जयपुर: केंद्रीय मंत्री और राज्य नेता गजेंद्र सिंह शेखावत ने बुधवार को दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि राजस्थान में बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का फैसला कोई और नहीं, बल्कि पार्टी का संसदीय बोर्ड करेगा. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी संभावित दावेदार के रूप में खारिज नहीं किया जा सकता है.
लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही थीं कि यदि वर्तमान में कांग्रेस शासित राज्य में भाजपा विधानसभा चुनाव जीतती है तो शेखावत के साथ-साथ राजे भी सीएम की दौड़ में शामिल होंगी.
भाजपा के चुनाव संबंधी पोस्टरों पर लगी राजे की तस्वीरों और क्या इससे यह संकेत मिलता है कि वह मुख्यमंत्री पद की दावेदार हैं, इस सवाल का जवाब देते हुए शेखावत ने कहा, ”राजनीति में किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.”
उन्होंने कहा, “वसुंधरा राजे निस्संदेह हमारी वरिष्ठ नेता हैं. वह भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, राज्य इकाई की प्रमुख रही हैं और दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. संभावना (राजे को सीएम के रूप में चुने जाने की) को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन साथ ही पोस्टरों पर उनकी उपस्थिति (उनकी तस्वीर) किसी भी चीज का पर्याय नहीं हो सकती है.”
इससे पहले, जब पार्टी शेखावत को राजस्थान भाजपा अध्यक्ष बनाना चाहती थी, तो राजे ने कथित तौर पर इस कदम का विरोध किया था और उनकी जगह दिवंगत मदन लाल सैनी को यह पद दिया गया था.
शेखावत ने जोर देकर कहा, ”भाजपा में कई सक्षम नेता हैं. जैसा कि मैंने कहा, पार्टी के सभी सदस्य लोकतांत्रिक तरीके से अपना नेता चुनेंगे और संसदीय बोर्ड उस पर अपनी मुहर लगाएगा और वह व्यक्ति राजस्थान में भाजपा सरकार का नेतृत्व करेगा. फिर हम उस नेता के साथ मिलकर काम करेंगे.”
राजस्थान में नई विधानसभा के लिए शनिवार, 25 नवंबर को मतदान होगा और वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी.
भाजपा ने अब तक राजस्थान में अपने सीएम उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है और वह सामूहिक नेतृत्व में राज्य चुनाव लड़ रही है, जिसमें पार्टी के चुनाव अभियान का चेहरा पीएम नरेंद्र मोदी हैं.
दिप्रिंट के साथ अपनी बातचीत में, शेखावत ने राजस्थान भाजपा इकाई में नेतृत्व संकट और पार्टी में अंदरूनी कलह के आरोपों को खारिज कर दिया, अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर “तुष्टिकरण की राजनीति” के लिए हमला किया और खुद के सीएम पद के उम्मीदवार होने की अफवाहों को खारिज कर दिया.
उन्होंने कहा, “भाजपा में कोई नेतृत्व संकट नहीं है और कोई अंदरूनी कलह भी नहीं है. भाजपा भाग्यशाली है कि उसके पास पीएम मोदी के रूप में सबसे लोकप्रिय चेहरा और नेता है. इसलिए हम उनके नाम पर चुनाव लड़ रहे हैं.”
राजस्थान चुनाव अभियान में सक्रिय रूप से शामिल रहे शेखावत ने भी भाजपा के चुनाव जीतने का भरोसा जताया. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ”इन चुनावों का नेतृत्व बीजेपी से ज्यादा राजस्थान की जनता कर रही है.”
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कांग्रेस सरकार ‘सभी मोर्चों पर विफल’
दिप्रिंट से बातचीत में शेखावत ने कहा कि लोगों ने कांग्रेस सरकार को राज्य से बाहर करने का पूरा मन बना लिया है.
भाजपा नेता ने राज्य में “तुष्टिकरण के सभी स्तरों को पार करने” के लिए गहलोत सरकार पर हमला किया और आरोप लगाया कि कांग्रेस ने केवल अपने वोट बैंक को बरकरार रखने और अपने तुष्टिकरण के एजेंडे को बनाए रखने के लिए, भगवान राम के अस्तित्व को नकार दिया है.
शेखावत ने सवाल किया, “जब हम राम के बारे में बात करते हैं, जो हमारी [हिंदू] आस्था और अस्तित्व का केंद्र हैं, तो हमें सांप्रदायिक कहा जाता है, लेकिन जब वे खुलेआम ऐसी चीजें [तुष्टिकरण] करते हैं, तो उन्हें सांप्रदायिक क्यों नहीं कहा जाता है?”
विपक्ष के इस विचार पर पलटवार करते हुए कि भाजपा राजस्थान में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है, केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि राम कभी भी भाजपा के लिए चुनाव का हिस्सा नहीं रहे हैं.
शेखावत ने कहा, “राम भारत की बहुसंख्यक आबादी के लिए अस्मिता का प्रश्न हैं. यह आस्था और विश्वास का सवाल है. हम उन्हें अपनी श्रद्धा का केंद्र मानते रहे हैं, यही कारण है कि हमने न केवल राम जन्मभूमि में राम मंदिर के निर्माण के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि पार्टी पूरी ताकत से इसके लिए आगे बढ़ रही है.”
उन्होंने कहा, लेकिन विपक्षी दलों के लिए, अपने वोट-बैंक को नुकसान न पहुंचाना अधिक महत्वपूर्ण था और इसलिए “उन्होंने भारत की आस्था को अस्वीकार करने का पाप किया.”
