का जिक्र करते हुए केजरीवाल ने कहा, ‘पिछली बार आपने कांग्रेस को 17 विधायक दिए थे, जिनमें 15 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी. ऐसे में कांग्रेस को वोट देने का कोई मतलब नहीं है. कांग्रेस का साथ देकर अपना वोट बर्बाद न करें.’ कांग्रेस के 17 विधायकों की जीत के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने के बावजूद, भाजपा उस समय गठबंधन करने और सरकार बनाने में कामयाब रही थी.

उन्होंने कहा, ‘जो लोग भाजपा को हराना चाहते हैं, जो उनके शासन, उनकी विचारधारा से परेशान हैं, जो भाजपा को फिर से सत्ता में नहीं लाना चाहते हैं, उन सभी को आप को वोट देना चाहिए.’

टीएमसी के अभिषेक बनर्जी ने भी गुरुवार को गोवा में एक रैली को संबोधित करते हुए केजरीवाल की तरह ही दावा किया.

उन्होंने कहा, ‘आपका एक वोट 20,000 रुपये का है. ये लोग आपके वोट भाजपा को 20,000 रुपये में बेचते हैं. आपका भरोसा 20,000 रुपये में तोड़ा जाता है. आपका प्यार कांग्रेस के लोगों और अन्य ने भाजपा को 20,000 रुपये में बेचा है. उन लोगों को वोट न दें जो आपकी गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं. उन लोगों को वोट न दें जो आपको धोखा देते हैं.’

गोवा में अतीत में कोई काम न करने और चुनाव से ठीक पहले यहां पहुंच जाने के लिए आलोचनाओं का सामना करती रही टीएमसी ने सोशल मीडिया पर एक विज्ञापन भी जारी किया था, जिसमें कहा गया था, ‘हम यहां टिकने और आपकी आवाज बनने आए हैं.’

एक अन्य विज्ञापन में टीएमसी ने इस पर जोर दिया कि कैसे वह गोवा भाजपा की मौजूदा ‘डबल इंजन डिजास्टर सरकार ’ से लड़ने के लिए एक ‘जन आंदोलन’ के तौर पर सामने आई है. चुनावों के लिए दूसरे दलों के लोगों को पार्टी में शामिल करने को लेकर टीएमसी को अक्सर गोवा में दलबदल की संस्कृति को बढ़ाने का आरोप लगा.


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‘हम आपको गोवा के लोगों को बांटने नहीं देंगे’

इस बीच, एक पुराने बरगद के पेड़ के नीचे नीली साड़ी पहने खड़ी एक महिला कहती है, ‘क्या आपने सुना? वे गोवा की भावनाओं से खिलवाड़ की कोशिश कर रहे हैं. बाहरी पार्टियां हमें कठपुतली की तरह इस्तेमाल करना चाहती हैं…हमारा गोवा छोटा है, लेकिन गोवा के लोग महान हैं. टीएमसी और आप हमारी पार्टियां नहीं हैं. यह गोवा को बांटने की कोशिश है? हम ऐसा नहीं होने देंगे. हम आपको हमारे वोटों को बांटने और भाजपा को सत्ता में पहुंचाने की अनुमति नहीं देंगे. मैं सिर्फ ‘पंजे’ के लिए वोट करूंगी और कांग्रेस की सरकार चुनूंगी.’

टीएमसी और आप पर सीधे हमले करने वाला यह वीडियो प्रचार अभियान के अंतिम सप्ताह में कांग्रेस की तरफ से जारी विभिन्न सोशल मीडिया वीडियो विज्ञापनों में से एक था.

गोवा में शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भरोसा जताया कि पार्टी गोवा में अपने बलबूते पर ‘आसानी से’ सत्ता में आ जाएगी.

पार्टी को भाजपा की तरफ से की जाने वाली आलोचनाओं का भी जवाब देना पड़ा, जिसने पूरे अभियान के दौरान कांग्रेस को निशाना बनाना जारी रखा था.

गोवा के मापुसा में गुरुवार को एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इस दावे को दोहराया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू की वजह से भारत की आजादी के 15 साल बाद कहीं जाकर गोवा को पुर्तगाली शासन से मुक्ति मिल पाई.

उन्होंने कहा, ‘देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने लाल किले से घोषणा की थी…आप आज यूट्यूब पर उनका भाषण सुन सकते हैं…कि गोवा की मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे लोगों की मदद के लिए वह सेना नहीं भेजेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पहले भी यही सोचती थी और आज भी ऐसा ही सोचती है.’

दूसरी तरफ, राहुल गांधी ने उस दौर का इतिहास न समझने के लिए मोदी की खिंचाई की.

गोवा में प्रेस से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, ‘अब पीएम आपके पास आकर यह तो कह नहीं सकते कि मैंने आपको नौकरी दी, मैंने आपको रोजगार दिया या फिर मैंने आपकी पिछली सरकार छीन ली. तो वह ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं. स्वतंत्रता सेनानियों और शिक्षाविदों ने इस मुद्दे पर टिप्पणी की है. दुखद तथ्य यह है कि पीएम को उस समय के इतिहास के बारे में पता नहीं है और उन्हें यह समझ नहीं आता कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद क्या हो रहा था.’

इस बीच, गोवा फॉरवर्ड पार्टी जैसे क्षेत्रीय दलों का प्रचार अभियान गोवा की विशिष्ट पहचान को बरकरार रखने की अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करने पर केंद्रित रहा.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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