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Saturday, 14 September, 2024
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हरियाणा BJP की पहली सूची के बाद विद्रोह, सावित्री जिंदल, रंजीत सिंह लड़ेंगे निर्दलीय चुनाव

बुधवार को भाजपा द्वारा 67 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी किए जाने के बाद, पूर्व मंत्री और भाजपा के ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष; मौजूदा विधायक; पूर्व विधायक; भाजपा के किसान मोर्चा के अध्यक्ष और प्रमुख सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया.

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गुरुग्राम: हरियाणा में लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता विरोधी लहर को मात देने की कोशिश कर रही है, लेकिन 5 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के बाद पार्टी के भीतर खलबली फैल गई है.

राज्य के बिजली, जेल और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री रणजीत सिंह ने गुरुवार को नायब सैनी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने की घोषणा की. उन्होंने सिरसा में अपनी पारंपरिक रानिया सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने की भी घोषणा की.

सिंह ने गुरुवार को अपने समर्थकों के साथ बैठक की. दरअसल, बीजेपी ने एक दिन पहले जारी की गई 67 उम्मीदवारों की पहली सूची में उन्हें शामिल नहीं किया था. बैठक के बाद उन्होंने मीडिया को बताया कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है और वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. भाजपा ने उन्हें रानिया से टिकट देने से इनकार कर दिया और उनकी जगह पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता शीशपाल कंबोज को मैदान में उतारा है.

सिंह ने भाजपा के टिकट पर हिसार से 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

हालांकि, दिप्रिंट ने टिप्पणी के लिए रणजीत सिंह से संपर्क किया, लेकिन उनका मोबाइल फोन बंद था. उनका जवाब आने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

रणजीत सिंह के अलावा, जाने-माने उद्योगपति और कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल ने गुरुवार को घोषणा की कि वे हरियाणा के कैबिनेट मंत्री डॉ. कमल गुप्ता के खिलाफ हिसार से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगी.

गुरुवार को जब उन्हें पता चला कि भाजपा ने उनका नाम सूची में शामिल नहीं किया है, तो उन्होंने हिसार स्थित अपने आवास पर बड़ी संख्या में समर्थकों को संबोधित किया. कई लोगों ने उनके दिवंगत पति ओ.पी. जिंदल की तस्वीर अपने हाथों में ले रखी थी और नारे लगाते हुए उनसे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का अनुरोध किया.

सावित्री ने अपने समर्थकों से कहा, “मैं भाजपा की प्राथमिक सदस्य नहीं हूं. मैं दिल्ली से यहां यह घोषणा करने आई थी कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगी, लेकिन आपका प्यार और विश्वास देखकर मैंने चुनाव लड़ने का फैसला किया है.”

उनके पति ओपी जिंदल, जो उद्योगपति थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कैबिनेट में मंत्री थे, की 31 मार्च 2005 को एक अन्य मंत्री सुरेंद्र सिंह के साथ हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. सावित्री उसी वर्ष बाद में हुए उपचुनाव में विधायक चुनी गईं. उन्होंने 2009 में फिर से हिसार सीट जीती और हुड्डा सरकार में मंत्री रहीं. 2014 में वे डॉ. कमल गुप्ता से हार गईं, जिसके बाद उन्होंने 2019 में चुनाव नहीं लड़ा.

सावित्री से पहले ओपी जिंदल 1991, 2000 और 2005 में इस सीट से चुने गए थे.


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पहली सूची के बाद खलबली, इस्तीफे

बुधवार शाम 67 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के कुछ ही मिनटों के भीतर, सोशल मीडिया पर एक के बाद एक भाजपा नेताओं और पदाधिकारियों के इस्तीफे सामने आने लगे.

पार्टी से अलग होने की घोषणा करने वालों में एक पूर्व मंत्री और भाजपा के ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष; एक मौजूदा विधायक; एक पूर्व विधायक; और भाजपा के किसान मोर्चा के अध्यक्ष, राज्य में 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवार के रूप में लड़ने वाले कई लोग और विभिन्न जिलों के पार्टी पदाधिकारी शामिल हैं.