भाजपा नेता ने आरोप लगाया, “सिर्फ अपने वोट बैंक को बरकरार रखने और अपने तुष्टिकरण के एजेंडे को बनाए रखने के लिए, कांग्रेस ने शुरू से ही एक हलफनामे पर हस्ताक्षर करके राम के अस्तित्व को नकार दिया है, जिसमें कहा गया है कि राम काल्पनिक थे.”
गहलोत सरकार की आलोचना करते हुए, शेखावत ने कहा, “हिंदू त्योहारों और जुलूसों पर प्रतिबंध लगाया गया था, जबकि पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) जैसे आतंकवादी संगठनों द्वारा जुलूस राज्य सरकार के संरक्षण में आयोजित किए गए थे.”
मंगलवार को कोटा में एक रैली को संबोधित करते हुए, पीएम मोदी ने भी गहलोत सरकार पर “तुष्टिकरण की राजनीति” करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राजस्थान में हनुमान जयंती और रामनवमी के जुलूस रोक दिए गए, लेकिन प्रतिबंधित संगठन पीएफआई को पिछले साल कोटा में मार्च निकालने की इजाजत दी गई थी.
अपनी स्थापना के बाद से, पीएफआई पर प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) की शाखा होने का आरोप लगाया गया है, क्योंकि पीएफआई के कई सह-संस्थापक SIMI नेता थे, जिनमें पीएफआई के उपाध्यक्ष ईएम अब्दुल रहमान भी शामिल थे, जो 1982 से 1993 के बीच SIMI महासचिव था.
राजस्थान में भाजपा की चुनावी कहानी ध्रुवीकरण कर रही है, मोदी बार-बार उदयपुर के दर्जी कन्हैयालाल साहू की हत्या के बारे में बोल रहे हैं, जिनकी कथित तौर पर पिछले साल दो मुस्लिम लोगों ने हत्या कर दी थी.
शेखावत ने राजस्थान चुनाव से पहले गहलोत सरकार द्वारा घोषित योजनाओं की भी आलोचना की.
उन्होंने पूछा, “जिन कल्याणकारी योजनाओं की बात की जा रही है, उनकी घोषणा छह महीने पहले, चुनाव से ठीक पहले की गई थी. मेहंगाई राहत शिविरों, मुफ्त बिजली से लेकर 500 रुपये में सिलेंडर तक…क्या आपने कभी सोचा है कि सरकार को चुनाव से छह महीने पहले ऐसी घोषणाएं करने की जरूरत क्यों महसूस हुई.”
उन्होंने कहा, “जब कोई सरकार साढ़े चार साल तक काम करने में विफल रहती है और लोगों का विश्वास खो देती है, तो वह खुद को बचाने के लिए ऐसी रियायतों की घोषणा करती है.”
शेखावत ने कहा कि “सभी मोर्चों पर विफल होने” के बाद, कांग्रेस सरकार गारंटी का एक नया सेट लेकर आई थी, “लेकिन लोगों को उनके इरादे पता चल गया है.”
भाजपा द्वारा अपने घोषणापत्र में किए गए चुनावी वादे को सही ठहराते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हमारी योजनाएं समाज के गरीब वर्गों के उत्थान के लिए हैं और वोट के लिए नहीं हैं.”
उन्होंने गहलोत सरकार पर हमला करते हुए कहा, “चुनाव से ठीक पहले कई चीज़ों की घोषणा करना, बिना इस बात पर ध्यान दिए कि पैसा कहां से आएगा, इसे रेवड़ी (freebies) कहा जाता है.”
शेखावत ने कानून-व्यवस्था, महिला सुरक्षा और बेरोजगारी को उन प्रमुख मुद्दों के रूप में उद्धृत किया जो उनकी पार्टी इन चुनावों में उठा रही है.
शेखावत ने दिप्रिंट से कहा, ”उन्होंने (गहलोत सरकार ने) राजस्थान को रेप कैपिटल में बदलने का अपराध किया है.”
‘कभी सीएम बनने के बारे में नहीं सोचा’
राजस्थान में अपनी संभावनाओं पर, शेखाव – जो जोधपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, ने कहा, “मैंने कभी सीएम बनने के बारे में नहीं सोचा है, न ही मैंने उस दिशा में कभी प्रयास किया है.”
जल शक्ति मंत्रालय का प्रभार संभालने वाले शेखावत ने कहा, “मैं वर्तमान में जीता हूं और मेरी वर्तमान जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि हम चुनाव जीते. पीएम मोदी ने मुझे यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि भविष्य में, जब भारत (अधिक) विकसित हो जाए, तो पानी की उपलब्धता कभी भी चुनौती न बने. और मैं उस दिशा में काम कर रहा हूं.”
टिकट वितरण के दौरान पार्टी को मिली बगावत पर ज्यादा ध्यान न देते हुए मंत्री ने कहा कि छह महीने पहले ही यह स्पष्ट हो गया था कि राजस्थान में भाजपा सत्ता में आएगी.
उन्होंने कहा, “यह एक सामान्य चुनावी सिद्धांत है कि जब कोई पार्टी सत्ता में आने के लिए पूरी तरह तैयार होती है, तो टिकट पाने की उम्मीद में सरकार का हिस्सा बनने या विधायक बनने की महत्वाकांक्षा रखने वाले लोग पार्टी के खिलाफ काम करते हैं. लेकिन ज्यादातर लोग (विद्रोही) वापस आ गए हैं.”
शेखावत ने कहा, “मूल रूप से, कांग्रेस और भाजपा में विद्रोह के बीच अंतर है. भाजपा में विद्रोह इस उम्मीद पर आधारित है कि भाजपा सत्ता में आने वाली है.”
(संपादन: अलमिना खातून)
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