जयपुर: राजस्थान में विधानसभा सत्र को लेकर राजभवन व सरकार के बीच जारी गतिरोध बुधवार रात समाप्त हो गया. सरकार के संशोधित प्रस्ताव पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र 14 अगस्त से बुलाने को मंजूरी दे दी.
राजभवन के प्रवक्ता के अनुसार राज्यपाल मिश्र ने राजस्थान विधानसभा के पांचवें सत्र को मंत्रिमंडल द्वारा भेजे गए 14 अगस्त से आरंभ करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है.
प्रवक्ता के अनुसार राज्यपाल मिश्र ने राजस्थान विधानसभा के सत्र के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए आवश्यक प्रबंध किए जाने के निर्देश मौखिक रूप से दिए हैं.
इससे पहले अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल की बैठक बुधवार रात यहां मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई, जिसमें संशोधित प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी. इसमें 14 अगस्त से सत्र बुलाने का प्रस्ताव किया गया. इस प्रस्ताव को राजभवन को भेजा गया.
सूत्रों का कहना है कि 14 अगस्त से सत्र बुलाने के लिए 21 दिन के स्पष्ट नोटिस की अनिवार्यता पूरी हो जाएगी जिस पर राज्यपाल कलराज मिश्र बार-बार जोर दे रहे हैं.
कैबिनेट बैठक के बाद परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा,‘‘ प्रस्ताव राज्यपाल के पास भेजा जा रहा है. मुझे पक्की उम्मीद है कि गतिरोध खत्म होगा और विधानसभा सत्र जल्द ही होगा.’’
खाचरियावास ने कहा, ‘मुख्यमंत्री गहलोत की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है. वह प्रस्ताव राजस्थान के हित में है.’
सरकार द्वारा सत्र के लिए प्रस्तावित तारीख का खुलासा करने से इनकार करते हुए खाचरियावास ने उम्मीद जताई कि राज्यपाल जल्द ही विधानसभा सत्र की तारीख घोषित करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘हमें पूरा विश्वास है कि है कि अब जो प्रस्ताव जा रहा है उस प्रस्ताव के अनुसार जल्द ही विधानसभा सत्र की तारीख घोषित करेंगे और वह विधानसभा सत्र जल्द से जल्द हो सकेगा. आप यह मानकर चालिए.’
उन्होंने कहा, ‘प्रस्ताव राज्यपाल के पास बनाकर भेज दिया गया है. मुझे पक्की उम्मीद है कि गतिरोध खत्म होगा और विधानसभा सत्र जल्द ही होगा.’
हालांकि, सूत्रों बताया था कि सरकार ने इसमें 14 अगस्त की तारीख प्रस्तावित की है जो 23 जुलाई को जब सरकार ने पहला प्रस्ताव भेजा था, से 21 दिन का अंतराल है.
इसके साथ ही खाचरियावास ने स्पष्ट किया कि सरकार का राज्यपाल के साथ कोई टकराव नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘हमारा राज्यपाल से कोई टकराव नहीं है. राज्यपाल महोदय कहीं भी टकराव नहीं चाहते. हम टकराव नहीं चाहते. टकराव हमारा मकसद नहीं. हमारा मकसद राजस्थान का विकास है.’
खाचरियावास ने कहा कि अशोक गहलोत के नेतृत्व को लेकर नाराजगी जताकर बगावत करने वाले पार्टी के 19 विधायकों को वापस आना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘हमारे जो बागी साथी हैं वे भी हमारे परिवार के सदस्य हैं. उन्हें भी राजस्थान के हित में मतदाता के हित में वापस आना चाहिए और आलाकमान से मिलना चाहिए और राजस्थान की मजबूती के लिए काम करना चाहिए.’
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को बागी माना जा रहा है जो कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हो रहे.
इससे पहले राजभवन ने सरकार की ओर से भेजे गए संशोधित प्रस्ताव को बुधवार को तीसरी बार सरकार को लौटा दिया गया. इसमें राज्यपाल ने सरकार से पूछा है कि वह अल्पावधि के नोटिस पर सत्र आहूत क्यों करना चाहती है इसे स्पष्ट करे. इसके साथ ही राज्यपाल ने सरकार से कहा कि यदि उसे विश्वास मत हासिल करना है तो यह जल्दी यानि अल्पसूचना पर सत्र बुलाए जाने का कारण हो सकता है. राजभवन द्वारा तीसरी बार प्रस्ताव लौटाए जाने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार को राज्यपाल से मिले.
राजभवन की ओर से जारी बयान के अनुसार विधानसभा सत्र आहूत करने संबंधी सरकार की ‘पत्रावली को पुनः प्रेषित कर यह निर्देशित किया गया है कि अल्प अवधि के नोटिस सत्र आहूत करने का क्या ठोस कारण है इसे स्पष्ट किया जाये तथा यह भी स्पष्ट किया जाए कि वर्तमान असामान्य व विषम परिस्थिति में अल्प अवधि के नोटिस पर सत्र क्यों बुलाया जा रहा है.’
इसमें आगे कहा गया, ‘यह भी उल्लेखनीय है कि यदि इस सत्र में राज्य सरकार को विश्वास मत हासिल करना है तो सामाजिक दूरी के साथ अल्पकालीन सत्र बुलाया जाना संभव है, जो कि अल्पसूचना पर सत्र बुलाये जाने का युक्तियुक्त कारण हो सकता है.’
राजभवन की ओर से सरकार को एक और सलाह 21 दिन के नोटिस पर सदन का नियमित मानसून सत्र बुलाने की दी गयी है.
बयान के अनुसार, ‘उपरोक्त परिस्थिति में उचित होगा कि राज्य सरकार मानसून सत्र जैसे नियमित सत्र 21 दिन के नोटिस पर बुलाये.’
राज्यपाल मिश्र ने कहा है कि संविधान प्रजातांत्रिक मूल्यों की आत्मा है. उन्होंने कहा है कि नियमानुसार सदन आहूत करने में काई आपत्ति नही है.
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में जारी मौजूदा राजनीतिक रस्साकशी के बीच विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर राजभवन व सरकार के बीच गतिरोध बना हुआ था.
सरकार चाहती थी कि राज्यपाल 31 जुलाई से सत्र आहूत करें. सरकार की ओर से तीन बार इसकी पत्रावली राजभवन को भेजी जा चुकी थी जो वहां से कुछ बिंदुओं के साथ लौटा दी जाती थी.
राजभवन द्वारा प्रस्ताव लौटाए जाने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत बुधवार दोपहर राजभवन में राज्यपाल से मिले.
राजभवन के सूत्रों ने इसे शिष्टाचार भेंट बताया लेकिन इससे पहले गहलोत ने कांग्रेस के एक कार्यक्रम में कहा कि ‘वह राज्यपाल महोदय से जानना चाहेंगे कि वे चाहते क्या हैं … ताकि हम उसी ढंग से काम करें.’
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने भी बुधवार शाम राज्यपाल मिश्र से मुलाकात की. आधिकारिक रूप से इसे भी शिष्टाचार भेंट बताया गया.