नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था सुधारना, धार्मिक टूरिज्म सर्किट विकसित करना, ग्रेटर कोलकाता का बेंगलुरू और हैदराबाद जैसे प्रमुख आईटी हब की तर्ज पर विकास और पुचका जैसे स्ट्रीट फूड को बढ़ावा देना— ये सब विधानसभा चुनाव से पहले ‘सोनार बांग्ला’ के लिए भाजपा का विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने में जुटे पार्टी से संबद्ध थिंक टैंक की एक रिपोर्ट का हिस्सा है.
मार्च के अंत में प्रस्तावित चुनावों के लिए भाजपा अपना घोषणापत्र जारी करे इससे पहले नई दिल्ली स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन ने एक रिपोर्ट पेश की है, जिसमें सुझाव दिया गया है कि पार्टी को रोजगार सृजन के लिहाज से दो सबसे अहम क्षेत्रों— नॉलेज और टूरिज्म पर ध्यान देना चाहिए.
दिप्रिंट द्वारा हासिल की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि अच्छा-खासा टैलेंट पूल होने के बावजूद बंगाल आईटी क्रांति की राह पर ‘आगे बढ़ने से चूक गया’ है.
रिपोर्ट में पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए छह प्रमुख धार्मिक स्थलों— गंगा सागर, नबाद्वीप, तारापीठ, बिशुनुपुर, तारकेश्वर और मदन मोहन मंदिर के लिए वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर पर्यटन बोर्ड स्थापित करने की सिफारिश की गई है.
इसमें शांतिनिकेतन को ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की तर्ज पर मेगा कल्चरल सेंटर के रूप में विकसित करने के अलावा इसे राष्ट्रीय सांस्कृतिक राजधानी शहर का नाम देने का सुझाव भी दिया गया है.
रोजगार के मौकों को बढ़ाने के लिए रिपोर्ट में टेक्नोलॉजी पार्कों के निर्माण, स्टार्टअप की मजबूती के लिए वेंचर कैपिटल फंड और रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब को प्रोत्साहन देने की सिफारिश भी की गई है.
बंगाल की चुनावी लड़ाई में भाजपा बंगाल के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से जुड़ने और ममता बनर्जी की तरफ से बार-बार ‘बाहरी’ होने का मुद्दा उठाए जाने से निपटने के लिए राज्य के सांस्कृतिक और धार्मिक आइकन रबींद्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद आदि का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तो पिछले साल दिसंबर में टैगोर के शांतिनिकेतन का दौरा भी किया था.
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ग्रेटर कोलकाता क्षेत्र को हैदराबाद, बेंगलुरू जैसा बनाएं
फाउंडेशन के निदेशक अनिर्बान गांगुली ने दिप्रिंट को बताया, ‘बंगाल में गुरुग्राम, बेंगलुरू और हैदराबाद जैसे प्रमुख नॉलेज हब के तौर पर विकसित होने की बहुत बड़ी संभावना हैं.’
उन्होंने कहा, ‘यहां उम्दा किस्म के शिक्षण संस्थान हैं लेकिन नीतिगत निष्क्रियता के कारण कोलकाता या किसी अन्य शहर को आईटी सेंटर की तर्ज पर विकसित करने पर ध्यान नहीं दिया गया.’
रिपोर्ट के मुताबिक, टेक्नोलॉजी पार्क, इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित करके ग्रेटर कोलकाता को नए बेंगलुरू के तौर पर विकसित किया जा सकता है. इसमें यह भी कहा गया है कि बंगाल के दस प्रमुख संस्थान इन पार्कों को मेंटर कर सकते हैं.
इसमें सुझाव दिया गया है कि सरकार को चिकित्सा, स्वास्थ्य, आईटी, इंजीनियरिंग से लेकर बेसिक साइंस तक विभिन्न क्षेत्रों में स्टार्ट-अप को आगे बढ़ाना चाहिए.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘राज्य में वैज्ञानिक रिसर्च की परंपरा को देखते हुए इसका कोई कारण नहीं कि ग्रेटर कोलकाता को बेंगलुरू और हैदराबाद की तर्ज पर विकसित न किया जा सके.’
