मुंबई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने, जिन्होंने पिछले महीने मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर एक राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया था, धार्मिक स्थलों खासकर मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाए जाने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की है.
अपने बयान को ट्वीट करते हुए ठाकरे ने कहा, ‘मैं पूरे दिल से बधाई देता हूं और योगी सरकार का आभारी हूं कि उसने धार्मिक स्थलों खासकर मस्जिदों से लाउडस्पीकर्स हटा दिए हैं’.
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— Raj Thackeray (@RajThackeray) April 28, 2022
महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार पर तंज़ करते हुए- जो शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस का गठबंधन है और जिसके अगुवा उनके कज़िन और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हैं- एमएनएस अध्यक्ष ने ये भी कहा, ‘दुर्भाग्य से महाराष्ट्र में हमारे यहां कोई ‘योगी’ नहीं हैं, हमारे पास जो हैं वो ‘भोगी’ हैं. आशा और प्रार्थना करता हूं कि उन्हें कुछ समझ आएगी’.
इसी महीने, उत्तर प्रदेश के सीएम आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था की समीक्षा के लिए बुलाई गई एक बैठक में कहा कि धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकरों से दूसरों को असुविधा नहीं होनी चाहिए. राज्य के गृह विभाग ने उसी के अनुरूप निर्देश जारी कर दिए और अधिकारी हाथ में डेसिबल मीटर लेकर मंदिरों और मस्जिदों में जा रहे हैं और धार्मिक स्थलों से कह रहे हैं कि या तो लाउडस्पीकरों की आवाज़ कम कर लें या अगर वो अधिकृत नहीं हैं ते उन्हें पूरी तरह हटा लें.
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‘आक्रामक हिंदुत्व’ का रुख
उत्तर प्रदेश की कार्रवाई की प्रशंसा करने से बमुश्किल एक हफ्ता पहले ही राज ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार को मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकरों पर कार्रवाई करने के लिए 3 मई तक की मोहलत दी थी. उन्होंने पहले इस मुद्दे को अप्रैल के शुरू में गुड़ी पड़वा के अवसर पर अपनी रैली में उठाया था, जब उन्होंने कहा था कि अगर राज्य सरकार मस्जिदों के ऊपर से लाउडस्पीकर्स नहीं हटाती, तो एमएनएस कार्यकर्ता मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे.
एनएमएस प्रमुख के 1 मई को औरंगाबाद में एक बड़ी रैली को संबोधित करने की संभावना है.
धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों के मुद्दे पर चर्चा करने और उस पर कोई नीति बनाने के लिए एमवीए सरकार ने सोमवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. राज ठाकरे व्यक्तिगत रूप से बैठक में शरीक नहीं हुए लेकिन उन्होंने एमएनएस से अपने प्रतिनिधियों को उसमें भेजा था. लेकिन, बीजेपी ने बैठक का पूरी तरह बहिष्कार किया. बैठक के बाद एमवीए ने निर्णय किया कि केंद्र से अनुरोध किया जाएगा कि लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर गाइडलाइंस जारी करे- जिस रुख की मनसे ने आलोचना की है.
ये टिप्पणियां ऐसे समय आई हैं जब मनसे शिवसेना के पूर्व के ‘आक्रामक हिंदुत्व’ की जगह को हथियाना चाहती है- शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1990 के दशक में मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकरों को एक राजनीतिक मुद्दा बनाया था.
सीएम आदित्यनाथ के प्रति ठाकरे की प्रशंसा ऐसे समय भी आई है, जब महाराष्ट्र के बड़े शहरों में आने वाले निकाय चुनावों से पहले, जो इसी साल अपेक्षित हैं, मनसे और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच नज़दीकियां बढ़ रही हैं.
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