बुधवार रात 8:14 बजे, भाजपा ने पत्रकारों के लिए पार्टी के आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप पर विधानसभा चुनाव के लिए 67 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची साझा की.

भाजपा हरियाणा अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर सूची पोस्ट करने से पहले (इसे रात 8:39 बजे पोस्ट किया गया) — भिवानी के बधरा से पूर्व भाजपा विधायक सुखविंदर श्योराण द्वारा बुधवार रात 8:21 बजे “अलविदा भाजपा” कैप्शन के साथ एक साफ-सुथरा टाइप किया हुआ इस्तीफा फेसबुक पर पोस्ट किया गया. वे हरियाणा भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी थे.

इसमें लिखा था, “मैं हरियाणा भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं. कृपया मेरा इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार करें.”

रतिया से भाजपा विधायक लक्ष्मण नापा का मामला काफी दिलचस्प है. नापा ने टिकट नहीं मिलने पर पार्टी से इस्तीफा दे दिया और पार्टी ने उनकी जगह सांसद सुनीता दुग्गल को मैदान में उतारा.

बुधवार दोपहर 2:24 बजे फेसबुक पर पोस्ट करते हुए — भाजपा द्वारा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करने से पहले — नापा ने कई अन्य ग्रामीणों के साथ बैठे हुए अपनी एक तस्वीर पोस्ट की, जिसके साथ उन्होंने लिखा था: “जल्लोपुर गांव में अपने आवास पर क्षेत्र के सरपंचों के साथ बैठक की और सीएम नायब सैनी के नेतृत्व में एक बार फिर भाजपा सरकार लाने की रणनीति बनाई.”

बुधवार शाम तक, भाजपा से उनका इस्तीफा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली को संबोधित था, जिसकी प्रतियां मुख्यमंत्री नायब सैनी और पार्टी के संगठन सचिव को भेजी गई थीं, जो मीडिया के व्हाट्सएप ग्रुपों में पहुंच गया था. गुरुवार को दिप्रिंट से फोन पर बात करते हुए नापा ने कहा कि वे दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आवास पर जा रहे हैं, जहां वे शाम को कांग्रेस में शामिल होंगे.

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस ने उन्हें टिकट देने का आश्वासन दिया है, नापा ने कहा कि अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. उन्होंने कहा कि अब उनका लक्ष्य रतिया विधानसभा सीट पर भाजपा को हराना है.

रानिया, महम, बाढड़ा, थानेसर, उकलाना, सफीदों, पृथला, रतिया, सोनीपत और रेवाड़ी में बगावत के संकेत मिले हैं.

गुरुवार सुबह भाजपा ओबीसी मोर्चा हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष, करनाल की इंद्री विधानसभा सीट से पूर्व विधायक और 2014 से 2019 तक मनोहर लाल खट्टर की सरकार में मंत्री रहे करण देव कंबोज ने फेसबुक पर अपना इस्तीफा पोस्ट किया.

अपने पत्र में कंबोज ने लिखा कि भाजपा का वह संस्करण जो कभी पंडित दीन दयाल उपाध्याय और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सिद्धांतों पर चलता था, अब अस्तित्व में नहीं है. उन्होंने लिखा कि अब पार्टी उन लोगों के हाथों में चली गई है जो हमेशा इसका विरोध करते रहे हैं.

उन्होंने लिखा, “मेरा परिवार पिछले 30 सालों से भाजपा की सेवा में समर्पित है और पिछले पांच सालों से मैं मोर्चा का अध्यक्ष हूं. मैंने पूरे राज्य में अथक परिश्रम किया है और हरियाणा में 150 सामाजिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया है.”