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छह तीर्थ बोर्ड
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2018 में बंगाल ने भारत के कुल घरेलू पर्यटकों में से केवल 4.6 प्रतिशत और विदेशी पर्यटकों में 5.6 प्रतिशत को आकर्षित किया. यह तमिलनाडु जैसे अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम है, जहां 20 फीसदी घरेलू और 21 फीसदी अंतरराष्ट्रीय पर्यटक पहुंचे.
बंगाल आने वाले अधिकतर पर्यटक बांग्लादेश के थे, जिनकी खर्च करने की क्षमता सीमित है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी पर्यटकों को सबसे ज्यादा तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, केरल, दिल्ली, राजस्थान आदि राज्य आकर्षित करते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हम बंगाल में पर्यटन के लिए 10 प्रतिशत की विकास दर का लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं लेकिन बुनियादी ढांचे और होमस्टे पॉलिसी का अभाव, विकास में एक बड़ी बाधा है.’
इसमें कहा गया है, ‘तीर्थयात्रा सर्किट के आसपास रोजगार बढ़ाने के लिए नई होमस्टे नीति जरूरी है. अगर 9 करोड़ पर्यटक प्रति वर्ष के मौजूदा आंकड़े को होमस्टे की ओर मोड़ दिया जाए तो 10 लाख परिवारों को फायदा होगा, जिसे बढ़ाकर 30 से 40 लाख ग्रामीण परिवारों तक पहुंचाया जा सकता है.’
इसमें आगे बताया गया कि गंगा सागर हर साल 18 लाख पर्यटकों को आकर्षित करता है, जबकि वैष्णो देवी पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या एक करोड़ है, जबकि गंगासागर ज्यादा प्राचीन धार्मिक स्थल है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने मंदिर के चारों ओर बुनियादी ढांचे को विकसित किया है और ऐसा ही गंगा सागर के आसपास भी किया जा सकता है.
बंगाल भाजपा महासचिव और भाजपा की घोषणापत्र समिति के सदस्य जॉय मजूमदार ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘अपने घोषणापत्र में हम पांच-छह धार्मिक टूरिस्ट सर्किट और शांतिनिकेतन के विकास पर जोर दे रहे हैं जो कि तृणमूल शासनकाल में नहीं किया गया है.’
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सिर्फ रसगुल्ला नहीं, बंगाल के स्ट्रीट फूड को भी प्रमोट करें
रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि अभी तक पंजाबी या दक्षिण भारतीय भोजन की तरह बंगाली व्यंजनों की व्यावसायिक संभावनाएं नहीं तलाशी गई हैं.
रिपोर्ट कहती है कि राज्य से केवल रसगुल्ले जैसी मिठाइयों को ही बढ़ावा दिया गया, जबकि बंगाल का स्ट्रीट फूड ‘अपने आप में एकदम लाजवाब’ है.
इसके मुताबिक, ‘अनौपचारिक रोजगार के मौके बढ़ाने के लिए बंगाली स्ट्रीट फूड को व्यापक स्तर पर प्रोत्साहन की जरूरत है लेकिन यह केवल इनोवेशन, डिजिटल इंटरवेंशन और सर्टिफिकेशन के जरिये किया जा सकता है. इससे न केवल रोजगार बढ़ेगा बल्कि पर्यटन क्षेत्र को लेकर रुचि बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव अनुपम हाजरा, जो पार्टी की घोषणापत्र समिति के सदस्य भी हैं, ने दिप्रिंट से कहा, ‘…कई उत्तर भारतीय राजनेता कम कैलोरी के कारण हमारा स्ट्रीट फूड चाव से खाते हैं. हमारे पुचका का स्वाद गोलगप्पे की तरह होता है और झालमूड़ी में फैट कम होता है. रोजगार बढ़ाने के लिए इन्हें नए स्टार्ट-अप के माध्यमों से बढ़ावा दिया जा सकता है.’
भाजपा ने ‘सोनार बांग्ला’ के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने के लिए लंबी कवायद की है. वह 294 विशेष रथों के जरिये लोगों की राय जुटा रही है.
लेकिन मुख्यत: श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने में शामिल रहा है. थिंक टैंक इसके लिए सेमिनार और बैठकें आयोजित करता रहा है. विजन डॉक्यूमेंट की सिफारिशों को बंगाल के लिए भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में शामिल किया जाएगा.
राज्य में 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच आठ चरणों में चुनाव प्रस्तावित हैं.
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