हैदराबाद: तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने मंगलवार को कोठागुडेम में डॉ. मनमोहन सिंह अर्थ साइंसेज यूनिवर्सिटी का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि इस संस्थान का नाम पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम पर रखना, उनके प्रति सम्मान है क्योंकि राज्य का दर्जा तेलंगाना को उनके कार्यकाल में मिला था.
यूपीए सरकार के दो बार के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के योगदान को मानते हुए, रेवंत रेड्डी ने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की कांग्रेस सरकारों से एक कदम आगे बढ़कर यह नई यूनिवर्सिटी उनके नाम पर बनाई है. इससे पहले इस साल हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने हिमाचल प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन का नाम बदलकर डॉ. मनमोहन सिंह हिमाचल प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन कर दिया था. जुलाई में कर्नाटक की सिद्धारमैया कैबिनेट ने बेंगलुरु सिटी यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर डॉ. मनमोहन सिंह बेंगलुरु सिटी यूनिवर्सिटी कर दिया था.
मनमोहन सिंह, जो एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री भी थे, 2004 से 2014 तक पीएम रहे और 1991 से 1996 तक देश के वित्त मंत्री रहे, जब आर्थिक उदारीकरण और औद्योगिक सुधार लागू हुए. उनका निधन 26 दिसंबर 2024 को हुआ था.
उनके निधन के कुछ दिनों बाद कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि दिल्ली विश्वविद्यालय के नए कॉलेज कैंपस का नाम वीर सावरकर की जगह मनमोहन सिंह के नाम पर रखा जाए. पीएम मोदी ने 3 जनवरी को नजफगढ़ में वीर सावरकर कॉलेज की आधारशिला रखी थी.
दो हफ्ते बाद बीजेपी ने कांग्रेस से मांग की कि वह नई पार्टी मुख्यालय बिल्डिंग का नाम मनमोहन सिंह के नाम पर रखे ताकि उनके योगदान को सम्मान मिल सके. इसके बाद कांग्रेस कार्यालय के बाहर पोस्टर भी लगाए गए जिनमें इमारत का नाम ‘सरदार मनमोहन सिंह भवन’ रखने की मांग की गई.
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने उस समय एक्स पर लिखा था कि इमारत का नाम मनमोहन सिंह के नाम पर रखना, उनके योगदान का सम्मान करने जैसा होगा और उस अनादर को संबोधित करेगा जो उन्हें जीवनकाल में झेलना पड़ा, खासकर गांधी परिवार की ओर से.
हालांकि कांग्रेस नेता अनिल शास्त्री ने इस मांग और पोस्टरों को बीजेपी की साजिश बताते हुए कहा था कि आधुनिक पार्टी मुख्यालय के लिए ‘इंदिरा भवन’ नाम बहुत पहले तय किया जा चुका था. कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने 15 जनवरी को अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य नेताओं की मौजूदगी में इंदिरा भवन का उद्घाटन किया. इससे पार्टी अपने दशकों पुराने पते 24, अकबर रोड से नए पते में शिफ्ट हो गई.
मनमोहन सिंह की जयंती पर 23 सितंबर को सोनिया गांधी ने इंदिरा भवन के अंदर बने डॉ. मनमोहन सिंह रिसर्च सेंटर और लाइब्रेरी का उद्घाटन किया. इस मौके पर सिंह की पत्नी गुरशरण कौर भी मौजूद थीं.
नींव रखने के कार्यक्रम में बोलते हुए रेवंत रेड्डी ने कहा कि पालवोंचा इलाका, जहां साठ के दशक के मध्य में कोठागुडेम थर्मल पावर स्टेशन की पहली यूनिट बनी थी, वही इलाका राज्य के दर्जे की मांग के आंदोलन को जन्म देने वाला साबित हुआ. क्योंकि वहां के किसानों ने अपनी जमीन दी, लेकिन ज्यादातर नौकरियां गैर-स्थानीय लोगों को मिलीं.
रेवंत रेड्डी ने कहा कि आज यह बड़ा मौका है कि पृथ्वी विज्ञान विश्वविद्यालय का नाम उस पूर्व पीएम के नाम पर रखा जा रहा है जिन्होंने राज्य के दर्जे की दशकों पुरानी जनता की आकांक्षाओं को पूरा किया. वह 1960 के दशक के अंत में राज्य के दर्जे की मांग के पहले चरण का जिक्र कर रहे थे.
अंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014, जिसे फरवरी 2014 में संसद में पारित किया गया जब यूपीए-2 सत्ता में थी, ने संयुक्त राज्य को 2 जून 2014 से अंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बांट दिया.
‘बीआरएस मनमोहन सिंह के प्रति एहसानमंद नहीं’
रेवंत रेड्डी से पहले बोलते हुए राज्य के राजस्व मंत्री पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी ने कहा कि पिछली के. चंद्रशेखर राव सरकार, जो लगभग 10 साल सत्ता में रही, ने पूर्व पीएम के प्रति कोई आभार नहीं दिखाया और कभी उन्हें सम्मान देने के बारे में नहीं सोचा.
सीएम रेवंत रेड्डी ने देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू की सोच और काम की भी सराहना की. उन्होंने कहा कि नेहरू की दृष्टि ने देश को कई उच्चस्तरीय शैक्षणिक संस्थान और सिंचाई परियोजनाएं दीं जैसे नागार्जुन सागर, भाखड़ा नांगल और श्रीशैलम. सीएम ने कहा कि शिक्षा और सिंचाई ही तेलंगाना को आगे ले जाएंगी.
देश में अपनी तरह की पहली यूनिवर्सिटी मानी जा रही MSESU, जो उत्तरी तेलंगाना के सिंगरेनी कोयला क्षेत्र में स्थित है, वहां की भूगर्भीय विविधता, खनिज संपदा और पारिस्थितिक तंत्र का उपयोग शोध कार्यों के लिए करेगी और खनिज संसाधन, पर्यावरण संरक्षण, भूजल प्रबंधन आदि के विशेषज्ञ तैयार करेगी.
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