इस्तीफे में लिखा है, “हालांकि, पार्टी अब ऐसी दिशा में बढ़ रही है जो इन मूल्यों के अनुरूप नहीं है. इसमें अब ऐसे लोगों का दबदबा है, जिन्होंने न तो पार्टी की विचारधारा में योगदान दिया है और न ही कभी जुड़े हैं. ऐसे लोगों को टिकट दिया गया है, जो पहले भाजपा का हिस्सा भी नहीं थे और जो युवावस्था से ही पार्टी के लिए समर्पित रहे हैं, उन्हें किनारे कर दिया गया है.”

कंबोज ने कहा कि अब भाजपा और कांग्रेस के बीच मतभेद खत्म हो रहे हैं.

उन्होंने गुरुवार को दिप्रिंट से कहा कि चुनाव लड़ना है या नहीं, इसका फैसला उनके समर्थक और साथी करेंगे और उनकी सलाह के आधार पर ही वह अपना अगला कदम उठाएंगे. बुधवार को घोषित अपनी सूची में भाजपा ने मौजूदा विधायक और पूर्व राज्यसभा सदस्य राम कुमार कश्यप को इंद्री विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है.

कौन-कौन कर चुका है बगावत

2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में रोहतक के महम से भाजपा प्रत्याशी शमशेर सिंह खरखरा, सोनीपत जिला उपाध्यक्ष संजीव वलेचा और चरखी दादरी के भाजपा किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष विकास (भल्ला चेयरमैन) अन्य हैं जिन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया.

इसी तरह, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के पूर्व विधायक अनूप धानक को हिसार की आरक्षित उकलाना सीट से टिकट दिए जाने के बाद शमशेर गिल और पूर्व प्रत्याशी सीमा गैबीपुर ने पार्टी छोड़ दी.

कमल गुप्ता को टिकट दिए जाने के बाद पहले ही बगावत कर चुके हिसार के भाजपा जिला उपाध्यक्ष तरुण जैन भी पार्टी छोड़ने के आसार हैं. उन्होंने गुरुवार सुबह अपने आवास पर अपने समर्थकों की बैठक बुलाई थी.

इस बीच, सोनीपत से भाजपा के पूर्वांचल प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक संजय ठेकेदार ने भी पार्टी छोड़ दी है.

इसके अलावा, परिवार पहचान पत्र कार्यक्रम के प्रदेश संयोजक सतीश खोला भी बगावत में शामिल हो गए हैं. उन्होंने शुक्रवार को अपने आवास पर समर्थकों की बैठक बुलाई है.

सोनीपत से टिकट न मिलने पर पूर्व मंत्री कविता जैन ने गुरुवार को अपने समर्थकों के साथ बैठक की, जबकि उनके पति और मनोहर लाल खट्टर के पूर्व मीडिया सलाहकार राजीव जैन उम्मीदवार में बदलाव की उम्मीद में राष्ट्रीय राजधानी में प्रचार कर रहे हैं.

भाजपा ने इस बार सोनीपत से निखिल मदान को मैदान में उतारा है. कविता गुरुवार को अपने समर्थकों के सामने रो पड़ीं और कहा कि वे भाजपा को फैसला करने के लिए 8 सितंबर तक का समय देंगी. उसके बाद वे भाजपा में रहेंगी या नहीं, इस पर फैसला लेंगी. इस बीच राजीव ने दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया.

कविता के समर्थकों ने निखिल मदान को टिकट दिए जाने पर नाराज़गी जताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ प्रदर्शन किया और नारे लगाए.

दिप्रिंट द्वारा फोन पर संपर्क किए जाने पर राजीव ने समर्थकों की नारेबाजी को ज्यादा तवज्जो नहीं दी.

उन्होंने कहा, “टिकटों की घोषणा के तुरंत बाद हमें अपने समर्थकों के फोन आने लगे, वह बहुत नाराज़ थे. इसलिए हमने उन्हें शांत करने के लिए बैठक बुलाई थी.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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