नई दिल्ली: राजस्थान में एक कॉन्क्लेव, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में दो रोड शो और तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में प्रस्तावित रैलियां- दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक आम आदमी पार्टी (आप) के शीर्ष नेता अगले तीन हफ्तों तक ऐसे ही कार्यक्रमों में व्यस्त रहने वाले हैं.
आप ने सोमवार को इन पांच सहित नौ राज्यों में नए पदाधिकारियों की नियुक्ति की है, उन्हें वालंटियर का आधार बढ़ाने, संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने और चुनावी तैयारियों में जुटने का जिम्मा सौंपा गया है. यह एक ऐसा घटनाक्रम है जो स्पष्ट तौर पर बताता है कि पंजाब में भारी जीत से उत्साहित आप राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार की अपनी योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा राज्यों में कदम जमाने के लिए आक्रामक तेवर अपना रही है.
गुजरात और हिमाचल प्रदेश में इस साल के अंत में और राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं.
इसमें खासकर कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ काफी अहम हैं जिस पार्टी के बारे खुद आप का दावा है कि वह ‘राष्ट्रीय’ स्तर पर ‘स्वाभाविक’ तौर पर उसकी जगह लेती जा रही है.
दिल्ली के आप विधायक और पार्टी के राजस्थान मामलों के प्रभारी विनय मिश्रा ने बताया कि आप की तरफ से 26-27 मार्च को जयपुर में दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित करने की तैयारी की गई है, जिसमें राजनीति और नीतियों से जुड़े विचार-विमर्श में राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी हिस्सा लेंगे.
विनय मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया, ‘राजस्थान में जिला स्तर के सभी नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं के अलावा विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग जैसे व्यापारी, युवा, ग्राम स्तर के नेता आदि इसमें हिस्सा लेंगे. इस सम्मेलन का उद्देश्य राजनीतिक एजेंडे, दृष्टिकोण और नीतियों पर चर्चा करना है.’
पिछले विधानसभा चुनावों और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी आप ने इनमें से अधिकांश राज्यों में अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे. लेकिन चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के मुताबिक, पार्टी कोई सीट जीतने में सफल नहीं रही थी और वोट शेयर के मामले में एक फीसदी का भी आंकड़ा पार करने में नाकाम रही थी.
आप के छत्तीसगढ़ चुनाव प्रभारी गोपाल राय ने कहा, लेकिन पंजाब में जीत के बाद चीजें बदल गई हैं.
दिल्ली की आप सरकार में कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने कहा, ‘हमें इन राज्यों से उत्साहजनक प्रतिक्रियाएं मिली हैं. बड़ी संख्या में लोग आप में शामिल होना चाहते हैं. इसलिए, हमारे लिए बहुत जरूरी है कि हम आने वाले दिनों में राज्यों में और अधिक कार्यक्रम आयोजित करते रहें, ताकि अधिक से अधिक लोग पार्टी से जुड़ सकें.’
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कई राज्यों में बढ़ाई सक्रियता
पार्टी के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि छत्तीसगढ़ के रायपुर में पार्टी ने सोमवार को एक रैली की थी और अप्रैल के पहले सप्ताह में राज्य के किसी अन्य शहर में एक और रैली करने की योजना है.
गुजरात में आप ने पिछले डेढ़ सालों में स्थानीय चुनावों में कुछ सीटें जीती और अच्छा वोट शेयर भी हासिल किया है. गुजरात में आप के प्रभारी रहे राजेश शर्मा ने कहा, ‘लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है.’
उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में पार्टी को गुजरात में भारी समर्थन मिला है. पार्टी के विकास मॉडल और दिल्ली की मिसाल ने लोगों के मन में स्पष्ट छाप छोड़ी है. असम में भी लोगों ने आप पर भरोसा दिखाना शुरू कर दिया है. गुजरात में हम पहले ही एक लंबा सफर तय कर चुके हैं, असम में भी हमें काफी संभावनाएं नजर आ रही हैं.’
दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, पार्टी की योजना 2 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश के मंडी में और 6 अप्रैल को गुजरात के अहमदाबाद में रोड शो करने की है. पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान इन दोनों रोड शो में मुख्य अतिथि हो सकते हैं.
उपरोक्त राज्य पदाधिकारियों ने कहा कि पार्टी ने इन सभी राज्यों में अपना अभियान ‘दिल्ली मॉडल’ पर केंद्रित रखा है—जैसा उसने पंजाब में भी किया था.
दिल्ली मॉडल निश्चित तौर पर एक शासन मॉडल को संदर्भित करता है जो राजधानी में विकास और कल्याणकारी नीतियों पर अमल पर केंद्रित है जहां आप 2015 से बहुमत के साथ सत्ता में है.
हालांकि, इन नेताओं ने कहा कि हर राज्य में राज्य-केंद्रित मुद्दों पर भी खास ध्यान देना जरूरी है. उदाहरण के तौर पर हिमाचल में कनेक्टिविटी एक बड़ा मुद्दा है, जहां कस्बों को गांवों से जोड़ने वाली सड़कों का अभाव है. राजस्थान में महंगी बिजली एक मुद्दा है, वहीं असम में पेयजल की समस्या है.
राष्ट्रीय स्तर पर जगह बनाने का सपना
आप ने दिल्ली के विधायक सोमनाथ भारती को तेलंगाना में अपना चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है. भारती ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि आप ने राज्य में एक कैडर स्थापित करने और विकास के एजेंडे के साथ चुनाव मैदान में उतरने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. उन्होंने आगे कहा कि पार्टी अगले दो हफ्तों में और अधिक वालंटियर को शामिल करने और रैलियों के आयोजन के लिए ‘मेगा ड्राइव’ का आयोजन करेगी.
इस महीने की शुरुआत में ही भारती ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की नीतियों की आलोचना की थी और खासकर उनकी सरकार में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, साथ ही उन्हें ‘छोटा मोदी’ तक कहकर संबोधित किया था, जिसके बाद इस पर अटकलें तेज हो गईं कि राज्य में आप की एंट्री ‘तीसरे मोर्चे’ के राव के प्रयासों के लिए एक झटका हो सकता है.
पिछले कुछ महीनों से राव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी क्षेत्रीय नेताओं का एक मंच पर लाकर एक गैर-कांग्रेसी, गैर-भाजपा संयुक्त मोर्चा बनाने की पहल का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसके लिए केजरीवाल को छोड़कर अन्य राज्यों में अपने समकक्षों से मिलते रहे हैं.
ममता बनर्जी वैसे तो केजरीवाल की पुरानी सहयोगी हैं, लेकिन माना जाता है कि उनके रिश्तों में खटास तब आई जब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ने घोषणा की कि उनकी पार्टी गोवा में चुनाव लड़ेगी, जहां आप पहले से ही चुनावी तैयारियों में जुटी थी.
हालांकि, आप ने अभी तक पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रभारी या पर्यवेक्षक नियुक्त नहीं किया है, लेकिन पिछले हफ्ते उसने कोलकाता में एक रैली का आयोजन किया और पार्टी कथित तौर पर राज्य में पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है.
आप नेताओं का कहना है कि पंजाब में जीत ने केजरीवाल को ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया है जिसमें वह किसी भी खेमे का हिस्सा बनने से बचने सकते हैं और अगर वह अपने पत्ते सही तरह खेलें तो 2024 के आम चुनाव से पूर्व खुद को विपक्ष के प्रमुख चेहरे के तौर पर आगे रख सकते हैं.
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